प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
हरियाणा में जाट समुदाय के अल्टीमेटम को देखते हुए प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद है। हरियाणा के तीन ज़िलों सोनीपत, जींद और भिवानी में धारा 144 लगा दी गई है। भिवानी में 29 जुलाई तक धारा 144 लागू रहेगी।
कई इलाकों में पुलिस, केंद्रीय सुरक्षा बलों की गश्त जारी है। सरकार और प्रशासन किसी भी तरह फरवरी जैसे हालात नहीं होने देना चाहते। पुलिसवालों को प्रदर्शन के दौरान हथियारों के प्रयोग के बारे में ट्रेनिंग दी जा रही है।
संवेदनशील इलाकों को चिन्हित कर खास नज़र रखी जा रही है। मोबाइल इंटरनेट जैसी सेवाओं को भी बैन करने पर विचार हो रहा है। केंद्रीय बलों की तैनाती के साथ-साथ सेना को भी अलर्ट रहने को कहा गया है। जाटों ने 5 जून से आंदोलन का अल्टीमेटम दिया है।
सोनीपत में मूनक नहर पर पहरा
5 जून से जाटों का धरना चालू होगा लेकिन सोनीपत में मूनक नहर पर पहरा अभी से बिठा दिया गया है। फरवरी में आंदोलन के दौरान दिल्ली का पानी रोककर जाटों ने खट्टर सरकार की नींद हराम कर दी थी। सरकार का दावा है कि इस बार हालात बिगड़ने नहीं दिए जाएंगे। तैयारी भी मुकम्मल है। सरकार ने इसके लिए राज्य में जरूरत के अनुसार आवश्यक व्यवस्थाएं बनाई हैं, जो प्रमुख रूप से इस प्रकार हैं-
खट्टर सरकार आंदोलन की धार को कुंद करने के लिए कूटनीति का इस्तेमाल भी कर रही है। हवा सिंह सांगवान गुट ने पहले ही खुद को आंदोलन से अलग कर लिया है। सांगवान की अगुवाई वाली आल इंडिया जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में अर्ज़ी दाखिल कर कहा है कि मामले में उसे पार्टी बनाया जाए। सरकार खाप पंचायतों पर भी दबाव बन रही है। कोशिश आंदोलन का आह्वान करने वाले यशपाल मालिक गुट को बाहरी बताकर अलग-थलग करने की है।
कई इलाकों में पुलिस, केंद्रीय सुरक्षा बलों की गश्त जारी है। सरकार और प्रशासन किसी भी तरह फरवरी जैसे हालात नहीं होने देना चाहते। पुलिसवालों को प्रदर्शन के दौरान हथियारों के प्रयोग के बारे में ट्रेनिंग दी जा रही है।
संवेदनशील इलाकों को चिन्हित कर खास नज़र रखी जा रही है। मोबाइल इंटरनेट जैसी सेवाओं को भी बैन करने पर विचार हो रहा है। केंद्रीय बलों की तैनाती के साथ-साथ सेना को भी अलर्ट रहने को कहा गया है। जाटों ने 5 जून से आंदोलन का अल्टीमेटम दिया है।
सोनीपत में मूनक नहर पर पहरा
5 जून से जाटों का धरना चालू होगा लेकिन सोनीपत में मूनक नहर पर पहरा अभी से बिठा दिया गया है। फरवरी में आंदोलन के दौरान दिल्ली का पानी रोककर जाटों ने खट्टर सरकार की नींद हराम कर दी थी। सरकार का दावा है कि इस बार हालात बिगड़ने नहीं दिए जाएंगे। तैयारी भी मुकम्मल है। सरकार ने इसके लिए राज्य में जरूरत के अनुसार आवश्यक व्यवस्थाएं बनाई हैं, जो प्रमुख रूप से इस प्रकार हैं-
- जिले में किसी भी गड़बड़ी के लिए डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट, एसपी व्यक्तिगत तौर पर जिम्मेदार होंगे।
- जिले के मजिस्ट्रेट और पुलिस अफसरों को किसी भी स्थिति से निपटने के लिए लिखित आदेश।
- केंद्रीय सुरक्षा बल पर्याप्त संख्या मौजूद है, जरूरत पड़ी तो और भी मंगवाएंगे, 10 कम्पनियां आ चुकी हैं।
- सेना को भी तैयार रहे के लिए अलर्ट कर दिया गया है।
- संवेदनशील गांवों को चिन्हित कर खास नजर रखी जा रही है।
- मोबाइल इंटरनेट जैसी सेवाओं पर प्रतिबंध पर विचार।
- मूनक नहर की पट्रोलिंग हरियाणा और केंद्रीय सुरक्षा बल मिलकर रहे हैं।
खट्टर सरकार आंदोलन की धार को कुंद करने के लिए कूटनीति का इस्तेमाल भी कर रही है। हवा सिंह सांगवान गुट ने पहले ही खुद को आंदोलन से अलग कर लिया है। सांगवान की अगुवाई वाली आल इंडिया जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में अर्ज़ी दाखिल कर कहा है कि मामले में उसे पार्टी बनाया जाए। सरकार खाप पंचायतों पर भी दबाव बन रही है। कोशिश आंदोलन का आह्वान करने वाले यशपाल मालिक गुट को बाहरी बताकर अलग-थलग करने की है।
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