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This Article is From Jun 16, 2017

घाटी में 'मददगार' : कश्‍मीरियों के लिए पहली बार CRPF की हेल्‍पलाइन, 14411 पर सुरक्षा और सलाह भी

इससे संकट की घड़ी में कश्मीरी लोगों की मदद की जा सकेगी एवं लोगों के सुरक्षा बलों में विश्वास को फिर से बहाल किया जा सकेगा.

घाटी में 'मददगार' : कश्‍मीरियों के लिए पहली बार CRPF की हेल्‍पलाइन, 14411 पर सुरक्षा और सलाह भी
यह हेल्पलाइन नंबर 14411 चौबीस घंटे काम करेगी.
श्रीनगर: केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) शुक्रवार से जम्मू-कश्मीर में एक टॉल फ्री हेल्पलाइन 'मददगार' की शुरुआत करने जा रहा है. इससे संकट की घड़ी में कश्मीरी लोगों की मदद की जा सकेगी एवं लोगों के सुरक्षा बलों में विश्वास को फिर से बहाल किया जा सकेगा. सीआरपीएफ के उपनिरीक्षक एम. दिनाकरन ने बताया कि यह हेल्पलाइन नंबर 14411 चौबीस घंटे काम करेगी. ये लोगों को चिकित्सा, आपातकाल, प्राकृतिक व मानव निर्मित आपदाओं में भी मददगार होगा. उन्होंने कहा कि देश भर में मौजूद कश्मीरी नागरिकों के लिए 'मददगार' एक सेवा का जरिया है. संकट में सहायता करने के अलावा हेल्पलाइन करियर काउंसिलिंग में मदद करेगी. यह सीआरपीएफ की खेलकूद गतिविधियों व अर्धसैनिक बलों में शामिल होने के लिए काउंसिलिंग करेगी.

जम्मू-कश्मीर में जब 1989 में आतंकवाद का दौर शुरू हुआ है, तब से सीआरपीएफ लोगों की मदद के लिए आतंकवाद से मुकाबला कर रही है. करीब सवा तीन लाख तादाद वाली सीआरपीएएफ की 47वीं बटालियन जम्मू-कश्मीर में तैनात है यानी करीब 52 हजार जवान तैनात है. साथ ही सीआरपीएफ कश्मीर में आतंरिक सुरक्षा के लिए प्रमुख फोर्स है.

खासकर कश्मीर में लोगों की आम शिकायत होती है कि वो जरूरत के वक्त मदद के लिए कई बार ना तो पुलिस के पास जा पाते हैं और ना ही सेना के पास. ऐसे में अपनी बात सीधे किसी भी वक्त सीआरपीएफ के टॉल फ्री नंबर पर बता सकते हैं. जैसे ही सीआरपीएफ को शिकायत मिलेगी तो वो तुरंत कार्रवाई करेगी और लोगों को परेशानियों से छुटकारा दिलाएगी. सीआरपीएफ ने एक बयान में कहा कि यह नशीली दवाओं के पीड़ितों की काउंसिलिंग, पर्यटन संबंधी जरूरी सूचना खास तौर से वैष्णव देवी व अमरनाथ यात्रियों को देगी. यह महिला सुरक्षा के कॉल पर भी कार्रवाई करेगी.

हेल्पलाइन का शुभारंभ जम्मू एवं कश्मीर के राज्यपाल एन.एन.वोहरा करेंगे. सीआरपीएफ के मुताबिक ये हेल्पलाइन तभी पूरी तरह सफल हो पाएगी जब राज्य के विभिन्न विभाग मदद के लिए आगे आएं क्योंकि 'मददगार' राज्य और लोगों के बीच एक पुल का काम करेगा. वैसे जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव ने इससे संबधित विभागों को चिट्ठी भेज दी है. यकीनन ये प्रयास लोगों के बीच खोये हुए विश्वास को फिर से कायम करेगा और साथ ही सुरक्षाबलों का एक मानवीय चेहरा भी सामने लाएगा.

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