यह ख़बर 26 जुलाई, 2013 को प्रकाशित हुई थी

इशरत फर्जी मुठभेड़ केस की गुजरात हाईकोर्ट में सुनवाई आज

खास बातें

  • सीबीआई की ओर से पहली चार्जशीट दाखिल होने के बाद इस मामले की आज गुजरात हाइकोर्ट में सुनवाई है। सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए कहा था कि यह वारदात गुजरात पुलिस और आईबी ने मिलकर की थी।
अहमदाबाद:

इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ मामले में सीबीआई की ओर से पहली चार्जशीट दाखिल होने के बाद आज गुजरात हाइकोर्ट में इस मामले की सुनवाई है। सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में इस मुठभेड़ को फर्जी बताया था और कहा था कि यह वारदात गुजरात पुलिस और आईबी ने मिलकर की थी।

सीबीआई की इस चार्जशीट में गुजरात पुलिस के सात अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है। इस मामले में कई लोगों को गवाह बनाया गया है। बताया जा रहा है कि सीबीआई इस मामले में एक और सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल कर सकती है, जिसमें कई और अधिकारियों के नाम शामिल किए जाने की उम्मीद है।

उल्लेखनीय है कि अहमदाबाद के बाहरी इलाके में 15 जून, 2004 को गुजरात पुलिस ने मुंबई से सटे ठाणे जिले के मुंब्रा इलाके की रहने वाली इशरत, जावेद शेख उर्फ प्राणेश पिल्लई, अमजद अली अकबर अली राणा और जीशान जोहर को मौत के घाट उतार दिया था। सीबीआई ने अपने आरोप-पत्र में कहा कि मुठभेड़ में मारे गए चारों लोग पहले से गुजरात पुलिस की हिरासत में थे।

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इशरत और जावेद से तो शहर के बाहरी हिस्से में बने एक फार्म हाउस में पूछताछ भी की गई थी। आरोप-पत्र के मुताबिक, 15 जून 2004 को चारों को कोटरपुर वॉटरवर्क्‍स के पास की एक जगह, जहां कथित मुठभेड़ हुई, पर ले जाया गया और सुनियोजित साजिश के तहत उनकी हत्या कर दी गई। आरोप-पत्र के मुताबिक, पुलिस अधिकारी अमीन, बारोट, ए चौधरी और वंजारा की रक्षा में तैनात पुलिस कमांडो मोहन कलश्व ने उन्हें रोड डिवाइडर के पास खड़ा किया और उन पर गोलियां चलाईं। कलश्व की अब मौत हो चुकी है, जिसकी वजह से उसे नामजद नहीं किया गया।