
प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
भारतीय रेल ने अपने एक निर्देश में कहा कि उसके कर्मचारियों के खिलाफ कदाचार के आरोपों की सतर्कता जांच शुरू करने से पहले निर्णय में त्रुटियों को ध्यान में रखा जाना चाहिए. रेलवे ने बीते 16 नवंबर को जारी किए गए निर्देशों में कहा कि सतर्कता नियमों में ढील देना उसके कर्मचारियों के कामकाज को सुधारने के लिहाज से जरूरी है. निर्देशों में कहा गया, ‘‘फील्ड में काम कर रहे कर्मचारियों को सशक्त किया जाना चाहिए और उनमें विश्वास पैदा करना है ताकि वे नियमों की व्यापक संरचना के दायरे में अपने काम के बेहतरीन हित में निर्णय कर सकें. फील्ड में काम कर रहे कर्मचारियों से बातचीत में यह बात सामने आयी कि प्रक्रियाओं पर अत्यधिक जोर और सतर्कता के अनुचित भय के कारण कई बार संगठन का कामकाज प्रभावित होता है.’’
रेलवे सतर्कता नियमावली 2017 के अनुसार मंत्रालय के मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) और अनुशासनात्मक प्राधिकरण (इस मामले में महाप्रबंधक) सतर्कता मामले में मध्यस्थ हैं. नयी नीति के अनुसार, सीवीओ की ओर से की जाने वाली सतर्कता जांच में किसी कर्मी के खिलाफ मामला दर्ज करने से पहले संबंधित विभाग के अध्यक्ष की राय ली जाएगी.
निर्देशों में कहा गया, ‘‘किसी कर्मचारी के खिलाफ कदाचार के आरोप को किसी पूरी तरह से गलत फैसले, चाहे वह किसी कानून, नीति या समझौते से जुड़ा हो, से अलग करके देखना चाहिए.’’ रेलवे ने कहा कि ये निर्देश ‘सतर्कता जांच संबंधी भय को कम करने’ के लिए जारी किए गए हैं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
रेलवे सतर्कता नियमावली 2017 के अनुसार मंत्रालय के मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) और अनुशासनात्मक प्राधिकरण (इस मामले में महाप्रबंधक) सतर्कता मामले में मध्यस्थ हैं. नयी नीति के अनुसार, सीवीओ की ओर से की जाने वाली सतर्कता जांच में किसी कर्मी के खिलाफ मामला दर्ज करने से पहले संबंधित विभाग के अध्यक्ष की राय ली जाएगी.
निर्देशों में कहा गया, ‘‘किसी कर्मचारी के खिलाफ कदाचार के आरोप को किसी पूरी तरह से गलत फैसले, चाहे वह किसी कानून, नीति या समझौते से जुड़ा हो, से अलग करके देखना चाहिए.’’ रेलवे ने कहा कि ये निर्देश ‘सतर्कता जांच संबंधी भय को कम करने’ के लिए जारी किए गए हैं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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