
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘स्टार्ट अप’ अभियान की शुरुआत से पहले राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार रात कहा कि भारत इस पर देर से ‘जागा’ है और विलंब के लिए उन्होंने खुद को भी जिम्मेदार बताया और कहा कि वह पहले खुद ही प्रशासन में रहे हैं।
सिलिकन वैली के कुछ सीईओ के प्रतिनिधिमंडल से बात करते हुए मुखर्जी ने कहा कि भारत को अगले दस से 15 वर्ष में दस फीसदी की दर से विकास करने की जरूरत है ताकि गरीबी और स्वास्थ्य सुविधाओं जैसे मुद्दे का समाधान किया जा सके।
‘स्टार्ट अप’ अभियान का जिक्र करते हुए उन्होंने सीईओ के प्रतिनिधिमंडल से कहा, ‘आपमें से कुछ ने सही कहा है कि वे (नए उद्यमी) आत्मविश्वास महसूस करते हैं, वे इसे करना चाहते हैं। यह सरकार का काम है कि उद्यमिता बढ़ाने के लिए माहौल तैयार करे। हमने काफी समय लिया है लेकिन हमने यह निर्णय किया है। हम जाग गए हैं।’ ‘स्टार्ट अप’ अभियान का मकसद निचले स्तर पर उद्यमिता को बढ़ावा देना है।
छोटे उद्यमियों के लिए माहौल तैयार करने में हो रहे विलंब पर मुखर्जी ने कहा, ‘मैं किसी को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकता। मुझे जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी क्योंकि मैं काफी समय तक प्रशासन में रहा।’ वह पूर्ववर्ती यूपीए सरकार में वित्त मंत्री रहे थे।
इस पहल के लिए उन्होंने मोदी की प्रशंसा की। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत को अगले 10-15 वर्षों तक दस फीसदी की दर से विकास करने की जरूरत है ताकि देश को गरीबी रेखा से उपर लाया जा सके और शिक्षा, स्वास्थ्य, ढांचागत सुविधा और नौकरियों जैसी न्यूनतम आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके। द इंडस आंतरप्रेन्योर्स के बैनर तले सीईओ के प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति से मुलाकात की और कहा कि उन्होंने भारत में पढ़ाई की लेकिन सिलिकन वैली पहुंचने के बाद ही अमेरिकी सरकार की नीतियों के कारण अच्छा काम कर सके।
उन्होंने मांग की कि भारत को निवेशकों के लिए लाल फीताशाही कम करनी चाहिए और उनका स्वागत करना चाहिए ताकि वे देश में स्टार्ट अप कंपनियों में निवेश कर सकें।
उनसे सहमत होते हुए मुखर्जी ने भारत के कई नोबल पुरस्कार विजेताओं का उदाहरण दिया और कहा कि भारत में प्रतिभा की कमी नहीं है।
बैठक में मौजूद इन्वेंटस कैपिटल के एमडी कंवल रेखी ने कहा, ‘हममें से अधिकतर की पृष्ठभूमि व्यवसाय वाली नहीं रही लेकिन सिलिकन वैली में हम भारतीयों को व्यवसाय के लिए जाना जाता है।’
सिलिकन वैली के कुछ सीईओ के प्रतिनिधिमंडल से बात करते हुए मुखर्जी ने कहा कि भारत को अगले दस से 15 वर्ष में दस फीसदी की दर से विकास करने की जरूरत है ताकि गरीबी और स्वास्थ्य सुविधाओं जैसे मुद्दे का समाधान किया जा सके।
‘स्टार्ट अप’ अभियान का जिक्र करते हुए उन्होंने सीईओ के प्रतिनिधिमंडल से कहा, ‘आपमें से कुछ ने सही कहा है कि वे (नए उद्यमी) आत्मविश्वास महसूस करते हैं, वे इसे करना चाहते हैं। यह सरकार का काम है कि उद्यमिता बढ़ाने के लिए माहौल तैयार करे। हमने काफी समय लिया है लेकिन हमने यह निर्णय किया है। हम जाग गए हैं।’ ‘स्टार्ट अप’ अभियान का मकसद निचले स्तर पर उद्यमिता को बढ़ावा देना है।
छोटे उद्यमियों के लिए माहौल तैयार करने में हो रहे विलंब पर मुखर्जी ने कहा, ‘मैं किसी को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकता। मुझे जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी क्योंकि मैं काफी समय तक प्रशासन में रहा।’ वह पूर्ववर्ती यूपीए सरकार में वित्त मंत्री रहे थे।
इस पहल के लिए उन्होंने मोदी की प्रशंसा की। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत को अगले 10-15 वर्षों तक दस फीसदी की दर से विकास करने की जरूरत है ताकि देश को गरीबी रेखा से उपर लाया जा सके और शिक्षा, स्वास्थ्य, ढांचागत सुविधा और नौकरियों जैसी न्यूनतम आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके। द इंडस आंतरप्रेन्योर्स के बैनर तले सीईओ के प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति से मुलाकात की और कहा कि उन्होंने भारत में पढ़ाई की लेकिन सिलिकन वैली पहुंचने के बाद ही अमेरिकी सरकार की नीतियों के कारण अच्छा काम कर सके।
उन्होंने मांग की कि भारत को निवेशकों के लिए लाल फीताशाही कम करनी चाहिए और उनका स्वागत करना चाहिए ताकि वे देश में स्टार्ट अप कंपनियों में निवेश कर सकें।
उनसे सहमत होते हुए मुखर्जी ने भारत के कई नोबल पुरस्कार विजेताओं का उदाहरण दिया और कहा कि भारत में प्रतिभा की कमी नहीं है।
बैठक में मौजूद इन्वेंटस कैपिटल के एमडी कंवल रेखी ने कहा, ‘हममें से अधिकतर की पृष्ठभूमि व्यवसाय वाली नहीं रही लेकिन सिलिकन वैली में हम भारतीयों को व्यवसाय के लिए जाना जाता है।’
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, स्टार्ट अप इंडिया, पीएम नरेंद्र मोदी, सिलिकन वैली, President Pranab Mukherjee, Startup India, PM Narendra Modi, Silicon Valley