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जमीन और हवा से एटमी हमले की क्षमता के बाद रविवार को भारत ने पनडुब्बी से भी परमाणु मिसाइल दागने की काबिलियत हासिल कर ली है।
परमाणु त्रयी पूरा होने से भारत परमाणु आयुध ले जाने वाली मिसाइलें जमीन, हवा और समुद्र से दागने में सक्षम हो जाएगी।
अंडरवाटर श्रेणी में यह पहली मिसाइल है जिसका विकास पूर्ण रूप से भारत की ओर से किया गया है। इस मिसाइल को पनडुब्बी से भी दागा जा सकता है।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) प्रमुख वीके सारस्वत ने अज्ञात परीक्षण क्षेत्र से कहा, ‘मध्यम दूरी की मारक क्षमता वाली के.5 बैलेस्टिक मिसाइल का पानी के नीचे स्थित पैंटून से सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया और परीक्षण के सभी मापदंड हासिल हुए।’
अधिकारियों ने कहा कि इस मिसाइल के 10 से अधिक परीक्षण पहले हो चुके हैं। के.5 का यह परीक्षण आखिरी था। अमेरिका, फ्रांस, रूस और चीन सहित कुछ चुनिंदा देशों के पास ही इस तरह की मिसाइल क्षमता है।
शांत समंदर के सीने में दबे पांव सरकती पनडुब्बी जो जरूरत के वक्त इतना खतरनाक हो सकती है इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। हमले का फैसला होते ही सारा काम चंद लम्हों में होता है। गहरे समंदर के पानी को चीरते हुए एक मिसाइल चलती है जिसके बारे में अंदाजा लगाना मुश्किल ही नहीं, बल्कि नामुमकिन है।
इस मिसाइल के पीछे आग की लपटें भी नहीं होती और देखते ही देखते मिसाइल सातवें आसमान पर होती है।
यह मिसाइल अपने साथ ले जा रहे एटमी हथियार से दुश्मन के इलाके में दूर तक घुसकर मार करने की ताकत रखती है।
भारत ने यह परीक्षण पूर्वी तट पर बंगाल की खाड़ी में किया है और इसके लिए मीडियम रेंज की मिसाइल इस्तेमाल की गई है।
इससे पहले अभी तक यह तकनीक दुनिया के चंद चुनिंदा देशों के पास ही है।
बेशक, इस तरह का टेस्ट अभी शुरुआतभर है लेकिन जल्द ही इसे देश के एटमी हथियार सिस्टम में शामिल कर लिया जाएगा।
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