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This Article is From Jan 24, 2016

उपलब्धि : भारत ने दक्षिण एशियाई देशों को अल नीनो की चेतावनी देना शुरू किया

उपलब्धि : भारत ने दक्षिण एशियाई देशों को अल नीनो की चेतावनी देना शुरू किया
प्रतीकात्मक चित्र
नई दिल्ली: तापमान और मानसून पर नवीनतम जानकारी देने के बाद अब भारत ने दक्षिण एशियाई देशों को अल नीनो से जुड़ी चेतावनी देना शुरू कर दिया है। भारतीय मौसम विभाग की ओर से जिन दक्षिण एशियाई देशों को अल नीनो से जुड़ी जानकारी उपलब्ध करवाई जा रही है, उनमें श्रीलंका, मालदीव, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान और नेपाल शामिल हैं। यह सेवा म्यंमार को भी दी जा रही है।

हर माह कर रहे अपडेट
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव राजीवन ने कहा, ‘‘हमने सभी दक्षिण एशियाई देशों को अल नीनो के बारे में जानकारी देना शुरू कर दिया है।’’ भारतीय मौसम विभाग के वरिष्ठ मौसमविद एस पाई ने कहा कि इस सूचना को हर माह अपडेट किया जा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘विश्व मौसम संगठन ने भारत को क्षेत्रीय जलवायु केंद्र के रूप में नामित किया है और इसके चलते हम अन्य दक्षिण एशियाई देशों को तापमान और मानसून पर सूचना देते हैं।’’ पाई ने कहा, ‘‘अब हमने अल नीनो से जुड़ी जानकारी देना भी शुरू कर दिया है।’’

यह है अल नीनो
अल नीनो का संबंध गर्म समुद्री जल से है, जो प्रशांत महासागर के केंद्रीय और पूर्वी-केंद्रीय हिस्से में विकसित होता है। इसका असर दक्षिण एशिया समेत कई देशों पर बहुत अधिक पड़ता है, क्योंकि यह मानसून को सीधे तौर पर प्रभावित करता है और इस तरह से इसका सीधा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।

उपमहाद्वीप में अल नीनो ने मानसून पर बहुत ज्यादा असर डाला है और इसके प्रभाव के चलते भारत में लगातार दूसरे साल बारिश बहुत कम हुई। ऐसे में दक्षिण एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के लिए अल नीनो से जुड़ी चेतावनी अहम है, क्योंकि भारत समेत इनमें से अधिकतर देशों में खेती बारिश पर निर्भर है।

चक्रवातों की भी दे रहे जानकारी
भारत द्वारा पाकिस्तान, ओमान, मालदीव, थाईलैंड, म्यंमार, बांग्लादेश और श्रीलंका को उत्तरी हिंद महासागर में पैदा होने वाले चक्रवातों की भी जानकारी दी जाती है। उत्तरी हिंद महासागर के तहत बंगाल की खाड़ी, अंडमान सागर और अरब सागर आते हैं। पिछले साल भारत ने यमन और सोमालिया के साथ भी चक्रवातों से जुड़ी जानकारी साझा की थी। भारत में चक्रवात से जुड़ा एक विशिष्ट केंद्र भी है।

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