
केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा है कि चीन को भारतीय स्थानों के नाम बदलने का कोई अधिकार नहीं है.
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चीन ने अरुणाचल प्रदेश के छह स्थानों के नाम बदले
नायडू ने कहा, अरुणाचल की हर एक इंच जमीन भारत की
सिर्फ नाम बदलने से वह कानूनी वैद्य नहीं हो सकता
वैंकेया नायडू ने कहा, "अरुणाचल प्रदेश की हर एक इंच जमीन भारत की है. भारतीय शहरों का नाम बदलने का हक चीन के पास नहीं है." दरअसल दलाई लामा के अरुणाचल दौरे के ठीक बाद चीन ने यह पहल की.
चीनी सरकार के सरकारी आर्डर में पहला नाम है वो गायनलिंग...शायद ये तवांग शहर के पास बना उर्गेनलिंग मठ है. दूसरी जगह है मेचुका जिसका नाम मेनकूका कर दिया गया है, जहां भारतीय वायु सेना ने हाल में एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड और एक हवाई पट्टी भी बनाई है. तीसरा बूमो ला शायद बुमला है जो तवांग से आधे घंटे के फासले पर है. मिला री शायद तिब्बती संत मिला रेस्पा के नाम पर रखा गया है. एक और इलाके का नाम रखा है कोईदेंगारबो री. आखिरी छठी जगह है नामकापब री जो शायद नामका चू के पास है. यहीं 1962 में भारतीय सेना की सातवीं इन्फेन्टरी ब्रिगेड को चीनी सेना ने बुरी तरह हराया था.
चीन सरकार के कदम पर कड़ा एतराज़ जताते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने कहा कि अरुणाचल भारत का अभिन्न अंग है और किसी भी इलाके का सिर्फ नाम बदलने से वह कानूनी वैद्य कैसे हो सकता है.
अगर चीन आने वाले दिनों में अंतरराष्ट्रीय संस्थानों और सर्च इंजनों पर चीनी शब्दों के प्रयोग के लिए दबाव डालता है तो आने वाले दिनों में भारत और चीन के बीच तनाव और बढ़ेगा. चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि अगले कुछ दिनों में वह अरुणाचल प्रदेश के कुछ और इलाकों के नाम का एलान कर सकते हैं. ज़ाहिर है...दलाई लामा के अरुणाचल दौरे के कुछ ही दिन बाद उठा यह विवाद जल्दी खत्म होगा इसके आसार फिलहाल नहीं दिखाई देते हैं.
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