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This Article is From Jul 08, 2020

30 जून को भारत-चीन के बीच हुआ था समझौता, आज गोगरा से पीछे हटेगी चीनी फौज, पैंगोंग लेक इलाके में गतिरोध बरकरार- सूत्र

India-China Stand-off: देखना यह होगा कि क्या चीनी सेना अपनी पुरानी जगह फिंगर 8 के पीछे जाती है या नहीं? गलवान वैली पैट्रोल प्वाइंट 14, हॉट स्प्रिंग, पैंगोंग त्सो में एलएसी पर 3 किलोमीटर का बफरजोन बनाया जाएगा.

30 जून को भारत-चीन के बीच हुआ था समझौता, आज गोगरा से पीछे हटेगी चीनी फौज, पैंगोंग लेक इलाके में गतिरोध बरकरार- सूत्र
India-China Stand-off: लद्दाख मुद्दे पर बनी सहमति के बाद भारत और चीन के सैनिक पीछे हटने लगे हैं
नई दिल्ली:

India-China Stand-off: 30 जून को भारत और चीन के लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारियों के बीच हुई बैठक में गलवान वैली, हॉट स्प्रिंग, पैंगोंग त्सो और गोगरा में तनाव कम करने के लिए फॉर्मूले पर समझौता हुआ था. सूत्रों ने यह जानकारी दी. एलएसी में जगहों पर भारत और चीन की सेना आमने-सामने है. सूत्रों के मुताबिक, गलवान घाटी और हॉट स्प्रिंग के बाद आज गोगरा से पूरी तरह चीनी सैनिक पीछे हटेंगे. सूत्रों ने कहा कि गलवान और हॉट स्प्रिंग से चीनी सेना के हटाने की पुष्टि सेटेलाइट इमेज से भी हुई है, लेकिन अभी भी पैंगोंग लेक इलाके में गतिरोध बना हुआ है. खासकर फिंगर 4 से आगे पेट्रोलिंग करने भारतीय सेना नही जा पा रही है क्योंकि इसके आगे चीनी सेना जमे हैं.

उन्होंने कहा कि देखना यह होगा कि क्या चीनी सेना अपनी पुरानी जगह फिंगर 8 के पीछे जाती है या नहीं? गलवान वैली पैट्रोल प्वाइंट 14, हॉट स्प्रिंग, पैंगोंग त्सो में एलएसी पर 3 किलोमीटर का बफरजोन बनाया जाएगा. दोनो देशों की तरफ 1.5 किलोमीटर का. फिलहाल के लिए दोनों ही देश बफर जोन में पेट्रोलिंग नहीं करेंगे.  3 चरणों में सेनाओं के पीछे हटने (disengagment) के प्रोसेस के पूरे होने के बाद ही दोनों देशों की सेनाएं बफर जोन में पेट्रोलिंग कर पाएंगी. जिसमें महीने से ज्यादा का समय लग सकता है

सूत्रों ने बताया कि बफर जोन में पैट्रोलिंग नहीं करने का अर्थ हुआ कि भारत पैट्रॉल पॉइंट 14 जहां 15 जून को झड़प हुई थी जिसमें 20 जवान की जान कुर्बान हुई थी, वहां भी पैट्रोलिंग नहीं कर सकेगा. फिलहाल एलएसी से केवल फ्रिक्शन एरिया वाले जगह से ही सेनाये पीछे हटेगी. दो हफ्ते बाद हालात की समीक्षा की जाएगी. 

सूत्रों के मुताबिक, चीन की पीएलए अभी दूसरे चरण जिसमें राकेट, टैंक्स, लांग रेंज गन को पीछे हटाने पर सहमत नहीं हुआ है. सेना अभी आधिकारिक तौर पर कुछ भी कहने से बच रही है. जानकारी के मुताबिक पीछे हटने की प्रक्रिया पूरी तरह वेरिफिकेशन होने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है और उसके बाद ही पेट्रोलिंग शुरू होगी. इसके लिए फिर से दोनों देशों के बीच बैठक होगी.

उन्होंने बताया कि सेना पूरी तरह से अभी चीन पर भरोसा नही कर रही है क्योंकि 1962 में भी चीन गलवान से पीछे हटा था और फिर बाद में हमला कर दिया था. सेना अब सतर्क और चौकस है.  

वीडियो: गलवान घाटी में दो किमी पीछे हटे चीनी सैनिक, सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा

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