नई दिल्ली:
भारत ने आसियान देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक में कहा कि दक्षिण चीन सागर के विवाद का निपटारा आम सहमति से हो। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में आसियान देशों के रक्षा मंत्रियों की तीसरी बैठक में कहा कि दक्षिण चीन सागर से जुड़े सारे देश 2002 के घोषणा पत्र का न केवल पालन करेंगे बल्कि इसे कारगर ढंग से लागू भी करेंगे।
दक्षिण चीन सागर की मौजूदा हालात और वहां चीन के बढ़ते दखल से पैदा हुए हालात से पुरी दुनिया का ध्यान इस तरफ गया है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सीमा में न केवल जहाज आ जा सकते हैं बल्कि उड़ान भी भर सकते हैं और इसके लिए 1982 के संयुक्त राष्ट्र अधिनियम भी इजाजत देता है।
उन्होंने उम्मीद जताई कि दक्षिण चीन सागर में आम सहमति से आचार संहिता का अंतिम रूप दिया जायेगा। दस देशों की इस बैठक में रक्षा मंत्री ने ये भी कहा कि समुद्री सुरक्षा सबके लिए साझा चुनौती है। गौरतलब है कि दक्षिण चीन सागर के बड़े हिस्से पर चीन अपना दावा जताता रहा है जिसका फिलीपिंस, वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई, ताईवान विरोध करते हैं। इन्हें अमेरिका का भी समर्थन हासिल है।
दक्षिण चीन सागर की मौजूदा हालात और वहां चीन के बढ़ते दखल से पैदा हुए हालात से पुरी दुनिया का ध्यान इस तरफ गया है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सीमा में न केवल जहाज आ जा सकते हैं बल्कि उड़ान भी भर सकते हैं और इसके लिए 1982 के संयुक्त राष्ट्र अधिनियम भी इजाजत देता है।
उन्होंने उम्मीद जताई कि दक्षिण चीन सागर में आम सहमति से आचार संहिता का अंतिम रूप दिया जायेगा। दस देशों की इस बैठक में रक्षा मंत्री ने ये भी कहा कि समुद्री सुरक्षा सबके लिए साझा चुनौती है। गौरतलब है कि दक्षिण चीन सागर के बड़े हिस्से पर चीन अपना दावा जताता रहा है जिसका फिलीपिंस, वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई, ताईवान विरोध करते हैं। इन्हें अमेरिका का भी समर्थन हासिल है।
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