जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती ने इशारों-इशारों में अपनी पूर्व सहयोगी बीजेपी को धमकी दी है. पीडीपी में बग़ावत के बीच महबूबा ने कहा कि पीडीपी को तोड़ने की कोशिश न करें वरना कई और सलाउद्दीन पैदा होंगे. आपको बता दें कि सलाउद्दीन आतंकी संगठन हिज़्बुल मुजाहिद्दीन का प्रमुख है. महबूबा ने कहा कि अगर दिल्ली ने 1987 की तरह जम्मू कश्मीर की हुकूमत के वोट पर डाका डालने की कोशिश की तो एक सलाउद्दीन, एक यासीन मलिक ने जन्म लिया. अगर आज दिल्ली से इस तरह की कोशिश हुई तो इसके ख़तरनाक नतीजे होंगे.
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कौन है सैयद सलाउद्दीन?
- हिज़बुल मुजाहिद्दीन का सरगना
- भारत विरोधी आतंकी समूहों का प्रमुख
- NIA की मोस्ट वॉन्टेड लिस्ट में
- यूएस ने ग्लोबल टेररिस्ट घोषित किया है
- कश्मीर समस्या के शांतिपूर्ण समाधान के ख़िलाफ़
- कश्मीर के बडगाम ज़िले का रहनेवाला
- 1987 में श्रीनगर की अमीरा कादल सीट से चुनाव लड़ा
- हार के बाद हिंसक प्रदर्शन की वजह से गिरफ़्तार
- 1989 में जेल से छूटा, हिज़बुल मुजाहिद्दीन में शामिल
- फ़िलहाल पाक के क़ब्ज़े वाले कश्मीर में अड्डा
इससे पहले महबूबा मुफ्ती की सार्वजनिक तौर पर अलोचना करने वाले नेताओं पर कार्रवाई शुरू कर दी थी. पीडीपी ने एक बयान में कहा कि पार्टी के बारामूला जिला अध्यक्ष इरशाद अहमद कार अगली व्यवस्था होने तक बांदीपुरा जिले में पार्टी के मामलों को देखेंगे. विधान परिषद सदस्य रेशी पीडीपी के उन नेताओं में से एक हैं जिन्होंने पिछले महीने पीडीपी-भाजपा सरकार गिरने के बाद पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी थी. रेशी ने मुफ्ती पर भाई-भतीजावाद का आरोप लगाया था और जम्मू-कश्मीर में सत्ता में दो परिवारों के रहने की व्यवस्था बदलने की मांग की थी. रेशी ने मुफ्ती और अब्दुल्ला परिवारों का हवाला दिया था जिन्होंने अधिकतर समय राज्य पर शासन किया है.
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आपको बता दें कि जम्मू एवं कश्मीर की 87-सदस्यीय विधानसभा के लिए वर्ष 2014 में 25 नवंबर और 20 दिसंबर के बीच पांच चरणों में चुनाव करवाए गए थे, जिनमें तत्कालीन सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस की हार हुई, और कांग्रेस के साथ गठबंधन में सरकार चला रही पार्टी को सिर्फ 15 सीटों से संतोष करना पड़ा. दूसरी ओर, वर्ष 2008 में सिर्फ 11 सीटों पर जीती BJP ने इस बार 'मोदी लहर' में 25 सीटें जीतीं और 52 दिन के गवर्नर शासन के बाद पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की PDP को समर्थन देकर सरकार बनवा दी.
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1 मार्च, 2015 को सत्तासीन हुए सईद का जनवरी, 2016 में देहावसान होने के कारण सरकार फिर संकट में आ गई, और राज्य में एक बार फिर गवर्नर शासन लगाना पड़ा. इस बार 88 दिन तक गवर्नर शासन लगा रहने के बाद सईद की पुत्री महबूबा मुफ्ती को समर्थन देकर BJP ने फिर सरकार बनवाई, जो 19 जून को समर्थन वापसी के ऐलान के साथ ही गिर गई है.
VIDEO: महबूबा की केंद्र को चेतावनी- पीडीपी को तोड़ने की कोशिश न करें
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- कश्मीर समस्या के शांतिपूर्ण समाधान के ख़िलाफ़
- कश्मीर के बडगाम ज़िले का रहनेवाला
- 1987 में श्रीनगर की अमीरा कादल सीट से चुनाव लड़ा
- हार के बाद हिंसक प्रदर्शन की वजह से गिरफ़्तार
- 1989 में जेल से छूटा, हिज़बुल मुजाहिद्दीन में शामिल
- फ़िलहाल पाक के क़ब्ज़े वाले कश्मीर में अड्डा
इससे पहले महबूबा मुफ्ती की सार्वजनिक तौर पर अलोचना करने वाले नेताओं पर कार्रवाई शुरू कर दी थी. पीडीपी ने एक बयान में कहा कि पार्टी के बारामूला जिला अध्यक्ष इरशाद अहमद कार अगली व्यवस्था होने तक बांदीपुरा जिले में पार्टी के मामलों को देखेंगे. विधान परिषद सदस्य रेशी पीडीपी के उन नेताओं में से एक हैं जिन्होंने पिछले महीने पीडीपी-भाजपा सरकार गिरने के बाद पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी थी. रेशी ने मुफ्ती पर भाई-भतीजावाद का आरोप लगाया था और जम्मू-कश्मीर में सत्ता में दो परिवारों के रहने की व्यवस्था बदलने की मांग की थी. रेशी ने मुफ्ती और अब्दुल्ला परिवारों का हवाला दिया था जिन्होंने अधिकतर समय राज्य पर शासन किया है.
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1 मार्च, 2015 को सत्तासीन हुए सईद का जनवरी, 2016 में देहावसान होने के कारण सरकार फिर संकट में आ गई, और राज्य में एक बार फिर गवर्नर शासन लगाना पड़ा. इस बार 88 दिन तक गवर्नर शासन लगा रहने के बाद सईद की पुत्री महबूबा मुफ्ती को समर्थन देकर BJP ने फिर सरकार बनवाई, जो 19 जून को समर्थन वापसी के ऐलान के साथ ही गिर गई है.
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