असहिष्णुता पर जावेद अख्तर बोले, मैंने अब तक कोई सांप्रदायिकता नहीं झेली है

असहिष्णुता पर जावेद अख्तर बोले, मैंने अब तक कोई सांप्रदायिकता नहीं झेली है

गीतकार जावेद अख्तर (फाइल फोटो)

इंदौर:

देश में बढ़ती असहिष्णुता को लेकर जारी बहस के बीच मशहूर गीतकार जावेद अख्तर ने शनिवार को कहा कि उन्हें निजी जिंदगी में कभी सांप्रदायिकता का सामना नहीं करना पड़ा। वे  ‘इंदौर साहित्योत्सव’ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

अख्तर ने ‘इंदौर साहित्योत्सव’ में एक श्रोता के सवाल पर कहा, ‘मैंने निजी जिंदगी में अब तक कोई सांप्रदायिकता नहीं झेली है। मैं 20 वर्ष की उम्र में मुंबई पहुंचा था। जिन लोगों ने इस मायानगरी में मुझे काम दिया, वे न तो मेरे रिश्तेदार थे, न ही मेरे वर्ग, प्रदेश और जुबान के थे। इन लोगों ने मुझे केवल इसलिए मौका दिया, क्योंकि उन्हें मेरा काम ठीक लगा था।’

भेदभाव मिटाने की एक ही तरकीब
अख्तर ने कहा, ‘समाज के भेदभावों और पूर्वाग्रहों को मिटाने की एक ही तरकीब है कि आप अपने क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल करें। अगर आप अपने काम को अच्छी तरह करते हैं, तो कोई भी भेदभाव, पूर्वाग्रह, नफरत और सांप्रदायिकता आपका रास्ता नहीं रोक सकेगी। लिहाजा आप हालात का रोना छोड़कर अपने काम में महारत हासिल करने की कोशिश कीजिए।’

आजकल हर बात खुलकर की जाती है
मौजूदा वक्त के मुकाबले गुजरे दौर को हमेशा अच्छा बताने की प्रवृत्ति पर प्रहार करते हुए 70 वर्षीय गीतकार ने कहा, ‘यह कहना बहुत गलत है कि पहले सांप्रदायिकता और भ्रष्टाचार था ही नहीं। दुनिया में खराबियां और बुराइयां हमेशा से रही हैं और आज भी हैं। लेकिन आजकल हर बात खुलकर की जाती है। फिर चाहे वह अच्छी बात हो या बुरी।’

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उन्होंने साहित्योत्सव में मौजूद नौजवानों को संबोधित करते हुए कहा, ‘मेरी पीढ़ी ने आपकी पीढ़ी के साथ यह गड़बड़ की कि हमारे माता-पिता ने साहित्य, भाषा, लोककथाओं और पौराणिक कहानियों का जो खजाना हमें सौंपा था, हम इसे आप तक नहीं पहुंचा सके। हमारी पीढ़ी पैसा कमाने की अंधी होड़ में जुटी रही।’