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This Article is From Feb 15, 2018

बारिश और ओले से फसलें हुई बरबाद, महाराष्‍ट्र-एमपी में नाराज किसानों का प्रदर्शन

ओला गिरने और भारी बारिश से महाराष्ट्र के विदर्भ और मराठवाड़ा के काफी बड़े हिस्से में नुकसान हुआ है. अकेले जालना के 175 गांवों में 95 फीसदी तक ज़मीन पर असर पड़ा है.

बारिश और ओले से फसलें हुई बरबाद, महाराष्‍ट्र-एमपी में नाराज किसानों का प्रदर्शन
नई दिल्‍ली: हाल में भारी बारिश और ओले से मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में लाखों हेक्टेयर की ज़मीन पर फसल बरबाद हो गयी है. अब फसलों के नुकसान का मुआवज़ा न मिलने से नाराज़ किसानों ने राज्य सरकारों के खिलाफ प्रदर्शन तेज़ कर दिया है. ओला गिरने और भारी बारिश से महाराष्ट्र के विदर्भ और मराठवाड़ा के काफी बड़े हिस्से में नुकसान हुआ है. अकेले जालना के 175 गांवों में 95 फीसदी तक ज़मीन पर असर पड़ा है. बुधवार को महाराष्ट्र सरकार ने माना कि राज्य में 1 लाख 80,000 हेक्टेयर का नुकसान हुआ है. महाराष्ट्र के कृषि मंत्री ने एनडीटीवी से कहा, "करीब 1,80,000 हेक्टेयर में ओला और बारिश की वजह से नुकसान हुआ है, हम जल्दी ही नुकसान का सर्वे कर किसानों को हुए नुकसान की भरपाई में मदद करेंगे."

दरअसल ओला गिरने और भारी बारिश में नुकसान मध्य प्रदेश के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में भी काफी हुआ है. बुंदेलखंड के झांसी में प्रभावित किसानों ने दो दिन पहले नेशनल हाईवे जाम कर भारी प्रदर्शन किया था. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसानो को मुआवज़ा देने की बात है. नीति आयोग के स्पेशल सेल ऑन लैंड पॉलिसी के चेयरमैन टी हक मुआवजा न मिल पाने के लिए राज्य सरकारों को ज़िम्मेदार ठहराते हैं.

हक ने एनडीटीवी से कहा, "प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में इस तरह की प्राकृतिक आपदा से होने वाले नुकसान का मुआवज़ा देने का प्रावधान शामिल है. लेकिन कई राज्यों में प्रशासनिक कमज़ोरियों की वजह से प्रभावित किसानों तक मुआवज़ा सही तरीके से समय पर नहीं पहुंच पाता है."

पूर्व कृषि सचिव शिराज़ हुसैन ने भी एनडीटीवी से बातचीत में कहा, "कई राज्यों ने सही तरीके से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को सही तरीके से लागू नहीं किया है. ये बेहद ज़रूरी है कि राज्य सरकारें इंश्योरेन्स कंपनियों को प्रीमियम सब्सिडी का भुगतान समय पर करें और उन्हें क्रॉप कटिंग का डाटा जल्दी उपलब्ध कराएं जिससे किसानों को हुई फसल के मुकसान का समय पर आंकलन जल्दी हो सके." साफ है, संकट बड़ा है...और मुआवज़ा मिलने में और देरी हुई तो किसानों की नाराज़गी और बढ़ सकती है.

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