
जीएसएलवी एमके-3 भारत का अबतक का सबसे वजनी रॉकेट है
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GSLV Mk III रॉकेट का वजन 640 टन है
इस रॉकेट का वजन 200 जवान हाथियों जितना है
रॉकेट 3,136 किलोग्राम के संचार उपग्रह लेकर गया
जीएसएलवी एमके-3 ने उड़ान भरने से पहले भी सेल्फी ली थी. सेल्फी में ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर में इन्फ्रारेड रोशनी दिखाई दे रही हैं. तस्वीरों में दिखाया गया है कि 200 टन के बूस्टर्स जलते हुए धरती पर गिर रहे हैं. फिर यह यान धीरे-धीरे अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित होता हुआ भी दिखाया गया है.
इससे पूर्व फरवरी में लॉन्च किए गए इसरो के पीएसएलवी रॉकेट, जो कि अपने साथ 104 सैटलाइट्स ले गया था, ने भी सेल्फी भेजी थीं.
बता दें कि भारत ने सोमवार को अपने सबसे वजनी जीएसएलवी मार्क-3 रॉकेट को श्रीहरिकोटा से अंतरिक्ष के लिए छोड़ा था. जीएसएलवी मार्क-3 अपने साथ 3,136 किलोग्राम वजनी संचार उपग्रह लेकर गया.
43.43 मीटर लंबा और 640 टन वजनी रॉकेट ने 16 मिनट में अपनी यात्रा पूरी करी और पृथ्वी की सतह से 179 किलोमीटर की ऊंचाई पर जीसैट-19 को उसकी कक्षा में स्थापित किए. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार, इस उपग्रह की कार्य अवधि 10 वर्ष है. इसमें अत्याधुनिक अंतरिक्षयान प्रौद्योगिकी का भी इस्तेमाल किया गया है और यह स्वदेश निर्मित लीथियम ऑयन बैटरी से संचालित होगा.
वहीं जीएसएलवी मार्क-3 त्रिस्तरीय इंजन वाला रॉकेट है. पहले स्तर का इंजन ठोस ईंधन पर काम करता है, जबकि इसमें लगे दो मोटर तरल ईंधन से चलते हैं. रॉकेट का दूसरे स्तर का इंजन तरल ईंधन से संचालित होता है, जबकि तीसरे स्तर पर लगा इंजन क्रायोजेनिक इंजन है.
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