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This Article is From Jul 29, 2017

नीतीश कुमार के फैसले पर उनके क्षेत्र में क्या है लोगों की राय, पढ़ें- ग्राउंड रिपोर्ट

उलझे हुए जातिगत समीकरणों के सहारे राज्य की राजनीति में नीतीश कुमार ने जिस तरह से महागठबंधन से नाता तोड़ बीजेपी के साथ मिलकर दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है इस पर किसी की राय अलग-अलग है

नीतीश कुमार के फैसले पर उनके क्षेत्र में क्या है लोगों की राय, पढ़ें- ग्राउंड रिपोर्ट
फाइल फोटो
बिहार की राजनीति में अचानक हुई उथल-पुथल का असर समाज के हर तबके में साफ देखा जा रहा है. उलझे हुए जातिगत समीकरणों के सहारे राज्य की राजनीति में नीतीश कुमार ने जिस तरह से महागठबंधन से नाता तोड़ बीजेपी के साथ मिलकर दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है इस पर किसी की राय अलग-अलग है और इसकी चर्चा हर चौक-चौराहे पर हो रही है. हमारी टीम इस राजनीतिक परिवर्तन का असर जानने के लिए जब नीतीश कुमार के विधानसभा सीट राजगीर पहुंची तो वहां किसी की अलग- अलग राय देखने को मिली.

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किसने क्या कहा
1- यहां के रहने वाले संजय यादव नीतीश कुमार के फैसले खुश नहीं दिखे. उनका मानना है कि उनकी तरह कई यादव वोटर लालू प्रसाद यादव को अपना नेता मानते हैं. आपको बता दें कि राजगीरी में हर जाति का वोटर है जिसमें दलित, मुस्लिम, अगड़ी जातियां,  कुर्मी  और कोरी शामिल हैं. 
2-  संजय कहना था कि अगर आप किसी के साथ खेती शुरू करते हैं  और फसल तैयार होने के बाद किसी दूसरे के साथ मिलकर काट ले जाते हैं, तो यह कोई स्वीकार करेगा. 
3- इसी इलाके में काड़ा नाम का मुस्लिम बाहुल्य गांव हैं. यहां  भी नीतीश के फैसले पर चर्चा हो रही है. इसी गांव के मोहम्मद शकीब जो कि एक निजी स्कूल में अध्यापक हैं, उनका मानना है कि नीतीश इस फैसले के बाद से थोड़ा और मजबूत हुए हैं. उनका मानना था कि नीतीश के पास संख्या है और बीजेपी का समर्थन है अब लालू इसको सामने कितना टिक पाएंगे यह कठिन है. 
4- राम चंदर सिंह जो कि अगड़ी जाति से आते हैं. उनका कहना है कि नीतीश ने जनादेश का सम्मान नहीं किया है. लेकिन सरकार भी अच्छा काम नहीं कर रही थी. उनका यह फैसला उनके लिए अच्छा है. लेकिन अबकी बार उन्होंने बीजेपी को धोखा दिया तो बर्बाद हो जाएंगे.

Video : विधानसभा में नीतीश और तेजस्वी के बीच जुबानी जंग

एक आंकड़ा यह भी
1- विधानसभा चुनाव 2015 पर नजर डालें तो आंकड़े बताते हैं कि लालू का वोटबैंक पूरी तरह से नीतीश की पार्टी को ही गया था जिसके दम पर जेडीयू 75 सीटें जीतने कामयाब रही थी. जबकि नीतीश का जिन वोटरों पर प्रभाव था वह पूरी तरह से लालू की पार्टी को नहीं गया था.
2- लालू की पार्टी आरजेडी के बाद पिछले 10 सालों में बीजेपी सबसे लोकप्रिय पार्टी रही है.
 

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