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This Article is From Jul 20, 2016

जीएसटी पर पर्दे के पीछे बीजेपी-कांग्रेस की बातचीत जारी, अगले हफ्ते बिल आने की संभावना

जीएसटी पर पर्दे के पीछे बीजेपी-कांग्रेस की बातचीत जारी, अगले हफ्ते बिल आने की संभावना
फाइल फोटो
नई दिल्ली: वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी विधेयक पर कांग्रेस और सरकार के बीच मतभेद कम करने और सहमति बनाने के प्रयास रंग लाते दिख रहे हैं। दोनों ही पक्ष बातचीत के मसौदे और समझौते के प्रारूप के बारे में चुप्पी साधे हुए हैं। ऐसी गोपनीयता बरतने के बारे में दलील है कि ब्योरा बाहर आने से बातचीत पटरी से उतर सकती है। सूत्रों के अनुसार सरकार राज्यसभा में अगले हफ्ते जीएसटी बिल चर्चा के लिए लाने और पास कराने के लिए आश्वस्त दिख रही है।

पिछले शुक्रवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली और संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने संसद भवन में राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद और उपनेता आनंद शर्मा से मुलाकात की थी। इसके बाद वित्त मंत्री ने कहा था कि सरकार आम राय बनाने की कोशिश कर रही है और मॉनसून सत्र के दौरान फिर बातचीत होगी। आजाद ने भी तकरीबन यही बात दोहराई थी।

दोनों पक्ष साधे हुए हैं चुप्पी
मंगलवार को जेटली और शर्मा के बीच संसद के गलियारों में चर्चा हुई, मगर औपचारिक बैठक के बारे में दोनों ही पक्ष चुप्पी साधे हुए हैं। माना जा रहा है कि कैमरों की चकाचौंध से दूर सरकार और कांग्रेस के नेताओं के बीच बातचीत का सिलसिला चल रहा है और आम राय बनाने की कोशिशें हो रही हैं।

बुधवार को कांग्रेस संसदीय दल की बैठक पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी गुजरात की घटनाओं को लेकर मोदी सरकार पर हमलावर थीं, मगर जीएसटी पर कुछ नहीं बोलीं। जीएसटी पर मोदी सरकार से सहयोग न करने के पक्षधर कांग्रेस के कुछ नेता इसे अपनी जीत के तौर पर देख रहे हैं।

कांग्रेस के बिना भी सरकार के पास जरूरी आंकड़ा
कांग्रेस का एक बड़ा धड़ा है, जो चाहता है कि सरकार से सहयोग न किया जाए, क्योंकि जब यूपीए ये बिल पास कराना चाहती थी, तब बीजेपी ने ही सबसे ज्यादा विरोध किया था। लेकिन कांग्रेस के भीतर ही कुछ नेता इस विरोध को लंबा खींचने के पक्ष में नहीं हैं। उनकी दलील है कि पार्टी जीएसटी पर अलग-थलग पड़ गई है। सरकार के पास कांग्रेस के बिना भी जीएसटी राज्यसभा में पास कराने के लिए जरूरी आंकड़ा है। अगर कांग्रेस एक ऐसे बिल का विरोध करती है, जिसे वो खुद ही लाई थी, तो इससे उसकी साख पर भी सवाल खड़ा होगा। कांग्रेस पर बिल का समर्थन करने के लिए अपनी राज्य सरकारों के अलावा व्यापारिक संगठनों का भी दबाव पड़ रहा है।

सरकार के प्रबंधकों का कहना है कि कांग्रेस से सहमति बनने के बाद एक सर्वदलीय बैठक भी बुलाई जा सकती है। लेफ्ट पार्टियां इसके लिए मांग कर चुकी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा है कि सभी से बातचीत करनी चाहिए। अगर सब कुछ ठीक रहा तो अगले हफ्ते जीएसटी राज्यसभा में लाया जा सकता है। सदन की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी इस पर चर्चा के लिए पहले ही पांच घंटे तय कर चुकी है।

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