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This Article is From Feb 22, 2011

गोधरा कांड में 31 आरोपी दोषी करार, 63 बरी

अहमदाबाद: गोधरा में 2002 में साबरमती एक्सप्रेस में आग लगाए जाने की घटना के मामले में विशेष अदालत ने 31 लोगों को दोषी ठहराया, वहीं मुख्य आरोपी मौलाना उमरजी समेत 63 अन्य को बरी कर दिया। गोधरा कांड में 59 लोग मारे गए थे और इसके बाद गुजरात में फैली सांप्रदायिक हिंसा में 1200 से अधिक लोगों की जान चली गई। विशेष अदालत ने अयोध्या से कारसेवकों को लेकर लौट रही साबरमती एक्सप्रेस के कोच में आग लगाए जाने की साजिश की बात को स्वीकार कर लिया। दोषियों को 25 फरवरी को सजा सुनाई जाएगी। अदालत ने मुख्य आरोपी मौलाना उमर जी को बरी कर दिया, वहीं अन्य प्रमुख आरोपी हाजी बिल्ला तथा रज्जाक कुरकुर दोषी करार दिए गए। सरकारी अभियोजक जेएम पांचाल ने साबरमती जेल में विशेष अदालत के फैसले के बाद कहा, विशेष अदालत के न्यायाधीश पीआर पटेल ने 31 आरोपियों को दोषी ठहराया है, वहीं 63 अन्य को बरी कर दिया है। पांचाल ने कहा, 25 फरवरी को सजा पर सुनवाई होगी और बाद में सजा सुनाई जाएगी। अदालत के समक्ष वैज्ञानिक साक्ष्य, गवाहों के बयान, परिस्थितिजन्य तथा दस्तावेजी साक्ष्य पेश किए गए थे, जिनके आधार पर फैसला सुनाया गया। गोधरा नरसंहार के मामले में 94 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के साथ जून, 2009 में साबरमती केंद्रीय जेल में मुकदमा शुरू हुआ था। आरोपियों पर 27 फरवरी, 2002 को यहां से करीब 125 किलोमीटर दूर गोधरा के पास ट्रेन के एस-6 डिब्बे में आग लगाकर आपराधिक साजिश रचने और हत्या करने का आरोप है। घटना में 59 लोग मारे गए थे, जिनमें अधिकतर कारसेवक थे। पांचाल ने अभियोजन पक्ष की साजिश की दलील पर एक सवाल के जवाब में कहा, पेट्रोल लाया गया और ट्रेन को रोका गया। इसके बाद बिजली काटी गई और बड़ी मात्रा में पेट्रोल डाला गया और एस-6 में आग लगा दी गई। क्या वह मामले में दोषियों के लिए मौत की सजा की मांग करेंगे, इसके जवाब में उन्होंने कहा, अभियोजन पक्ष का क्या रुख होगा, इस बारे में इस स्तर पर मैं नहीं बता सकता, लेकिन 25 फरवरी को मैं मेरी आधिकारिक जिम्मेदारी निभाते वक्त सम्मानीय अदालत के समक्ष विनम्रता से बात रखूंगा। क्या अभियोजन पक्ष फैसले से संतुष्ट है, इस पर पांचाल ने कहा, सभी को न्यायिक फैसले का सम्मान करना चाहिए। अदालत के फैसले पर बहस नहीं हो सकती। उन्होंने मामले के प्रमुख आरोपी को बरी किए जाने पर कहा, मौलाना (उमरजी) को इसलिए बरी कर दिया गया, क्योंकि न्यायाधीश को लगा कि वह दोषी नहीं है। फैसले को पूरा पढ़ने के बाद ही यह आधार बताया जा सकता है, जिस पर उसे निर्दोष करार दिया गया।मुकदमे में 253 गवाहों ने बयान दिए और 1500 से अधिक दस्तावेजी साक्ष्य पेश किए गए। मामले में कुल 134 आरोपी थे, जिनमें से 14 को सबूतों के अभाव में छोड़ दिया गया, पांच किशोर थे, पांच की इस दौरान मौत हो गई, 16 फरार हैं और अंतत: 94 के खिलाफ मुकदमा चलाया गया। जिन 94 लोगों पर मुकदमा चलाया गया, उनमें से 80 जेल में हैं और 14 जमानत पर हैं। गोधरा कांड में जांच के लिए नियुक्त दो अलग-अलग समितियों ने विभिन्न विचार रखे थे। नानावती आयोग ने जहां आग लगाने की घटना को जानबूझकर अंजाम दिया गया बताया था, वहीं लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल में रेल मंत्रालय द्वारा नियुक्त एक सदस्यीय यूसी बनर्जी आयोग ने कहा था कि आग दुर्घटनावश लगी थी।

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