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This Article is From Sep 03, 2019

असम: सेना के कई जवानों का NRC लिस्ट में नाम नहीं, एक जवान ने कहा- हम दुश्मनों से लड़ते हैं लेकिन अपने घर में...

फौजी गांव के कई जवानों के नाम एनआरसी लिस्ट में नहीं हैं. एनआरसी लिस्ट को 31 अगस्त को पब्लिश किया गया है.

असम: सेना के कई जवानों का NRC लिस्ट में नाम नहीं, एक जवान ने कहा- हम दुश्मनों से लड़ते हैं लेकिन अपने घर में...
सेना के कई जवानों का NRC लिस्ट में नाम नहीं
असम:

बारापेटा जिले में एक गांव है जिसे फौजी गांव के नाम से जाना जाता है. इस गांव में करीब 200 परिवार रहते हैं और यहां के 20 से ज्यादा जवान आर्मी और पैरामिलिट्री फोर्स में हैं. इस गांव के कई जवानों के नाम एनआरसी (NRC) लिस्ट में नहीं हैं. एनआरसी(NRC) लिस्ट को 31 अगस्त को पब्लिश किया गया है. दिलबर हुसैन के परिवार के कुछ सदस्यों का नाम एनआरसी में नहीं मिला. दिलबर हुसैन सेना में सेवाएं दे रहे हैं. हुसैन के छोटे भाई मिजनूर अली सीआईएसएफ में हैं. एनआरसी लिस्ट में दोनों का ही नाम नहीं है. वहीं उनके बड़े भाई सईदुल इस्लाम का नाम लिस्ट में है जोकि सेना में सूबेदार हैं और उन्होंने कारगिल की लड़ाई भी लड़ी.

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नागरिकता के मुद्दे पर हुसैन ने कहा, 'हम दुश्मनों से लड़ते हैं. हम अपनी आर्मी फैमिली को प्राथमिकता देते हैं लेकिन एनआरसी लिस्ट आने के बाद हम बहुत दुखी हुए हैं. वहां हम सेना के जवान हैं लेकिन यहां अपने घर पर हम भारतीय नागरिकता के लिए लड़ रहे हैं. 

सीआईएसएफ जवान मिजनूर अली ने भी एनआरसी मामले पर नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा, 'वेरिफिकेशन के समय उन्होंने कहा था कि मैं बाहर से प्रवेश करने वाला शख्स हूं और 2003 में बांग्लादेश से आया. आखिर ये कैसे संभव है. जब मैंने सीआईएसएफ ज्वाइन की थी, उस समय डीएसपी ने मेरी उम्मीदवारी को वेरीफाई किया था.' 

कुछ ऐसा ही मामला जवान अजीत अली के साथ हुआ है. उनका नाम पहली और दूसरी लिस्ट में गायब था और अब फाइनल लिस्ट में भी नहीं है. उन्होंने बताया कि उनका पूरा परिवार परेशान है. उन्होंने कहा, 'फाइनल लिस्ट के बाद मेरे पिता रोये. मेरा परिवार कुछ नहीं कह रहा है लेकिन सोच रहा है कि उन्होंने हमें कैसे विदेशी घोषित कर दिया. अब उन्हें क्या करना चाहिए? क्या हम बॉर्डर पर दुश्मनों से लड़ पाएंगे और इस मामले का समाधान कर घर लौट पाएंगे.'

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गांव के सभी लोग चाहते हैं कि इस मसले का जल्द से जल्द समाधान निकाला जाए. सभी का मानना है कि ये जवान गांव के गौरव हैं. स्थानीय निवासी बाबुल खान ने कहा, 'यह फौजियों का गांव है. हम नहीं जानते कि उनका नाम लिस्ट से क्यों हटाया गया. लेकिन अब सरकार को उनके लिए कुछ करना चाहिए.'

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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