
बिमल जालान
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
सरकारी बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के लिए 2.11 लाख करोड़ रुपये की घोषणा.
सरकार के इस कदम का पूर्व RBI गवर्नर बिमल जालान ने किया स्वागत.
इस फैसले को 2014 में ही ले लेना चाहिए था.
नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) द्वारा आयोजित भारतीय अर्थव्यवस्था के 2017-18 के मध्य वर्ष की समीक्षा में बिमल जालान ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में बैंकों का पुनर्पूंजीकरण बहुत ही सकारात्मक कदम है. मगर हमने इसे पहले क्यों नहीं किया. उनका मानना है कि इस फैसले को काफी पहले ही ले लिया जाना चाहिए था. उन्होंने कहा कि यह कदम 2014 में ही उठाया जाना चाहिए था और कहा कि इसमें तीन साल की देरी हुई.
यह भी पढ़ें - रिजर्व बैंक का आदेश : सत्तर साल से अधिक के वरिष्ठ नागरिकों को दिसंबर तक घर पर मिले बैंकिंग सुविधाएं
हालांकि, उन्होंने सरकारी बैंकों का सेहत सुधारने के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की और कहा कि जो भी सरकार की ओर से कार्रवाई की जा रही है, वे सभी बहुत ही सकारात्मक है. सरकारी बैंकों के बढ़ते एनपीए (फंसे हुए कर्जे) पर जालान ने कहा कि इसके तेजी से बढ़ने के कारणों का अध्ययन किया जाना चाहिए.
पूर्व गवर्नर जालान के मुताबिक, केंद्र में बहुमत की सरकार होने के कारण दीर्घकालिक सुधार, कठिन सुधार, राजनीतिक सुधार, आर्थिक सुधार, प्रशासकीय सुधार और सरकारी कंपनियों में सुधार अब काफी व्यवहार्य हैं.
यह भी पढ़ें - आरबीआई को था 2000 और 200 रुपये के नोट जारी करने का हक?
उन्होंने कहा कि यदि भारत को भविष्य में अपनी पूर्ण क्षमताओं का दोहन करना है तो मध्यम और दीर्घकालिक अवधि में कुछ बुनियादी मुद्दों से निपटना आवश्यक है. साथ ही उन्होंने कहा कि हमें समय पर कार्रवाई और क्रियान्वयन सुनिश्चित करना है. राजनीतिक नेतृत्व नौकरशाही और प्रशासनिक सुधारों की प्रगति की निगरानी कर सकता है.
VIDEO - नोटबंदी पर आरबीआई के आंकड़ों पर छिड़ी बहस
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं