जनरल केवी कृष्ण राव का फाइल फोटो
नई दिल्ली:
पूर्व सेना प्रमुख जनरल केवी कृष्ण राव का शनिवार को दिल का दौरा पड़ने के बाद सैन्य अस्पताल में निधन हो गया। उन्होंने 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनकी उम्र 92 साल थी। राव 1989-90 में जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे, जब राज्य में आतंकवाद अपने चरम पर था। वह भारतीय सेना के 14वें प्रमुख थे और सेना में उन्होंने चार दशक से ज्यादा समय तक सेवा दी।
वह 9 अगस्त, 1942 को सेना का हिस्सा बने थे। युवा अधिकारी के तौर पर उन्होंने बर्मा, नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर और बलूचिस्तान में सेवा दी। उन्होंने 1947 में बंटवारे से पहले पूर्वी और पश्चिमी पंजाब दोनों जगहों पर सेवा दी जिस दौरान वहां हिंसा का माहौल था।
राव पाकिस्तान के खिलाफ 1947-48 में जम्मू-कश्मीर में हुए युद्ध में शामिल थे। वह 1949-51 के दौरान राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के संस्थापक प्रशिक्षक थे। सेना ने एक बयान में कहा कि उन्होंने माउंटेन डिवीजन की कमान संभाली थी, जिसने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में हिस्सा लिया था। उन्हें इस युद्ध में असाधारण नेतृत्व, साहस, संकल्प और ऊर्जा दिखाने के लिए परम वशिष्ठ सेवा मेडल से सम्मानित किया गया था।
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने उनके निधन पर शोक जताते हुए कहा, 'देश ने अपने सबसे मशहूर सैन्य नेताओं में से एक खो दिया। वह एक दूरदर्शी थे, जिन्होंने कुशलतापूर्वक नेतृत्व किया, सैनिकों की एक पूरी पीढ़ी को प्रेरित किया और 1980 के दशक की शुरुआत में भारतीय सेना में आधुनिकीकरण की शुरुआत की।
वह 9 अगस्त, 1942 को सेना का हिस्सा बने थे। युवा अधिकारी के तौर पर उन्होंने बर्मा, नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर और बलूचिस्तान में सेवा दी। उन्होंने 1947 में बंटवारे से पहले पूर्वी और पश्चिमी पंजाब दोनों जगहों पर सेवा दी जिस दौरान वहां हिंसा का माहौल था।
राव पाकिस्तान के खिलाफ 1947-48 में जम्मू-कश्मीर में हुए युद्ध में शामिल थे। वह 1949-51 के दौरान राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के संस्थापक प्रशिक्षक थे। सेना ने एक बयान में कहा कि उन्होंने माउंटेन डिवीजन की कमान संभाली थी, जिसने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में हिस्सा लिया था। उन्हें इस युद्ध में असाधारण नेतृत्व, साहस, संकल्प और ऊर्जा दिखाने के लिए परम वशिष्ठ सेवा मेडल से सम्मानित किया गया था।
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने उनके निधन पर शोक जताते हुए कहा, 'देश ने अपने सबसे मशहूर सैन्य नेताओं में से एक खो दिया। वह एक दूरदर्शी थे, जिन्होंने कुशलतापूर्वक नेतृत्व किया, सैनिकों की एक पूरी पीढ़ी को प्रेरित किया और 1980 के दशक की शुरुआत में भारतीय सेना में आधुनिकीकरण की शुरुआत की।
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