हर तीन साल बाद होने वाला विश्व हिंदी सम्मेलन अगली बार भारत में होगा। विश्व हिंदी दिवस के मौके पर दिल्ली में विदेश मंत्रालय के एक कार्यक्रम में बोलते हुए विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने यह जानकारी दी। पिछली बार यह सम्मेलन जोहैनिसबर्ग में हुआ था।
इस मौके पर दूसरे देशों से आए छात्रों ने रंगारंग कार्यक्रम भी पेश किया। जापान, चीन, गुयाना, थाइलैंड, श्रीलंका और रोमानिया जैसे देशों से आए ये छात्र हिंदी पढ़ने भारत आए हैं। ये दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और केंद्रीय हिंदी संस्थान में हिंदी पढ़ रहे हैं, लेकिन साथ ही यहां की कलाएं और संस्कृति भी सीख-देख रही है। इन विदेशी छात्रों ने हिंदी में अपने अनुभव बताए, नृत्य और संगीत पेश किया।
इस अवसर पर विदेशमंत्री ने यह भी कहा कि पहले विदेश मंत्रालय में 'हिंदी बड़ी असंतुलित दिखी। कई अफसर उनसे बोलते तो बड़ी शुद्ध हिंदी में हैं, लेकिन किसी भी फाइल में एक भी टिप्पणी हिंदी में नहीं दिखी। लेकिन यह बदल रहा है।'
आईसीडब्लयूए (इंडियन कॉउंसिल फॉर वर्ल्ड अफेर्स) के अपने एक अनुभव को बताते हुए उन्होंने कहा कि हिंदी में जब उन्हें वहां एक भी लेख नहीं मिला, तो हिंदी में भी लेखों और किताबों का निर्देश दिया।
सुषमा स्वराज ने कहा कि विदेशी मामलों में अंग्रेज़ी भाषा का एकाधिकार नहीं होना चाहिए और हिंदी तो ऐसी भाषा है कि बाकी भारतीय भाषाओं को भी बहनों की तरह साथ लेकर चलती है।
इस अवसर पर मारिशस के उप प्रधानमंत्री शौकत अली सूदन भी मौजूद थे। उन्होंने हिंदी में दिए अपने भाषण में कहा, 'इस भाषा का आशिक हूं। जो आज यहां देखा वह सिर्फ भारत में ही हो सकता है। नहीं आता तो बड़ा अफसोस होता।'
इस कार्यक्रम में कई विदेशी राजनयिक और सांसद भी मौजूद थे।
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