राज्यसभा में बोलीं स्मृति ईरानी, 'क्या सिर्फ एक विचारधारा के छात्रों को बचाया जाना चाहिए?'

राज्यसभा में बोलीं स्मृति ईरानी, 'क्या सिर्फ एक विचारधारा के छात्रों को बचाया जाना चाहिए?'

नई दिल्ली:

स्मृति ईरानी ने कहा, केरल में एक छात्रा अपनी जिंदगी के लिए जंग लड़ रही है। एसएफआई का एक कार्यकर्ता उसे परेशान कर रहा था। वह छात्रा एबीवीपी की कार्यकर्ता है। क्या सिर्फ वैसे बच्चों की हिफाजत होनी चाहिए जो एक खास विचारधारा के हैं और दूसरी विचारधारा के नहीं हैं।

मैंने कभी सार्वजनिक रूप से इस बात को जाहिर नहीं किया, लेकिन मैंने उसकी (रोहित की) मां से भी बात की थी। येचुरी के बारे में रोहित के फेसबुक पेज पर लिखी गई बात के बारे में मेरे पास एक चिट्ठी है। नवंबर 2015 में उसने लिखा, आरक्षण के बारे में येचुरी का बात करना हास्यास्पद है... वह प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण चाहते हैं। मैं इस दुविधा में हूं कि येचुरी अपनी पार्टी को एक प्राइवेट एजेंसी के रूप में देखते हैं। और वह इंतजार कर रहे हैं उस संशोधन का, ताकि वह पार्टी को इस बात के लिए राजी कर सकें कि दलितों को भी उनकी पार्टी में लिया जाए।

बहुतों ने मुझे अनपढ़ मंत्री कहा
ईरानी ने कहा, जब मैं इस सदन में आई तो मैं इस बात को लेकर काफी उत्साहित थी कि यहां मैं राजनीतिक दिग्गजों से मिलूंगी। लेकिन कई लोग हैं जिन्होंने मुझे अनपढ़ मंत्री कहा। मैं यह दावा नहीं करती कि मैं येचुरी जी की तरह विद्वान वक्ता हूं। विश्वभारती के वीसी को हटाए जाने पर बोलते हुए उन्होंने कहा, उन्हें कानून के अनुसार ही हटाया गया।

राष्ट्रवाद पर हुई बहस
इससे पहले राज्यसभा में राष्ट्रवाद पर जमकर बहर हुई। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राष्ट्रवाद पर हुई बहस में सवाल किया कि क्या हम ऐसे लोगों को समर्थन दे रहे हैं, जिनकी सोच ही इस देश के टुकड़े करने की है। क्या कोई कह सकता है कि मकबूल बट और अफजल गुरु को फांसी दिए जाने वाले दिन को याद करते हुए उनका शहीदी दिवस मनाया जाए। एचसीयू और जेएनयू में जिस तरह के कार्यक्रम आयोजित किए गए, हमें उन्हें लेकर अपनी सोच स्पष्ट करनी चाहिए।

जेटली ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, जेएनयू जाने से पहले आपको सोचना चाहिए था, आप तो काफी समय तक सत्ता में रहे हैं। हम तो नए-नए आए हैं। आपके दो नेताओं को आतंकवादियों ने मारा है, आपको इस मामले में हमसे ज्यादा संवेदशील होना चाहिए।

जेटली के एक आरोप पर जवाब देते हुए सीताराम येचुरी ने कहा- मंत्री ने देश के टुकड़े करने की बात करने वालों के समर्थन की बात कही, जबकि हमने अल्ट्रा लेफ्टिज्म को मेन स्ट्रीम में लाने में मदद की।

कुछ गुंडे देशभक्ति सिखा रहे हैं : डीपी त्रिपाठी
एनसीपी नेता डीपी त्रिपाठी ने संसद में हुई बहस के दौरान कहा, मेरी नजर में रोहित वेमुला की मौत संस्थागत हत्या है। एक केंद्रीय मंत्री लिखते हैं कि वह विश्वविद्यालय देश विरोधी गतिविधियों का अड्डा बन चुका है। राष्ट्रीय एकता और भारत की संप्रभुता के लिए पूरी तरह से सहमत होते हुए कहना चाहता हूं कि भय, नफरत और कहल के माहौल के कारण ही ऐसी समस्याएं शुरू होती हैं।

उन्होंने कहा, 'एबीवीपी की रैली में क्या हुआ? दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्रसंघ के अध्यक्ष जो एबीवीपी सदस्य हैं ने कहा कि हम उस कैंपस में घुसकर धोखेबाजों को गोली मारेंगे। क्या यह नफरत फैलाने वाला बयान नहीं है?' त्रिपाठी ने आगे कहा, 'आज हम ऐसी स्थिति में पहुंच गए हैं, जहां अपराधी देशभक्ति सिखा रहे हैं और उनका सम्मान भी हो रहा है।'

जेएनयू की छवि को धूमिल करने की कोशिश हो रही है...
त्रिपाठी ने कहा, 'जेएनयू ने हमेशा से सांप्रदायिक और फासीवादी विचारधारा का विरोध किया है। सत्ता पक्ष के लोग 9 फरवरी की घटना को संस्थान की छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। जब बीजेपी एकता और राष्ट्रवाद की बात करती है तो ऐसा लगता है, जैसे कालनेमी हनुमान चालिसा पढ़ रहा हो।'

जेएनयू से केवल राष्ट्रविरोधी खबरें ही क्यों आती हैं?
बीजेपी सांसद तरुण विजय ने कहा, 'ऐसे समय में जब देश में सभी की आंखें सियाचिन में अपनी जान गंवाने वाले वीर सैनिकों के लिए नम थी, तब जेएनयू में कुछ लोगों के ग्रुप ने राष्ट्रविरोधी नारे लगाए। मैं पूछना चाहता हूं कि जेएनयू जब भी सुर्खियों में आता है तो सिर्फ राष्ट्र विरोधी हरकतों के लिए क्यों आता है। न्यायपालिका पर हमला करना उनकी परंपरा बन गई है।'

केसी त्यागी ने स्मृति ईरानी को दिया जवाब
जेडीयू नेता केसी त्यागी ने मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी के बुधवार के भाषण पर बोलते हुए कहा, आप कहती हैं आपसे किसी ने आपकी जाति नहीं पूछी। आप सही हैं। किसी ने मुझसे भी नहीं पूछी। डीपी त्रिपाठी, नरेश अग्रवाल और राजीव शुक्ला से भी किसी ने नहीं पूछी। लेकिन अंबेडकर से पूछी गई, जगजीवन राम से पूछी गई, कर्पूरी ठाकुर से भी पूछी गई और पीएल पूनिया व कुमारी शैलजा से पूछी गई। यही नहीं मायावती से भी पूछी गई।

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स्मृति ईरानी ने केसी त्यागी को जवाब देते हुए कहा, मैंने कभी जातिवादी बयान नहीं दिया। ये गलत बयान है।