सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर भारत में 'भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के हेट स्पीच को नज़रअंदाज करने' के आरोपों वाले लेख को लेकर भारतीय राजनीति में जबरदस्त हलचल मची हुई है. कांग्रेस-बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है, वहीं अब शशि थरूर के एक बयान को लेकर ट्विटर पर तीन पार्टियों के नेता आपस में उलझ पड़े हैं. दरअसल, कांग्रेस नेता शशि थरूर ने इस मामले में आईटी मामलों की संसदीय स्थायी समिति के सामने सवाल-जवाब के लिए फेसबुक को समन भेजने की बात कही थी. थरूर इस समिति के अध्यक्ष हैं. उनके इस बयान पर जहां तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने उनका समर्थन किया, वहीं बीजेपी सांसद निशिकांत दूबे ने एक ट्वीट कर कहा कि थरूर के पास अनुमति के बिना ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है. दूबे और मोइत्रा, दोनों ही सांसद इस समिति के सदस्य हैं.
बता दें कि 14 अगस्त को अमेरिकी अखबार 'Wall Street Journal' में एक लेख छपा, जिसमें फेसबुक पर आरोप लगे हैं कि फेसबुक भारत में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की ओर से पोस्ट किए जाने वाले हेट स्पीच के पोस्ट को नज़रअंदाज़ करता है. लेख में फेसबुक के एक अधिकारी के हवाले से यह भी कहा गया है कि बीजेपी कार्यकर्ताओं को दंडित करने से 'भारत में कंपनी के कारोबार पर असर पड़ेगा.' लेख में कहा गया है कि फेसबुक ने बीजेपी को लेकर व्यापक पैमाने पर गलत तरीके से प्राथमिकता दी है.
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इस पर थरूर ने कहा था कि आईटी मामलों की संसदीय समिति फेसबुक को जवाबतलबी के लिए समन भेज सकती है. इस पर समिति में शामिल NDA के सदस्यों ने एतराज़ जताया है. जानकारी है कि निशिकांत दूबे ने समिति में बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टियों के सांसदों को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को शशि थरूर के खिलाफ चिट्ठी लिखने का आग्रह किया है.
राहुल गांधी ने रविवार को यह खबर अपने ट्विटर हैंडल से शेयर की थी. इस पर शशि थरूर ने ट्वीट कर कहा था, 'आईटी मामलों की संसदीय समिति इस रिपोर्ट के बारे में फेसबुक का पक्ष जरूर सुनना चाहेगी और जानना चाहेगी कि कंपनी भारत में हेट स्पीच के खिलाफ क्या कदम उठा रही है.' उन्होंने यह भी कहा था कि समिति 'नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा और सोशल/ऑनलाइन न्यूज़ मीडिया प्लेटफॉर्म्स के गलत इस्तेमाल के रोकथाम' मुद्दे पर फेसबुक का बयान दर्ज कराना चाहेगी.
इस पर निशिकांत दूबे ने कहा, 'संसदीय समिति के अध्यक्ष को किसी भी एजेंडे पर समिति के सदस्यों से बातचीत किए बगैर ऐसा कदम उठाने का अधिकार नहीं है. शशि थरूर, समिति और स्पीकर की अनुमति के बिना राहुल गांधी के इस एजेंडे को यहीं रोकिए.' उन्होंने कहा कि 'किसी भी संसदीय समिति के सदस्यों को अपने पार्टी के नेताओं को खुश करने के लिए इसे राजनीतिक लड़ाई का मैदान नहीं बनाना चाहिए.'
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दूबे के इस बयान पर तृणमूल कांग्रेस की सांसद और समिति की सदस्य महुआ मोइत्रा ने भी ट्वीट किया और कहा कि 'बीजेपी फेसबुक के बचाव के लिए कुछ भी करने पर उतारू है.' उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, 'मैं भी समिति की सदस्य हूं. समिति का यह एजेंडा पहले से तय था. साल की शुरुआत में ही स्पीकर की अनुमति के साथ ही इसे लिस्ट किया गया था. कौन से एजेंडा आइटम पर कब सुनवाई होनी है और किसे बुलाना है, यह तय करने का अधिकार अध्यक्ष का है.'
You are absolutely right, @mahuaMoitra,& by imputing motives to my decision, @nishikant_dubey has brought the Committee's work into disrepute, a matter I will take up. Extraordinary that an MP would suggest that a matter of such great public interest should NOT be taken up by us! https://t.co/8pRxZ5r6mU
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) August 17, 2020
शशि थरूर ने मोइत्रा के ट्वीट पर जवाब देते हुए हैरानी जताई कि 'कैसे इतने अहम मुद्दे को समिति द्वारा उठाए जाने पर एक सांसद आपत्ति जता रहे हैं.' उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा करके बीजेपी सांसद ने समिति की छवि को धूमिल किया है. मोइत्रा और थरूर का जवाब देते हुए निशिकांत दूबे ने नियम संख्या 269 पढ़ने की सलाह दी. महुआ मोइत्रा ने जो स्क्रीनशॉट शेयर किया है, उसमें इस नियम के मुताबिक, 'किसी गवाह को महासचिव के हस्ताक्षर वाले आदेश के साथ बुलाया जा सकता है और उसे समिति की ज़रूरत के हिसाब से बताए गए दस्तावेज़ भी उपलब्ध कराने होंगे'. थरूर के कमेंट पर दूबे ने कहा कि 'वक्त बताएगा कि समिति की छवि को किसने बिगाड़ा है.'
Video: खबरों की खबर : BJP-कांग्रेस फेसबुक मामले पर आमने-सामने
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