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This Article is From Dec 11, 2021

विस्तारित रेंज पिनाका रॉकेट प्रणाली का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के बाद एक निजी उद्योग ने इन रॉकेट प्रणालियों का निर्माण किया, जिनका पोखरण में परीक्षण किया गया है.

विस्तारित रेंज पिनाका रॉकेट प्रणाली का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया
DRDO के अनुसार, विभिन्न रेंज और युद्धक क्षमताओं के साथ 24 रॉकेट का परीक्षण किया गया.
नई दिल्ली:

सेना के सबसे शक्तिशाली फायर सपोर्ट सिस्टम में से एक पिनाका एक्सटेंडेड रेंज (पिनाका-ईआर) का शनिवार को सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया.  मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम (MLRS) का दो कंपनियों द्वारा निर्मित रॉकेटों के जरिये परीक्षण किया गया. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने इसकी घोषणा की.  पुणे में एलएंडटी (L&T) और टाटा पावर कंपनी लिमिटेड की साझेदारी के साथ मिलकर पिनाका एमएलआरएस को दो डीआरडीओ प्रयोगशालाओं - आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टाब्लिशमेंट (एआरडीई) और हाई एनर्जी मैटेरियल्स रिसर्च लेबोरेटरी (एचईएमआरएल) द्वारा सफलतापूर्वक विकसित किया गया है.

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रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के बाद एक निजी उद्योग ने इन रॉकेट प्रणालियों का निर्माण किया, जिनका पोखरण में परीक्षण किया गया है.रक्षा मंत्रालय ने कहा, 'डीआरडीओ ने सेना के साथ पिछले तीन दिन तक फील्ड फायरिंग रेंज में कई बार इन रॉकेट का परीक्षण कर इनके प्रदर्शन का मूल्यांकन किया.

मंत्रालय ने कहा, 'इस दौरान विभिन्न युद्धक क्षमताओं के साथ उन्नत रेंज के पिनाका रॉकेट का अलग-अलग रेंज में परीक्षण किया गया. सभी परीक्षण संतोषजनक रहे.' पिनाका-I एमके रॉकेट सिस्टम की मारक क्षमता लगभग 40 किमी है, जबकि पिनाक II संस्करण 60 किमी की दूरी से लक्ष्य को भेद सकता है. पिनाका-ईआर की सीमा का तत्काल पता नहीं चल पाया है. मंत्रालय ने कहा कि विभिन्न रेंज और युद्धक क्षमताओं के साथ 24 रॉकेट का परीक्षण किया गया.

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मंत्रालय ने बताया कि रॉकेट प्रणाली को पुणे स्थित दो डीआरडीओ प्रयोगशालाओं - आयुध अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (एआरडीई) और उच्च ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला (एचईएमआरएल) द्वारा संयुक्त रूप से डिजाइन किया गया है.

बता दें, पिनाका एमएलआरएस की प्रभावशीलता पहली बार 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान प्रदर्शित की गई थी, जब सिस्टम पाकिस्तानी घुसपैठियों के ठिकानों पर गोलीबारी के दौरान कहर बरपा रहा था. 

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