आनंदी बेन पटेल (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की है। सूत्रों के मुताबिक पटेल को उनके मुख्यमंत्री पद से हटाया जा सकता है। मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को हटाए जाने का ऐलान 20 मई के बाद होने की संभावना है और उन्हें राज्यपाल का पद दिया जा सकता है। आनंदी बेन पटेल ने गुजरात में नरेंद्र मोदी की विरासत संभाली थी। इस लिहाज से बीच कार्यकाल में उनका जाना कई सवाल खड़े कर रहा है। आनंदी बेन पटेल ने 22 मई 2014 को शपथ ली थी यानी अगर उन्हें अगले कुछ दिनों में हटाया गया तो वह अपने दो साल भी पूरे नहीं कर पाएंगी। माना जा रहा है कि पाटीदार आंदोलन से निबटने के अलावा कई और मोर्चों पर नाकामी की वजह से आनंदी बेन पटेल को हटाने की बात चल रही है।
पटेल आंदोलन के बेकाबू हालात
सूत्रों के हवाले से ख़बर है कि अगले सीएम की रेस में नितिनभाई पटेल का नाम सबसे आगे है जो फिलहाल गुजरात में स्वास्थ्य मंत्रालय के अलावा कई अहम काम देख रहे हैं। उन्होंने पिछले हफ्ते पीएम से दिल्ली में मुलाकात भी की थी। गौरतलब है कि दो साल पहले जब मोदी ने दिल्ली की कुर्सी संभाली थी, तब उन्होंने ही आनंदीबेन पटेल को गुजरात के लिए चुना था। लेकिन पिछले साल अगस्त में शुरू हुए पाटीदार आंदोलन के दौरान मुख्यमंत्री हालातों को काबू में नहीं रख पाईं और बीजेपी के अपने सबसे मजबूत वोट बैंक के साथ रिश्ते खटास में पड़ गए। इस विफलता के लिए मुख्यमंत्री को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।
पटेल आंदोलन की अगुवाई करने वाले 23 साल के हार्दिक पटेल देशद्रोह के आरोप में पिछले 200 दिनों से जेल की सज़ा काट रहे हैं। 2017 विधानसभा चुनाव में ज्यादा वक्त नहीं रह गया है और बीजेपी अपना राजनीतिक आधार मज़बूत करना चाहती है। वह नहीं चाहती कि बीस साल की सत्ता पर किसी तरह की विपरीत लहर का गलत प्रभाव पड़े। इन सबके बीच पीएम मोदी के करीबी ओम माथुर ने राज्य के राजनीतिक हालातों पर एक रिपोर्ट पेश की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक आनंदीबेन राज्य में हुए पटेल आंदोलन के दौरान परिस्थितियों को संभालने में नाकाम रहीं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि राज्य की इकाई में अंदरूनी लड़ाईयों को जल्द से जल्द खत्म किया जाना चाहिए और राज्य सरकार और बीजेपी के बीच सामंजस्य को मज़बूत करने की जरूरत है।
पटेल आंदोलन के बेकाबू हालात
सूत्रों के हवाले से ख़बर है कि अगले सीएम की रेस में नितिनभाई पटेल का नाम सबसे आगे है जो फिलहाल गुजरात में स्वास्थ्य मंत्रालय के अलावा कई अहम काम देख रहे हैं। उन्होंने पिछले हफ्ते पीएम से दिल्ली में मुलाकात भी की थी। गौरतलब है कि दो साल पहले जब मोदी ने दिल्ली की कुर्सी संभाली थी, तब उन्होंने ही आनंदीबेन पटेल को गुजरात के लिए चुना था। लेकिन पिछले साल अगस्त में शुरू हुए पाटीदार आंदोलन के दौरान मुख्यमंत्री हालातों को काबू में नहीं रख पाईं और बीजेपी के अपने सबसे मजबूत वोट बैंक के साथ रिश्ते खटास में पड़ गए। इस विफलता के लिए मुख्यमंत्री को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।
पटेल आंदोलन की अगुवाई करने वाले 23 साल के हार्दिक पटेल देशद्रोह के आरोप में पिछले 200 दिनों से जेल की सज़ा काट रहे हैं। 2017 विधानसभा चुनाव में ज्यादा वक्त नहीं रह गया है और बीजेपी अपना राजनीतिक आधार मज़बूत करना चाहती है। वह नहीं चाहती कि बीस साल की सत्ता पर किसी तरह की विपरीत लहर का गलत प्रभाव पड़े। इन सबके बीच पीएम मोदी के करीबी ओम माथुर ने राज्य के राजनीतिक हालातों पर एक रिपोर्ट पेश की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक आनंदीबेन राज्य में हुए पटेल आंदोलन के दौरान परिस्थितियों को संभालने में नाकाम रहीं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि राज्य की इकाई में अंदरूनी लड़ाईयों को जल्द से जल्द खत्म किया जाना चाहिए और राज्य सरकार और बीजेपी के बीच सामंजस्य को मज़बूत करने की जरूरत है।
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