
उत्तराखंड में नदियों के खनन में बड़ी हेराफेरी कर सरकारी खजाने में अरबों की चपत लगाने का खुलासा हुआ है। उत्तराखंड में नदियों के किनारे की जमीन नदियों के रफ्तार बदलने की वजह से कभी जलमग्न हो जाती है तो कभी मैदान में बदल जाती है। जमीन जब पानी के अंदर चली जाती है तो उस पर किसानों का मालिकाना हक ख़त्म हो जाता है और ये सरकारी संपत्ति में बदल जाती है। नियम के मुताबिक, किसान इन जमीनों के एवज में सरकार से मुआवजा तो ले सकते हैं, लेकिन उन्हें यहां खनन का अधिकार नहीं होता।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, इन जमीनों की नीलामी होनी चाहिए और उससे होने वाली कमाई सरकारी खजाने में जमा की जानी चाहिए।
आरटीआई से मिली जानकारी से यह खुलासा हुआ है कि राज्य सरकार ने नियमों की अनदेखी कर पट्टा जारी कर किसानों को यहां खनन का अधिकार दे दिया। ऐसे में नदियों से बहकर आई खनन सामाग्री जिस पर राज्य सरकार का अधिकार होना चाहिए उसे लूटा जा रहा है और तो और जिन जमीनों को किसानों ने लोन के नाम पर बैंकों में गिरवी रख दिया है उन जमीनों पर भी खनन का अधिकार किसानों को दे दिया गया है।
खास बात यह है कि जब RTI से इस घोटाले का खुलासा हुआ तब राज्य सरकार ने नीति आयोग की बैठक में इस क़ानून में ही बदलाव की वक़ालत कर दी। दरअसल उत्तराखंड में कोसी, कालसी और गंगा नदियों में बालू, बाजरी और पत्थरों के खनन का कारोबार अरबों रुपये का है।
उत्तराखंड नदी खनन घोटाला
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, इन जमीनों की नीलामी होनी चाहिए और उससे होने वाली कमाई सरकारी खजाने में जमा की जानी चाहिए।
आरटीआई से मिली जानकारी से यह खुलासा हुआ है कि राज्य सरकार ने नियमों की अनदेखी कर पट्टा जारी कर किसानों को यहां खनन का अधिकार दे दिया। ऐसे में नदियों से बहकर आई खनन सामाग्री जिस पर राज्य सरकार का अधिकार होना चाहिए उसे लूटा जा रहा है और तो और जिन जमीनों को किसानों ने लोन के नाम पर बैंकों में गिरवी रख दिया है उन जमीनों पर भी खनन का अधिकार किसानों को दे दिया गया है।
खास बात यह है कि जब RTI से इस घोटाले का खुलासा हुआ तब राज्य सरकार ने नीति आयोग की बैठक में इस क़ानून में ही बदलाव की वक़ालत कर दी। दरअसल उत्तराखंड में कोसी, कालसी और गंगा नदियों में बालू, बाजरी और पत्थरों के खनन का कारोबार अरबों रुपये का है।
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- नदी के बहाव के साथ खेतों में रेत, बजरी और पत्थर आ जाते हैं
- इस रेत, बजरी और पत्थर पर सरकार का अधिकार होना चाहिए
- उत्तराखंड सरकार ने इसे किसानों की संपत्ति बताया है
- किसानों को चुगान या खनन की इजाज़त दे दी गई है
- चुगान ज़मीन के ऊपर से रेत, बजरी या पत्थर चुनने को कहते हैं
- खनन ज़मीन के नीचे से खुदाई को कहा जाता है
- सुप्रीम कोर्ट का आदेश, चुगान या खनन सरकार करेगी
- सरकार चुगान या खनन कर इसे नीलाम करेगी
- नदी के किनारे डूबे खेत सरकारी संपत्ति
- नदी से जिन खेतों का कटाव होता है वह भी सरकारी संपत्ति है
- ऐसी स्थिति में किसानों का अधिकार खेत से समाप्त हो जाता है
- किसान इसके लिए सिर्फ़ मुआवज़ा ले सकते हैं
- किसान खनन का पट्टा नहीं ले सकते
- इनमें से ऐसी भी जमीन है जिन्हें किसानों ने बैंक में गिरवी रख दिया है
- उन खेतों में अवैध रूप से खनन का अधिकार किसानों को दिया गया
- RTI से ख़ुलासे के बाद राज्य सरकार ने लीपापोती की कोशिश की
- राज्य सरकार ने घोटाले पर पर्दा डालना शुरू किया
- नीति आयोग में राज्य सरकार ने नियम बदलने की बात कही
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