राजस्थान से स्पेशल रिपोर्ट : समाज कल्याण से जुड़ी योजनाओं को आधार से जोड़ने से महिलाओं को हुआ फायदा

राजस्थान से स्पेशल रिपोर्ट : समाज कल्याण से जुड़ी  योजनाओं को आधार से जोड़ने से महिलाओं को हुआ फायदा

जयपुर:

राजस्थान देश के उन राज्यों में से एक है, जिसने सारी समाज कल्याण योजनाओं की डिलीवरी ऑनलाइन करने की पहल की है. इसका जरिया है आधार या राजस्थान का अपना भामाशाह कार्ड, जिसके तहत वृद्धा पेंशन, मनरेगा का भुगतान , राशन, छात्रवृत्ति समेत 163 समाज कल्याण की योजनाओं के तहत भुगतान सीधा लाभार्थी को पहुंचाया जा सकता है. एक  single window delivery system के तहत ऑनलाइन ट्रांसफर के कई फायदे हैं. गरीबों तक पहुंचने वाली कल्याणकारी योजनाओं से बिचौलियों को हटाना, लेकिन साथ ही अपने पैसे अपने हाथ में पाकर गांव की गरीब अनपढ़ महिलाओं को एक आत्मा सम्मान का अहसास होने लगा है.
 
जैसे 70 साल की शांति देवी, जिनका गुज़ारा मनरेगा की मज़दूरी और हर महीने आने वाली वृद्धा पेंशन से होता है. पति कई साल से अपाहिज हैं. इनके पास सिर्फ 4 बीघा ज़मीन है और कुछ बकरियां. पहले डाकिया घर पर आकर परिवार के किसी भी सदस्य को शांति देवी की कमाई थमा जाता था, लेकिन आधार से जुड़ने के बाद यह सब बदल चुका है. 

पहले हमें पता ही नहीं चलता था कि हमारी पेंशन आ गई है, डाकिया आता और अगर मैं घर में नहीं मिलती तो बेटा या बहू को दे जाता. अब यह हुआ है कि पेंशन मुझे मिलती है और अगर मेरी बेटी घर पर आती है तो मैं अपने पैसों से 100  रुपये निकल के कम से कम उससे एक प्याला चाय तो पीला सकती हूं.

शांति जैसी कई बुज़ुर्ग महिलाएं जो अपने परिवार पर निर्भर हैं को इस व्यवस्था से एक नया सम्मान मिला है. उनका पैसे उनके हाथ में हैं. पहले अगर बुज़ुर्ग महिलाओं के पास पैसे थे तो कोई भी दारू पीने वाला या कोई घर वाला उनसे लड़-झगड़ कर पैसे ले सकता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होता. अब तो कार्ड के जरिए ही बैंक से पैसे निकले जाते हैं. यह कहना है कैलाशी का जो एक विधवा हैं और पिछले 7 साल से विधवा पेंशन पर निर्भर है.

आधार से महिलाओं को जोड़ कर सरकार महिला और शिशु स्वास्थ्य को लेकर भी सकारात्मक क़दम उठा सकती है.गांव के प्राथमिक चिकित्सा केंद्र में हर महिला को जननी सुरक्षा के तहत 1400 रुपये मिलते हैं, लेकिन इसके लिए इस स्वास्थ्य केंद्र पर 48 घंटे मां और शिशु को प्रसव के बाद रुकना ज़रूरी होता है. इन 48 घंटों में मां और शिशु मृत्यु दर सबसे अधिक होती है. मां और बच्चे को अस्पताल में रोक कर डॉक्टर्स चाहते हैं कि महिला शिशु मृत्यु दर पर काबू पाया जाए. 

अजमेर ज़िले के केकड़ी ब्लॉक के  CMHO डॉ कैलाश चंद मित्तल ने बताया कि मरीज को कहीं जाने की जरूरत नहीं है. अस्पतला छोड़ने पर उनका पैसा अपने आप उनके अकाउंट में ट्रांसफर हो जाता है. हम उन्हें न कैश देते हैं औऱ न चेक. आधार से जुड़ने की वजह से समाज कल्याण की योजनाएं सही लाभार्थियों तक पहुंच रही हैं.


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