लोकसभा चुनाव 2019 : क्या कांग्रेस सहित विपक्ष की यह एक बड़ी रणनीतिक चूक है?

Election 2019 : 6 मई यानी सोमवार को पांचवे चरण का मतदान होना है. इस पूरे चुनाव में विपक्ष के सामने सबसे बड़ी चुनौती कि वह कैसे बीजेपी के खिलाफ पड़ने वाले वोटों को बिखरने से रोके.

लोकसभा चुनाव 2019 : क्या कांग्रेस सहित विपक्ष की यह एक बड़ी रणनीतिक चूक है?

6 मई को 5वें चरण का मतदान होगा (फाइल फोटो)

खास बातें

  • बीजेपी के खिलाफ पड़े वोट बंट सकते हैं
  • कई अहम सीटों का अंकगणित
  • बीजेपी को हो सकती थी बड़ी मुश्किल

6 मई यानी सोमवार को लोकसभा चुनाव (Election 2019) के पांचवे चरण का मतदान होना है. इस पूरे चुनाव में विपक्ष के सामने सबसे बड़ी चुनौती कि वह कैसे बीजेपी के खिलाफ पड़ने वाले वोटों को बिखरने से रोके. चुनाव की घोषणा से पहले कांग्रेस ने विपक्षी एकता की बड़ी कोशिश कीं और सभी दलों को यूपीए में लाने की कोशिश भी की. लेकिन ऐसा हो नहीं पाया. उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा और आरएलडी मिलकर अलग चुनाव लड़ रहे हैं तो पश्चिम बंगाल में भी टीएमसी नेता ममता बनर्जी ने भी कांग्रेस को भाव नहीं दिया. वहीं आंध्र प्रदेश में टीडीपी ने भी कांग्रेस की बात नहीं  मानी. हालांकि बिहार में कांग्रेस आरजेडी ने कई छोटे दलों के साथ गठबंधन किया है. लेकिन बीजेपी+जेडीयू+एलजेपी का वोट बैंक इस महागठबंधन पर भारी पड़ रहा है. बात करें उन सीटों की जहां अगर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल साथ मिलकर लड़ते तो बीजेपी के लिए बड़ी मुश्किल हो जाती. अब कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी इस बात की सफाई दे रही हैं कि उत्तर प्रदेश उनकी पार्टी 'वोटकटवा' नहीं है और वह कभी बीजेपी के मदद के बारे में सोच भी नहीं सकती हैं. वहीं आपको याद होगा कि सहारनपुर की रैली में  बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने भी मुस्लिमों से कहा था कि वे कांग्रेस को वोट देकर अपना मत खराब न करें. उनके इस बयान पर बवाल भी मचा था और चुनाव आयोग से भी शिकायत की गई थी. 

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वाराणसी : कांग्रेस की ओर से इशारा किया जा रहा था कि प्रियंका गांधी यहां से पीएम मोदी के खिलाफ लड़ सकती हैं और वह विपक्ष की संयुक्त प्रत्याशी हो सकती हैं. लेकिन अंदरुनी खबर है कि मायावती इसके लिए तैयार नहीं हुई. फिलहाल अब कांग्रेस से अजय राय और सपा-बसपा से शालिनी यादव मैदान में हैं. शालिनी से पहले सपा ने बीएसफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर को समर्थन करने का ऐलान किया था लेकिन बाद में चुनाव ने उनका नामांकन खारिज कर दिया. 

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लखनऊ : बीजेपी की गढ़ कही जाने वाली इस सीट पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह, सपा से पूनम सिन्हा और कांग्रेस ने प्रमोद कृष्णम को उतारा है. इस त्रिकोणीय लड़ाई में बीजेपी को फायदा हो सकता है क्योंकि पार्टी के खिलाफ पड़ने वाला एकमुश्त न जाकर कांग्रेस और सपा में बंट सकता है.  

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सहारनपुर : सहारनपुर में मतदान पहले ही चरण हो चुका है. महागठबंधन ने इस सीट से फजलुर रहमान, कांग्रेस ने इमरान मसूद और बीजेपी ने मौजूदा सांसद राघव लखनपाल को टिकट दिया है. माना जा रहा है कि इस सीट पर मुस्लिम वोट महागठबंधन और इमरान मसूद के बीच बंट सकते हैं इसका फायदा बीजेपी उम्मीदवार को मिल सकता है.

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मुरादाबाद : मुरादाबाद में महागठबंधन ने एसटी हसन और कांग्रेस ने इमरान प्रतापगढ़ी को उतारा है. बीजेपी ने कुंवर सर्वेश कुमार को टिकट दिया है. इस सीट पर भी मुस्लिम वोट बंट सकते हैं जिसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है.

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बेगूसराय : कांग्रेस यहां सीपीआई के उम्मीदवार कन्हैया कुमार को समर्थन दे रही है. आरजेडी ने तनवीर हसन को उतारा है और बीजेपी की ओर से गिरिराज सिंह मैदान में हैं. इस बड़े मुकाबले में बीजेपी के खिलाफ पड़ने वाला वोट बिखर सकता है. 

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हरियाणा : इस सीट पर बीजेपी की ओर से केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह के बेटे ब्रजेंदर सिंह, कांग्रेस से भव्य बिश्नोई और जननायक जनता पार्टी से दुष्यंत चौटाला मैदान में हैं. चौटाला को आम आदमी पार्टी का समर्थन है. इस सीट पर भी बड़ा मुकाबला है. लेकिन वोटों का बिखराव बीजेपी को फायदा पहुंचाएगा. 

दिल्ली : इसी तरह दिल्ली में भी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के गठबंधन नहीं हो पाया है. यहां पर भी कई सीटों पर अंक गणित ऐसा है कि अगर दोनों पार्टियां मिलकर चुनाव लड़ती तो बीजेपी के लिए मुश्किल हो जाती

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