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This Article is From Jan 31, 2020

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया आर्थिक सर्वे, साल 2020-21 के लिए GDP का अनुमान 6 से 6.5 फीसदी

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सदन में आर्थिक सर्वे कर दिया है. आपको बता दें कि आर्थिक सर्वे के तहत देश की आर्थिक हालत का पूरा ब्यौरा पेश किया जाता है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया आर्थिक सर्वे, साल 2020-21 के लिए GDP का अनुमान 6 से 6.5 फीसदी
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक सर्वे पेश कर दिया है.
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देश की जीडीपी 6.5 फीसदी आंकी गई
सदन में पेश हुआ आर्थिक सर्वे
वित्त मंत्री ने पेश किया
नई दिल्ली:

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में आर्थिक सर्वे कर दिया है. जिसमें साल 2020-21 के लिए जीडीपी का अनुमान 6 से 6.5 फीसदी आंका गया है. आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर पांच प्रतिशत रहने का अनुमान है. साथ ही आर्थिक वृद्धि को तेज करने के लिये चालू वित्त वर्ष के राजकोषीय घाटा लक्ष्य में ढील देनी पड़ सकती है. आर्थिक सर्वेक्षण में देश में व्यवसाय करने को आसान बनाने के लिए और सुधार करने का आह्वान किया गया है. सर्वे में मुताबिक सरकार को चुनाव में मिले जनादेश का इस्तेमाल करते हुए आर्थिक सुधार की प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाना चाहिए.  भारतीय अर्थव्यवस्था पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो मंदी है उसका बुरा असर पड़ा है . इस साल के पहली दो तिमाही में  आर्थिक विकास दर में गिरावट हुई है लेकिन साल के दूसरे हिस्से में अर्थव्यवस्था में सुधार की संभावना है . उम्मीद है कि 2019-2020 के दूसरे हिस्से में अर्थव्यवस्था में सुधार दर्ज होगा.  इसके साथ ही नया कारोबार शुरू करने, संपत्ति पंजीकरण, कर भुगतान और अनुबंधों के प्रवर्तन को सुगम करने के लिए उपायों की जरूरत बताई गई है. आर्थिक समीक्षा में सरकारी बैंकों की संचालन व्यवस्था में सुधार और भरोसा कायम करने के लिए और अधिक सूचनाएं सार्वजनिक रूप से प्रकाशित करने पर जोर देने के लिए कहा गया है.

आपको बता दें कि आर्थिक सर्वे के तहत देश की आर्थिक हालत का पूरा ब्यौरा पेश किया जाता है. साल भर में देश में विकास का ट्रेंड क्या रहा, किस क्षेत्र में कितना निवेश हुआ, किस क्षेत्र में कितना विकास हुआ, किन योजनाओं को किस तरह अमल में लाया गया, जैसे सभी पहलुओं पर इस सर्वे में सूचना दी जाती है. अर्थव्यवस्था, पूर्वानुमान और नीतिगत स्तर पर चुनौतियों संबंधी विस्तृत सूचनाओं का भी इसमें समावेश होता है. इसमें क्षेत्रवार हालातों की रूपरेखा और सुधार के उपायों के बारे में बताया जाता है. मोटामोटी तौर पर, यह सर्वेक्षण भविष्य में बनाई जाने वाली नीतियों के लिए एक दृष्टिकोण का काम करता है.

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आर्थिक सर्वेक्षण चूंकि देश की आर्थिक स्थिति का आईना होता है, इसलिए इसके जरिए आगामी बजट में किन क्षेत्रों पर फोकस किया जाएगा, इसकी एक झलक मिल जाती है. हालांकि, यहां बता दें कि यह सर्वे केवल सिफारिशें हैं और इन्हें लेकर कोई कानूनी बाध्यता नहीं होती है. सरकार इन्हें केवल निर्देशात्मक रूप से लेती है. आर्थिक सर्वेक्षण मुख्य आर्थिक सलाहकार के साथ वित्त और आर्थिक मामलों की जानकारों की टीम तैयार करती है. इस बार यह जिम्मेदारी मुख्य आर्थिक सलाहकार के. सुब्रमण्यम और उनकी टीम के पास थी.

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