देश का आर्थिक सर्वे 2019-20 पेश हो चुका है. इसमें साल 2020-21 के लिए विकास दर 6 से 6.5 फीसदी का अनुमान लगाया गया है. मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में मंदी की प्रमुख वजह वैश्विक अर्थव्यवस्था में गिरावट है. इसके साथ ही उन्होंने अगर देश के रुपया डिफाल्टर डुबोते नहीं तो सामाजिक क्षेत्र में और खर्च किया जा सकता था. उन्होंने कहा उद्योगपतियों का पूंजी निर्माण सभी लोगों को लाभ पहुंचाता है. उन्होंने कहा कि साल 2013 से 17 में निवेश में कमी आई है. मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि जिन कंपनियों ने 2008-12 के बीच लोन ने लिया उन्होंने बाद में निवेश नहीं किया. वहीं इस बार के सर्वे में आम लोगों की थाली की कीमत का भी जिक्र किया गया है.
5 बड़ी बातें
शाकाहारी थाली 2015-16 के मुकाबले सस्ती हुई है लेकिन दाल और सब्जियों के दाम बढ़ने से अप्रैल-अक्टूबर 2019 में शाकाहारी थाली के दाम बढ़े हैं.
2015-16 तक औसत 5 सदस्यों वाले परिवार में दो बार के भोजन के लिए प्रति व्यक्ति सालाना 10887 रुपया ज्यादा खर्च करना पड़ा है. यानी 2015-16 के बाद सालाना 10887 का फायदा प्रति व्यक्ति एक परिवार को हुआ है.
वहीं नॉन वेज थाली में 11787 रुपये का फायदा 5 सदस्यीय परिवार को हुआ है.
औद्योगिक श्रमिक की पांच सदस्यीय परिवार के लिए दो थालियां खरीदने की भी जांच हुई है.
शाकाहारी थाली खरीदने की क्षमता 2006-07 से 2019-20 में 29 फीसदी का सुधार हुआ है वहीं नॉनवेज थाली में 18 फीसदी का सुधार हुआ है.