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This Article is From Feb 18, 2011

उड़ीसा में बंधक जिलाधिकारी का अभी तक सुराग नहीं

भुवनेश्वर: उड़ीसा सरकार ने नक्सलियों द्वारा अगवा मलकानगिरी के जिलाधिकारी आर. विनील कृष्णा और जूनियर इंजीनियर पवित्र मोहन माझी की सकुशल रिहाई के लिए शुक्रवार को नक्सलियों से अपने 48 घंटे के समय सीमा को बढ़ाने का अनुरोध किया। सरकार ने साथ ही नक्सलियों के साथ वार्ता शुरू करने के लिए दो शिक्षाविदों को मोर्चे पर लगाया है। उधर, नक्सलियों ने कृष्णा और माझी की रिहाई के लिए अपनी नई मांगें रखी हैं। जबकि इस मुद्दे को लेकर विपक्षी विधायकों ने उड़ीसा विधानसभा में हंगामा किया। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने नक्सलियों से भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी को नुकसान न पहुंचाने की अपील की है। जिलाधिकारी को रखे गए स्थान के बारे में अभी कोई सुराग नहीं मिल सका है। पटनायक ने पत्रकारों से कहा, "हम नक्सलियों से सम्पर्क कायम करने की प्रक्रिया के प्रयास में हैं। मैं अगवा करने वाले लोगों से अपील करता हूं कि वे अपनी समय सीमा जो शाम को समाप्त हो रही है, उसे बढ़ाएं।" राज्य के मुख्य सचिव बीके पटनायक ने कहा कि सरकार बंधक संकट से निजात पाने के लिए संबलपुर विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर (सेवानिवृत्त) आर. सोमेश्वर राव एवं केंद्रीय विश्वविद्यालय (हैदराबाद) में प्रोफेसर हरगोपाल से मध्यस्थता के लिए बातचीत कर रही है। उन्होंने कहा, "हमने उन्हें मध्यस्थता करने को कहा है।" सरकार ने मध्यस्थता करने वालों के नाम तब उजागर किए, जब मीडियाकर्मियों के एक गुट ने खबर दी कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के आंध्र-उड़ीसा बॉर्डर स्टेट जोनल कमेटी (एओबीएसजेड) ने वार्ताकारों के नाम सुझाए हैं। नक्सलियों ने कृष्णा एवं माझी को बुधवार शाम को अगवा किया था और दोनों की सशर्त रिहाई के लिए 48 घंटे का समय दिया था, जो शुक्रवार शाम खत्म होने जा रहा है। प्रदेश के गृह सचिव यूएन बेहरा ने कहा कि उन्होंने सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश से चर्चा की है और कुछ बातचीत हुई है। बेहरा ने कहा, "मैंने उनसे बात की है और वह मध्यस्थता करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने नक्सलियों के कुछ प्रमुख नेताओं से बातें की हैं।" इस बीच, नक्सलियों ने मलकानगिरी का सड़क मार्ग से सम्पर्क तोड़ दिया है और उन्होंने कृष्णा और माझी की रिहाई के लिए नई मांगें रखी हैं। नक्सलियों ने पहले अपने खिलाफ चलाए जा रहे अभियान को रोकने और गिरफ्तार सभी नक्सलियों की रिहाई की मांग की थी। उनकी इस मांग के बाद सरकार ने राज्य भर में नक्सलियों के खिलाफ अभियान को रोक दिया। जिले के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि नक्सलियों ने मीडिया को बांटे गए पर्चो में अपनी नई मांगें रखी हैं। यह पर्चे तेलुगू भाषा में लिखे गए हैं। अपनी पांच मांगों में नक्सलियों ने नक्सल विरोधी अभियान ग्रीन हंट रोकने, सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा करने, बहुराष्ट्रीय कम्पनियों से किए गए समझौते रद्द करने और पुलिस हिरासत में मारे गए नक्सल समर्थकों के परिवारों को मुआवजा देने की मांगें रखी हैं। कृष्णा की सकुशल रिहाई को लेकर उनके शुभचिन्तक और सामाजिक कार्यकर्ता सोशल नेटवर्किं ग वेबसाइट 'फेसबुक' पर सन्देश जारी कर रहे हैं। जबकि मलकानगिरी, कोरापुट, फूलबनी और बालीगुड़ा सहित राज्य के कई हिस्सों में लोगों ने कृष्णा और मांझी के समर्थन में शुक्रवार को रैलियां निकाली। वहीं जिलाधिकारी और जूनियर इंजीनियर को अगवा किए जाने की घटना का असर शुक्रवार को उड़ीसा विधानसभा में भी देखने को मिला। विपक्षी दलों ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह बंधकों को छुड़ाने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस सदस्यों ने विधानसभा अध्यक्ष के आसन के समीप आकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। सत्ताधारी पार्टी के सदस्यों द्वारा हंगामा कर रहे विधायकों को अध्यक्ष के आसन तक पहुंचने से रोकने के समय दोनों पक्षों के बीच हल्की हाथापाई भी हुई। हंगामा जारी रहने से विधानसभा अध्यक्ष प्रदीप अमात ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी। जिलाधिकारी कृष्णा बुधवार को वह बडापडा गांव में एक बैठक के बाद विकास परियोजनाओं का निरीक्षण करने के लिए बिना सुरक्षाकर्मियों के जा रहे थे इसी दौरान करीब छह हथियारबंद नक्सलियों ने उन्हें अगवा कर लिया।

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