दिल्ली हाईकोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
आम आदमी पार्टी के विधायकों को अयोग्य ठहराने के मामले में अयोग्य विधायकों ने दिल्ली हाईकोर्ट में जवाब दाखिल किया. साथ ही विधायकों ने चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए कहा कि इस मामले में चुनाव आयोग प्राइवेट लिटिगेंट की तरह बर्ताव कर रहा है. उसके हलफनामे में कई खामियां हैं. चुनाव आयोग समेत सभी अर्ध न्यायिक संस्थाओं को संवैधानिक सीमाओं मे रहना होता है.
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आप विधायकों के हलफनामें में विधायकों ने कहा कि संविधान रूल ऑफ लॉ यानी कानून का शासन कहता है रूल ऑफ मैन नहीं. चुनाव आयोग ने खुद मान लिया कि उसने अयोग्य करार विधायकों को सुनवाई का मौका नहीं दिया जो प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है. चुनाव आयोग अपने अधिकार का दुरुपयोग कर रहा है.
हलफनामें में कहा गया है कि 'अस्थाई सरकारी कर्मचारी को भी कदाचार के मामले में पूरी तरह सुने बिना नहीं निकाला जा सकता, लेकिन यहां विधानसभा के 20 सदस्यों को लाभ के पद पर उनका स्पष्टीकरण सुने बिना अयोग्य करार दे दिया गया. ये चुनाव आयोग द्वारा कानून का दुरुपयोग है.
जवाब में विधायकों ने कहा कि चुनाव आयोग ने गलत बयानी की है कि याचिकाकर्ताओं ने राष्ट्रपति के आदेश को चुनौती नहीं दी है, इसलिए ये याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. याचिका में स्पष्ट है कि चुनाव आयोग की सिफारिश के साथ-साथ नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई है जो राष्ट्रपति के आदेश के बाद गजट में प्रकाशित किया गया.
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आगे कहा गया है कि 'चुनाव आयोग जैसी संस्था को कोर्ट में सिर्फ तथ्यों को रखना होता है लेकिन उसने हलफनामा दाखिल किया. इसमें ऐसे तथ्य और स्पष्टीकरण दिए गए हैं जो पहले कभी नहीं दिए गए. इसलिए उनकी अयोग्यता पर चुनाव आयोग की सिफारिश को अवैध और शून्य करार दिया जाए. बता दें कि बुधवार को हाईकोर्ट में सुनवाई होगी.
VIDEO: AAP विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने के मामले में HC ने EC से मांगा जवाब
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हलफनामें में कहा गया है कि 'अस्थाई सरकारी कर्मचारी को भी कदाचार के मामले में पूरी तरह सुने बिना नहीं निकाला जा सकता, लेकिन यहां विधानसभा के 20 सदस्यों को लाभ के पद पर उनका स्पष्टीकरण सुने बिना अयोग्य करार दे दिया गया. ये चुनाव आयोग द्वारा कानून का दुरुपयोग है.
जवाब में विधायकों ने कहा कि चुनाव आयोग ने गलत बयानी की है कि याचिकाकर्ताओं ने राष्ट्रपति के आदेश को चुनौती नहीं दी है, इसलिए ये याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. याचिका में स्पष्ट है कि चुनाव आयोग की सिफारिश के साथ-साथ नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई है जो राष्ट्रपति के आदेश के बाद गजट में प्रकाशित किया गया.
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आगे कहा गया है कि 'चुनाव आयोग जैसी संस्था को कोर्ट में सिर्फ तथ्यों को रखना होता है लेकिन उसने हलफनामा दाखिल किया. इसमें ऐसे तथ्य और स्पष्टीकरण दिए गए हैं जो पहले कभी नहीं दिए गए. इसलिए उनकी अयोग्यता पर चुनाव आयोग की सिफारिश को अवैध और शून्य करार दिया जाए. बता दें कि बुधवार को हाईकोर्ट में सुनवाई होगी.
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