लापता डोर्नियर का फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर मिल गया है
नई दिल्ली:
कोस्टगार्ड के महीने भर से लापता हुए डोर्नियर का मलबा तामिलनाड़ु के समुद्री इलाके में मिला है। ये मलबा चिदंबरम और कडलोर के तटीय इलाके में मिला है। 6 जुलाई को नौसेना की पनडुब्बी आईेएनएस सिंधुध्वज को 996 मीटर की गहराई पर इस मलबे के संकेत मिले थे। इसी जानकारी के आधार पर रिलांयस के जहाज ओलपिंक केनन को मलबे की सही जगह ढूंढने में मदद मिली।
इस जहाज़ में लगे रिमोट यु्क्त कैमरे की मदद से मलबे की खोजबीन जारी है। 693 घंटे की समुद्री और 196 घंटे की हवाई मेहनत के बाद ये सकारात्मक नतीजे मिला है। रिलांयस के जहाज के बदौलत ही फ्लाइट डाटा रिकॉडर को करीब 950 मीटर की गहराई से ढ़ूंढ़ निकाला गया। इसी से हादसे की वजह का पता लग पाएगा।
तटरक्षक का यह डोर्नियर विमान पायलट, उप कमाडैंट विद्यासागर, सहायक पायलट, सह कमाडैंट सुभाष सुरेश तथा नेविगेटर/प्रेक्षक एम.के. सोनी के साथ आठ जून की रात उस समय लापता हो गया था, जब वह तमिलनाडु तट और पाक खाड़ी की नियमित चौकसी उड़ान के बाद अपने अड्डे पर लौट रहा था।
इस घोषणा से लापता चालक दल के सदस्यों के परिजनों में आशा की किरण जगी है। सहायक पायलट सुभाष सुरेश की मां पद्मा सुरेश ने कहा कि उन्होंने सुना है कि लापता विमान का ब्लैक बॉक्स या डेटा रिकॉर्डर मिल गया है, लेकिन चालक दल के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है।
उन्होंने रुंधे गले से कहा, 'हमें अब भी आशा है। हम प्रार्थना कर रहे हैं।'
तट रक्षक द्वारा जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, भारतीय नौसेना की पनडुब्बी सिंधुध्वज को तलाशी अभियान में तैनात किया गया था, जिसने छह जुलाई को 996 मीटर की गहराई पर सिग्नल पकड़ा था। इसके बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज की सहायक पनडुब्बी ओलंपिक कैनन ने तलाशी को पुख्ता किया।
ओलंपिक कैनन रिमोट द्वारा संचालित वाहन है, जो लापता विमानों के फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (एफडीआर) की तलाश करने में सक्षम है।
तटरक्षक ने कहा कि एफडीआर से घटना के कारणों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकेगी, जिसे तलाशी अभियान के लिए बड़ी उपलब्धि करार दिया गया है। विमान के लापता होने के तुरंत बाद तलाशी अभियान शुरू कर दिया गया था। समुद्र में 693 घंटे, जबकि आकाश से 196 घंटे की तलाशी के बाद यह सफलता मिली है।
(इनपुट एजेंसी से भी)े
इस जहाज़ में लगे रिमोट यु्क्त कैमरे की मदद से मलबे की खोजबीन जारी है। 693 घंटे की समुद्री और 196 घंटे की हवाई मेहनत के बाद ये सकारात्मक नतीजे मिला है। रिलांयस के जहाज के बदौलत ही फ्लाइट डाटा रिकॉडर को करीब 950 मीटर की गहराई से ढ़ूंढ़ निकाला गया। इसी से हादसे की वजह का पता लग पाएगा।
तटरक्षक का यह डोर्नियर विमान पायलट, उप कमाडैंट विद्यासागर, सहायक पायलट, सह कमाडैंट सुभाष सुरेश तथा नेविगेटर/प्रेक्षक एम.के. सोनी के साथ आठ जून की रात उस समय लापता हो गया था, जब वह तमिलनाडु तट और पाक खाड़ी की नियमित चौकसी उड़ान के बाद अपने अड्डे पर लौट रहा था।
इस घोषणा से लापता चालक दल के सदस्यों के परिजनों में आशा की किरण जगी है। सहायक पायलट सुभाष सुरेश की मां पद्मा सुरेश ने कहा कि उन्होंने सुना है कि लापता विमान का ब्लैक बॉक्स या डेटा रिकॉर्डर मिल गया है, लेकिन चालक दल के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है।
उन्होंने रुंधे गले से कहा, 'हमें अब भी आशा है। हम प्रार्थना कर रहे हैं।'
तट रक्षक द्वारा जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, भारतीय नौसेना की पनडुब्बी सिंधुध्वज को तलाशी अभियान में तैनात किया गया था, जिसने छह जुलाई को 996 मीटर की गहराई पर सिग्नल पकड़ा था। इसके बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज की सहायक पनडुब्बी ओलंपिक कैनन ने तलाशी को पुख्ता किया।
ओलंपिक कैनन रिमोट द्वारा संचालित वाहन है, जो लापता विमानों के फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (एफडीआर) की तलाश करने में सक्षम है।
तटरक्षक ने कहा कि एफडीआर से घटना के कारणों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकेगी, जिसे तलाशी अभियान के लिए बड़ी उपलब्धि करार दिया गया है। विमान के लापता होने के तुरंत बाद तलाशी अभियान शुरू कर दिया गया था। समुद्र में 693 घंटे, जबकि आकाश से 196 घंटे की तलाशी के बाद यह सफलता मिली है।
(इनपुट एजेंसी से भी)े
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