वाईब्रेंट गुजरात के खिलाफ दलित संगठन भी हुए लामबंद

वाईब्रेंट गुजरात के खिलाफ दलित संगठन भी हुए लामबंद

गुजरात सरकार ने कुछ साल पहले लैंड सीलिंग एक्ट के तहत ली गई जमीन को भूमिहीन दलितों में बांटने की योजना बनाई थी. अहमदाबाद की धंधुका तहसील में साल 1984 में 21 सौ एकड़ जमीन का कागजों में आवंटन भी किया गया, लेकिन लाभार्थियों को जमीन नहीं मिली.

गुरुवार को धंधुका तहसील के सैकड़ों दलित जमीन दिलाने की मांग को लेकर अहमदाबाद में प्रदर्शन किया और जिलाधिकारी से भी मिले.

दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि वाईब्रेंट गुजरात सम्मेलन में सरकार के साथ करार करने वाले औद्योगिक घरानों को ताबड़तोड़ जमीन दी जाती है, लेकिन दलितों को कानून होने के बावजूद जमीन का हक़ नहीं मिल रहा.

मेवाणी ने कहा कि जहां-जहां जमीन का आवंटन दलितों को सिर्फ कागजों पर हुआ है वहां, 7 दिनों के भीतर दलितों को जमीन भी दी जानी चाहिए. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांग नहीं मानी गई तो राज्यभर के दलित इकट्ठा होकर 10-11 जनवरी को होने जा रहे वाईब्रेंट गुजरात सम्मेलन का विरोध करेंगे.

उधर, दलितों से पहले पाटिदार, ओबीसी आंदोलन आदि संगठन इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री को घेरने की घोषणा कर चुके हैं. कई संगठनों के साथ दलितों के भी वाईब्रेंट गुजरात कार्यक्रम के विरोध की घोषणा की वजह से सरकार इस बार ज्यादा चौंकन्नी हो गई है और सुरक्षा अभूतपूर्व बनाने की तैयारी है.

धंधुका जमीन आवंटन के बारे में बता दें कि यहां जमीन धंधुका अनुसूचित जाति सामुदायिक सहकारी मंडली को दी गई. इस मंडली में करीब 800 सभासद हैं. जमीन मिलने पर ये जमीन सभासदों में बराबर बांटी जानी है, लेकिन यहां लोग पिछले तीन दशक से जमीन मिलने का इंतजार कर रहे हैं.

 


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