विज्ञापन
This Article is From Feb 07, 2015

बिहार में सियासी उठापटक : मांझी ने 15 मंत्रियों को हटाने की सिफारिश की तो 20 ने दे दिया इस्तीफा

बिहार में सियासी उठापटक : मांझी ने 15 मंत्रियों को हटाने की सिफारिश की तो 20 ने दे दिया इस्तीफा
नीतीश कुमार की फाइल तस्वीर
पटना:

बिहार में में जारी सियासी उठा-पटक के बीच नीतीश समर्थक 20 मंत्रियों ने मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है। इससे पहले मांझी ने अपने 15 मंत्रियों को हटाने की सिफ़ारिश की थी। ये सभी वे मंत्री थे, जिन्होंने कैबिनेट बैठक में आज उनका विरोध किया था। मांझी ने रमई राम, रामलखन राम रमन, दुलालचंद गोस्वामी, मनोज कुस्वाहा जैसे दलित नेताओं और नौशाद आलम को छोड़ दिया था, हालांकि इन पांचों ने भी अब नीतीश के समर्थन में अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।

इससे पहले बगावती रुख अपनाए मांझी को दरकिनार करते हुए सत्तारूढ़ जेडीयू ने नीतीश कुमार को एक बार विधायक दल का नया नेता चुन लिया, जिससे उनके दोबारा सीएम पद पर वापसी का रास्ता साफ हो गया है।

अपने चयन के बाद नीतीश ने कहा कि वह सरकार बनाने के लिए दावा पेश करेंगे और इस वर्ष के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ लडाई को तार्किक परिणति तक पहुंचाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव आज ही राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी से संपर्क साधेंगे और कल सहयोगी दल अपने समर्थन का पत्र राज्यपाल को सौंपेंगे।

नीतीश ने कहा कि बहुमत उनके पास है और जरूरत पड़ने पर अपने संख्या बल की राज्यपाल के समक्ष परेड भी करा देंगे। उन्होंने कहा कि राजद, कांग्रेस और भाकपा का उन्हें समर्थन पत्र प्राप्त है।

वहीं राज्य के वित्तमंत्री बिजेंद्र यादव ने संवाददाताओं से कहा कि विधानसभा को भंग करने के प्रस्ताव का मांझी के अलावा सात मंत्रियों ने समर्थन किया, जबकि नीतीश कुमार समर्थक 21 मंत्रियों ने इसका विरोध किया। विधानसभा को भंग करने का प्रस्ताव कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह ने बैठक में रखा।

मंत्रिमंडल की इस अहम बैठक में सभी 29 मंत्रियों ने हिस्सा लिया। राजीव रंजन उर्फ लल्लन सिंह और पी के शाही ने बैठक में हिस्सा नहीं लिया, क्योंकि राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी ने इन दोनों को बर्खास्त करने की मुख्यमंत्री की सिफारिश को स्वीकार कर लिया था।

नीतीश के करीबी समझे जाने वाले खाद्य मंत्री श्याम रजक ने संवाददाताओं को बताया कि जिन लोगों ने मांझी का पक्ष लिया और विधानसभा को भंग करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी उसमें नरेंद्र सिंह, वृषिण पटेल, बिनय बिहारी, शाहिद अली खान, नीतीश मिश्रा, भीम सिंह और महाचंद्र प्रसाद सिंह शामिल हैं।

इससे पहले, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और मौजूदा मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के बीच पिछले कई दिनों से चल रही तनातनी उस समय चरम पर पहुंच गई, जब शनिवार को राज्य कैबिनेट की बैठक के दौरान जोरदार हंगामा हो गया और मांझी समर्थक नरेंद्र सिंह तथा नीतीश समर्थक श्याम रजक आपस में भिड़ गए।


वैसे, कैबिनेट बैठक से कुछ ही देर पहले मांझी ने नीतीश के घर जाकर उनसे मुलाकात भी की थी। मांझी और कुमार के बीच तकरीबन दो घंटे तक बातचीत चली, जिसे जद (यू) के भीतर दो परस्पर विरोधी गुटों के बीच समझौता कराने के अंतिम प्रयास के तौर पर देखा गया। इस बैठक में पार्टी अध्यक्ष शरद यादव ने भी हिस्सा लिया।

उल्लेखनीय है कि शुक्रवार शाम को मांझी ने नीतीश खेमे के दो मंत्रियों पीके शाही और राजीव रंजन उर्फ लल्लन सिंह को मंत्रिमंडल से बर्खास्त भी कर दिया था। सूत्रों के मुताबिक, राज्यपाल ने इनकी बर्खास्तगी की सिफारिश को मंजूर कर लिया है।

बर्खास्त किए गए मंत्री राजीव रंजन का कहना है कि मुख्यमंत्री मांझी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के एजेंडा पर काम कर रहे हैं, और उनकी (राजीव रंजन तथा पीके शाही) बर्खास्तगी के पीछे भी बीजेपी का ही हाथ है।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com