पश्चिम बंगाल की सरकार की ओर से आरोप लगाया गया है कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद यानी ICMR की ओर से सप्लाई की जा रही खराब टेस्टिंग किट की वजह से कोरोना वायरस के संक्रमण के लिए की जा रही जांच के परिणाम बिना किसी नतीजे के आ रहे हैं जिससे इस प्रक्रिया में देरी हो रही है. इसके साथ ही राज्य सरकार ने आईसीएमआर से इस मामले की जांच करने को कहा है ताकि जांच में हो रही देरी की वजह से इस बीमारी के खिलाफ लड़ाई कमजोर न हो. पश्चिम बंगाल में अभी तक 310 केस सामने आए हैं जिसमें अब तक की 12 की मौत हो चुकी है. बंगाल सरकार की ओर से लगाए इन आरोपों पर अभी तक ICMR की ओर से कोई जवाब नहीं आया है. इसकी कोलकाता शाखा के निदेशक ने कहा है कि इस मामले पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है.
3/5 There was no problem earlier when the testing kits were being received directly from National Institute of Virology, Pune. Recently, the supplies to Government Labs in West Bengal have been routed through ICMR-NICED, Kolkata.
— Department of Health & Family Welfare, West Bengal (@wbdhfw) April 19, 2020
वहीं राष्ट्रीय हैजा एवं आंत्र रोग संस्थान यानी NICED की निदेशक डॉक्टर शांता दत्ता ने कहा है, 'यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि जांच किट इतने प्रामाणित नहीं कि वह सही रिजस्ट दें पाएं. अब सभी मेडिकल कॉलेजों के लिए यह बहुत ही मुश्किल की काम है कि पहले वह इन किटों की गुणवत्ता की जांच करें.' उन्होंने कहा कि पहले जांच किट पुणे में बनाए जा रही थीं लेकिन जब मांग बढ़ने लगी तो सरकार को बाहर से मंगाने पड़ी और देश के 26 डीपो में भेजने लगी. NICED भी उन्हीं से एक है जो बंगाल के अलावा ओडिशा, अंडमान निकोबार में इन जांच किट की सप्लाई कर रही है.
5/5 The apparently defective test kits supplied by ICMR-NICED, Kolkata are resulting in a high number of repeat/ confirmatory tests and causing delays and other attendant problems at a time when we are battling a pandemic. This is an issue that ICMR needs to look into immediately
— Department of Health & Family Welfare, West Bengal (@wbdhfw) April 19, 2020
आपको बता दें कि कोरोना वायरस को लेकर पहले केंद्र सरकार पश्चिम बंगाल सरकार पर आरोप लगा चुकी है कि वह लॉकडाउन का ठीक से पालन नहीं कर रही है. वहीं रविवार को भी एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है जहां कई चिकित्सीय समुदाय और विपक्षी पार्टी दावा कर रही हैं कि राज्य बहुत कम मामलों की जानकारी दे रहा है क्योंकि संक्रमण के लिए बहुत कम आबादी की जांच की जा रही है.
शनिवार तक, राज्य में कोविड-19 के 233 मामले सामने आए हैं और 12 लोगों की मौत हुई है जो महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों से बहुत कम है. राज्य में जो मौत हुई हैं वे कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के चलते हुई हैं या पहले से जारी किसी गंभीर बीमारी के कारण हुई हैं, यह जांचने के लिए उनका इलाज करने वाले चिकित्सकों की बजाए विशेषज्ञ ऑडिट समिति का गठन करना राज्य सरकार के डेटा की विश्वसनीयता के बारे में संदेह पैदा करता है.
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