Lockdown: प्रवासी मजदूरों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर और अंजलि भारद्वाज ने याचिका दाखिल की है. सुप्रीम कोर्ट इस पर जल्द सुनवाई को तैयार हो गया है. याचिका में कहा गया है कि देशव्यापी लॉकडाउन के बीच सभी प्रवासी श्रमिकों को मजदूरी का भुगतान सरकार द्वारा किया जाए, चाहे वह नियमित हो या अनियमित या फिर स्व-नियोजित.
याचिका में कहा गया है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत केंद्र सरकार द्वारा दिया गया लॉकडाउन का आदेश इस समान आपदा से प्रभावित नागरिकों के बीच मनमाने ढंग से भेदभाव कर रहा है. याचिका में कहा गया है कि यह सैद्धांतिक रूप से यह सुनिश्चित करता है कि आपदा के कारण काम करने वाले श्रमिकों को वेतन का कोई नुकसान नहीं होगा. परंतु इसमें स्व-नियोजित दैनिक वेतनभोगियों (प्रवासियों या अन्यथा) की आजीविका के नुकसान के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है. जबकि यह सभी लोग भी उसी आपदा से प्रभावित होते हैं और उसी कष्ट को झेलते हैं.
याचिका में यह भी कहा गया है कि 'यह आदेश उन श्रमिकों की मजदूरी के भुगतान के लिए भी कोई प्रावधान नहीं करता है जो पहले से ही पलायन कर चुके हैं (राज्य के अंदर या राज्य से बाहर दूसरे राज्य में) और अपने 'काम के स्थान पर' मजदूरी लेने के लिए नहीं आ सकते क्योंकि उनको 14 दिन के अनिवार्य क्वारंटाइन में रखा गया है.'
याचिकाकर्ताओं ने बताया है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम, केंद्र और राज्य सरकारों को आपदाओं के प्रभावों से निपटने और उन्हें कम करने के लिए एक विस्तृत योजना और सिस्टम तैयार करने के लिए बाध्य करता है, जिसमें आपदाओं के पीड़ितों की मदद के लिए आवश्यक कदम उठाना शामिल है जो योजना के अनुसार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हो सकते हैं.
कोरोना वायरस संक्रमण के मद्देनज़र पलायन करने वाले सभी तरह के मज़दूर व रेहड़ी, पटरी लगाने वालों को लॉकडाउन की अवधि में उनका वेतन या न्यूनतम वेतन दिए जाने की मांग वाली याचिका है, जिसमें केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों से इन लोगों को वेतन दिलवाने की मांग की गई है.
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