लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान आज केंद्र सरकार की ओर से उठाए गए कदमों की जानकारी दी गई. केंद्र सरकार के वकील तुषार मेहता ने कहा कि जिनमें भी वायरस के लक्षण पाए गए हैं उनको क्वरंटाइन में भेज दिया गया है और जिनमें कोई लक्षण नही हैं उनको 14 दिन के लिए आइसोलेशन में रखा गया है. इसके साथ ही एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम चलाया गया ताकि 14 दिनों के लिए किसी भी यात्री की देखरेख की जा सके. उसमें यह देखा जाता है कि क्या लक्षण विकसित हुए हैं. यह तरीका अभी तक बहुत ही प्रभावी रहा है. केंद्र ने बताया कि 28 दिनों की सीमा के भीतर 3 लाख 48 हजार मामले निगरानी में थे. इस पर प्रधान न्यायाधीश ने पूछा कि क्या आपने उन लोगों को ट्रैक किया जिनके पास लक्षण नहीं थे या आपने उन्हें जाने नहीं दिया? इस पर केंद्र सरकार के वकील ने जवाब दिया कि हमने उन्हें हेल्पलाइन नंबर दिया और उनसे पूछा कि क्या कोई लक्षण विकसित हुए हैं.
केंद्र ने कहा कि यह एक नई बीमारी है. दुनिया के किसी भी निकाय के पास इससे निपटने की सुविधाएं नही थीं. जब वायरस का मानव जाति के लिए खतरे के रूप में पता चला था तो हमारे पास पुणे में केवल एक प्रयोगशाला थी. केंद्र ने परीक्षण क्षमता बढ़ाई है. जनवरी 2020 में सिंगल लैब से लेकर देश भर में अब 118 लैब हैं जिसमें प्रति दिन 15000 जांचें की जाचें सकती हैं.
केंद्र सरकार ने कहा कि सौभाग्य से हमारे देश ने निवारक और निरोधक कदम उठाए हैं. हमने 17 जनवरी से तैयारी शुरू कर दी थी. हमने देश में पहला केस आने से पहले ही इंतजाम शुरू कर दिए थे. आपको बता दें कि सुनवाई के दौरान गृह सचिव और संयुक्त सचिव गृह भी मौजूद थे.
केंद्र सरकार के वकी ने कहा, 'अब तक हम अपनी संतुष्टि के लिए वायरस के प्रसार को बहुत कम करने में सक्षम हैं. दूसरे देशों ने जो किया, उससे बहुत आगे कदम बढ़ाया. हमने भारत में किसी भी मामले का पता लगाने से पहले दूसरे देशों से लौटने वाले व्यक्तियों की थर्मल स्क्रीनिंग शुरू की थी. केंद्र सरकार ने कहा कि फेसबुक, ट्विटर, टिकटॉक सहित सोशल मीडिया के माध्यम से गलत सूचना को रोकने के लिए भी कदम उठाए गए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आपकी रिपोर्ट कहती है कि आपने लोगों के सवालों के जवाब के लिए एक व्हाट्सएप चैटबॉक्स लॉन्च किया है. क्या यह कार्य कर रहा है? इस सवाल पर केंद्र सरकार ने कहा कि हमने इसे लॉन्च किया है. यह परीक्षण के चरण में है लेकिन हम इसे बढ़ा रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आप प्रेस ब्रीफिंग क्यों नहीं करते और इसे डीडी और अन्य चैनलों पर प्रसारित किया जाए. कोर्ट ने पूछा कि फेक न्यूज फैलाने वालों के खिलाफ कानूनी कारवाई क्यों नहीं हुई. आपने हमें नकली समाचारों के बारे में बताया कि आप कैसे नियंत्रित करेंगे. क्या आपके पास किसी भी अधिनियम के तहत कोई शक्तियां हैं जिनके द्वारा आप लोगों को नकली खबरें फैलाने के लिए दंडित कर सकते हैं? अगर आप फर्जी खबरों से इतने परेशान हैं तो आप लोगों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करते? केंद्र ने कहा कि तैयारियों के कारण प्रसार होने में रोकने में सक्षम हो पाए.
- केंद्र से की ओर से आगे जानकारी दी गई कि जो लोग बाहर से आए हैं उन्हें क्वारंटीन किया गया है. 22 मार्च से बाहरी उड़ानें बंद हो गई हैं. देश के बाहर से आने वाले किसी भी नए संक्रमण का कोई सवाल नहीं है. हमें देश के अंदर केवल संभावित प्रसार को रोकना है. ज्वाइंट सेकेट्री स्तर के एक अधिकारी के नेतृत्व में स्पेशल यूनिट गठित की जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रोजाना मीडिया ब्रीफिंग होनी चाहिए. कोरोना के लिए विशेष अस्पताल बनाए जा रहे हैं. सभी राज्यों को भी स्पेशल अस्पताल बनाने को कहा गया है.
केंद्र सरकार ने पलायन के मुद्दे पर कहा कि अंतिम जनगणना के अनुसार लगभग 4.14 करोड़ व्यक्ति ऐसे थे जिन्होंने काम के लिए पलायन किया है. अब कोरोना के भय के कारण बैकवर्ड माइग्रेशन हो रहा है. जब पूरे देश को बंद करने की आवश्यकता थी तो यह था कि लोग आपस में न मिलें. हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि कोई भी प्रवास स्वीकार्य नहीं है. यह उनके लिए और गांव की आबादी के लिए जोखिम भरा होगा.
केंद्र ने कहा कि अभी तक ग्रामीण इलाकों में कोरोना का प्रभाव नहीं है. वायरस ले जाने वाले शहरों में 10 में से 3 के ग्रामीण क्षेत्रों में जाने की आशंका है. हम कोशिश कर रहे हैं कि बेघरों / दिहाडी मजदूरों को भोजन के पैकेट दिए जाएं. मिड डे मील की रसोई, रेलवे के कैटरर्स, धार्मिक ट्रस्ट और कॉरपोरेट्स को भोजन उपलब्ध कराने के लिए रोप-वे किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रवासी अभी भी घूम रहे हैं? इस पर केंद्र ने कहा कि सभी शेल्टर होम में रह रहे हैं. कंट्रोल रूम 24 घंटे चलता है. 22 लाख 88 हजार से अधिक लोगों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है. ये जरूरतमंद व्यक्ति, प्रवासी और दिहाड़ी मजदूर हैं. वे कहीं पहुंच गए हैं लेकिन उन्हें रोक दिया गया है और आश्रय स्थलों में रखा गया है. अब तक 6 लाख 63 हजार लोगों को आश्रय प्रदान किया गया है.
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि एक आदेश पारित कर रहे हैं जिसमें आपको कोरोना की जानकारी के लिए आप 24 घंटे में पोर्टल स्थापित करेंगे. आप यह भी सुनिश्चित करेंगे कि जिन लोगों का प्रवास आपने बंद किया है उन सभी को भोजन, आश्रय, पोषण और चिकित्सा सहायता के मामले में ध्यान रखा जाए. आप उन लोगों को भी देखेंगे जिन्हें आपने पहचाना है और क्वारंटीन किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वायरस से ज्यादा इसकी घबराहट जीवन को नष्ट कर देगी. 24 घंटे के भीतर कोरोनवायरस की जानकारी के लिए विशेषज्ञ समिति और पोर्टल की स्थापना हो. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा कि सरकार 24 घंटे के भीतर प्रवासियों और शेल्टर होम में रखे गए लोगों से बात करने के लिए सामुदायिक और धार्मिक नेताओं को तैयार करे. प्रशिक्षित काउंसलर भी भेजे जाएं यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसी भी डर को रोका जाए. आप इसके लिए भजन, कीर्तन, नमाज या जो कुछ भी कर सकते हैं करें लेकिन आपक लोगों को मजबूत बनाना है. सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही प्रवासी लोगों से संबंधी मामलों में हाईकोर्ट में सुनवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि गर्मियां आ रही हैं शेल्टर होम में पानी, खाना और दवाओं की पर्याप्त मात्रा हो फिलहाल सुनवाई अब अगले मंगलवार को होगी.
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