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This Article is From Aug 01, 2013

तेलंगाना मामला : 19 मंत्रियों ने कहा, पद छोड़ दिया है

तेलंगाना मामला : 19 मंत्रियों ने कहा, पद छोड़ दिया है
हैदराबाद: आंध्र प्रदेश से अलग तेलंगाना राज्य को बनाने के फैसले के खिलाफ राज्य के तमान कांग्रेसी नेताओं और मंत्रियों में अभी भी रोष व्याप्त है। तमाम मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है तो कुछ ने विधानसभा से भी इस्तीफा देने का मन बना लिया है।

राज्य में कांग्रेस की सरकार के 37 मंत्रियों में से कथित तौर पर 19 ने इस्तीफा सौंप दिया है। इन लोगों ने सीएम किरण कुमार रेड्डी से करीब चार घंटों तक बातचीत की। यह सभी 19 मंत्री सीमांध्र इलाके से आते हैं। सूत्र बता रहे हैं कि इन नेताओं ने कांग्रेस पार्टी के राज्य प्रभारी दिग्विजय सिंह से भी बात की है।

सत्तारूढ़ कांग्रेस के लिए मुश्किलें बढ़ाते हुए नौ पार्टी विधायकों और चार विधान पार्षदों सहित कई लोगों ने इस्तीफे दिए।

विधायकों ने विधानसभा के सचिव तथा विधान पार्षदों ने परिषद के सभापति को अपने इस्तीफे सौंपे।

जिन विधायकों ने इस्तीफा दिया है उनमें जे सी दिवाकर रेड्डी, जी वेंकट रेड्डी, डी वेंकटेश्वर राव, वेंकटरमैया, मुरली कृष्णा, उग्रनृसिंह रेड्डी, बंगारू, ऊषारानी, के सुधाकर और सी आदिनारायण रेड्डी शामिल हैं।

इस्तीफा देने वाले विधान पार्षदों में मोहम्मद जानी, रुद्रराजू पद्म राजू, गादे श्रीनवासुलु नायडू और पी वेंकट राव शामिल हैं।

सीमांध्र के मंत्रियों ने भविष्य की अपनी योजनाओं की रूपरेखा खींचने के लिए हैदराबाद स्थित मंत्रियों के निवास स्थान पर बैठक की।

वरिष्ठ नेता जेसी दिवाकर रेड्डी ने इस बैठक के बाद संवादादाताओं को बताया कि मंत्री अपना इस्तीफा सौंपने के लिए मुख्यमंत्री एन.किरन कुमार रेड्डी से मुलाकात कर सकते हैं। विधायक विधानसभा अध्यक्ष और विधान परिषद सभापति को इस्तीफा सौंपेंगे।

दिवाकर रेड्डी ने कहा कि बैठक में शामिल मंत्रियों ने लोगों के प्रदर्शन में हिस्सा लेना का फैसला किया है। नेताओं ने कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) से तेलंगाना राज्य गठन के फैसले पर दोबारा विचार करने की मांग की है।

इससे पूर्व अलग तेलंगाना के विरोध में अब तक राज्य के छह मंत्री सीएम इस्तीफा सौंप चुके हैं।

उधर, केंद्र सरकार के पृथक तेलंगाना राज्य के गठन की मांग को मंजूरी देने के विरोध में सीमांध्र (रायलसीमा एवं तटीय आंध्र प्रदेश) में लगातार दूसरे दिन गुरुवार को भी प्रदर्शन और बंद जारी है।

सीमांध्र के सभी बड़े शहरों में लगातार दूसरे दिन दुकानें, व्यावसायिक केंद्र और शिक्षण संस्थान बंद रहे जबकि बसें भी नहीं चलीं।

केंद्र से इस फैसले को वापस लेने की मांग करते हुए सैंकड़ों प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के पुतले जलाए और केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार पर दबाव बनाने के लिए सभी विधायकों और सांसदों से अपनी-अपनी पार्टियों से इतर इस्तीफा दिए जाने की मांग की।

प्रदर्शनकारियों में शामिल छात्रों, राजनीतिक कार्यकर्ताओं, पेशेवर लोगों, शिक्षकों और वकीलों ने 'जय समैक्य आंध्र' व 'युनाइटेड आंध्र' का नारा लगाते हुए रैली निकाली।

रायलसीमा के कडप्पा, अनंतपुर, चित्तूर और कुरनूल एवं तटीय आंध्र के विभिन्न हिस्सों में राज्य सड़क परिवहन निगम (एपीएसआरटीसी) की बसें डिपो से बाहर नहीं निकल पाईं। सीमांध्र के कुछ स्थानों में प्रदर्शनकारियों ने बीती रात दिवंगत प्रधानमंत्रियों इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की मूर्तियों को तहस-नहस कर दिया।

अनंतपुर, कडप्पा, कुरनूल, तिरुपति , चित्तूर, नेल्लोर, विजयवाड़ा, गुंटुर, एलुरु काकिनाड़ा, राजाहमुंदरी, विशाखापटनम, विजयनगर और अन्य शहरों में प्रदर्शन जारी है।

विजयवाड़ा में विजयवाड़ा थर्मल पावर स्टेशन (वीटीपीएस) के कर्मचारी भी इस प्रदर्शन में जुड़ गए हैं। उन्होंने कहा कि अगर राजनीतिक दल अपने पदों से इस्तीफा नहीं देते वे हड़ताल पर चले जाएंगे। वीटीपीएस राज्य की 40 फीसदी बिजली की आवश्यकता पूरी करता है।

समैक्य आंध्र संयुक्त कार्य समिति (जेएसी) ने सीमांध्र में बंद और प्रदर्शन का आह्वान किया है। जेएसी नेताओं का कहना है कि संयुक्त आंध्र पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

जेएससी के एक नेता ने कहा, हम हैदराबाद और तेलंगाना के अन्य हिस्से में रहने वाले 90 लाख लोगों के हितों और सलामती के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं।

(इनपुट्स एजेंसी से भी)

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