यह ख़बर 14 जून, 2012 को प्रकाशित हुई थी

कांग्रेस ने ममता पर लगाया विश्वासघात का आरोप, लेफ्ट से साधा संपर्क

खास बातें

  • राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी को लेकर कांग्रेस ने ममता बनर्जी पर विश्वासघात का आरोप लगाया है और लेफ्ट से समर्थन जुटाने की कोशिश में बिमान बोस और बुद्धदेब भट्टाचार्य से संपर्क साधा है।
नई दिल्ली:

राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी को लेकर कांग्रेस ने ममता बनर्जी पर विश्वासघात का आरोप लगाया है और लेफ्ट से समर्थन जुटाने की कोशिश में बिमान बोस और बुद्धदेब भट्टाचार्य से संपर्क साधा है। सूत्रों के मुताबिक वित्तमंत्री और राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल प्रणब मुखर्जी ने दोनों नेताओं से फोन पर बातचीत की है।

गुरुवार की शाम सोनिया गांधी से मिलने वालों में एनसीपी प्रमुख शरद पवार भी शामिल थे। मुलाकात के बाद पवार ने कहा कि वह यूपीए प्रत्याशी के समर्थन में ही मतदान करेंगे। अब यह स्पष्ट है कि राष्ट्रपति चुनाव में कौन सा प्रत्याशी मैदान में यूपीए उतारेगी अब यह शुक्रवार को यूपीए की होने वाली बैठक में तय किया जाएगा।

आज शाम कांग्रेस पार्टी के कोर ग्रुप की बैठक आहूत की गई है जिसमें ममता बनर्जी की नई चाल के बाद उत्पन्न परिस्थिति पर चर्चा की जाएगी।

माना जा रहा है कि लेफ्ट को अपने पाले में करने की कांग्रेस की कोशिश से ममता बनर्जी के साथ रिश्ते में और खटास पैदा हो सकती है, क्योंकि पश्चिम बंगाल में ममता का सबसे बड़ा राजनीतिक दुश्मन लेफ्ट ही है। प्रधानमंत्री के साथ बैठक के बाद प्रणब मुखर्जी ने मीडियाकर्मियों को बताया कि कांग्रेस जल्द ही अपने प्रत्याशी के नाम की घोषणा करेगी।

इससे पहले, राष्ट्रपति प्रत्याशी के बारे में ममता और मुलायम द्वारा सुझाए गए नामों को खारिज  करते हुए कांग्रेस ने साफ किया है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह 2014 तक का अपना कार्यकाल पूरा करेंगे और पार्टी ने अभी कोई एक नाम तय नहीं किया है।

पार्टी प्रवक्ता जनार्दन द्विवेदी ने पत्रकारों को बताया कि तृणमूल प्रमुख और सपा प्रमुख द्वारा प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाए जाने का सुझाव मान लेने का सवाल ही पैदा नहीं होता, क्योंकि पार्टी ने जनता से वादा किया था कि 2014 तक डॉ सिंह ही प्रधानमंत्री बने रहेंगे। इसके साथ ही द्विवेदी की बातों से साफ हो गया कि कांग्रेस प्रणब और अंसारी में से ही किसी एक को प्रत्याशी बनाने के मूड में है और एपीजे अब्दुल कलाम तथा सोमनाथ चटर्जी उसकी पसंद में शामिल नहीं होंगे।

कौन बनेगा राष्ट्रपति और कौन बनाएगा राष्ट्रपति? ये दोनों सवाल अब बेहद अहम हो गए हैं। बुधवार को राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी पर तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी और सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने जो सियासी चाल चली है, उससे पूरी रणनीति ही बदल गई है।

इस पूरे मसले पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। मसलन, क्या कलाम, मनमोहन और सोमनाथ चटर्जी का नाम राष्ट्रपति पद के लिए पेश करने से पहले ममता−मुलायम ने इनसे बात करना भी ज़रूरी नहीं समझा? क्या कांग्रेस को यह जरूरी नहीं लगा कि वह अपने प्रधानमंत्री के साथ खड़ी हो और कहे कि किसी के दबाव में वह मनमोहन सिंह को बदलने नहीं जा रही है? क्या मुलायम−ममता की पहल के साथ दूसरी पार्टियां भी जुड़ेंगी? क्या कांग्रेस अब नए सिरे से मुलायम−ममता से मोलतोल करेगी और क्या अब राष्ट्रपति चुनाव को लेकर कुछ नए नाम सामने आएंगे?

सवालों का यह सिलसिला यहीं खत्म नहीं होता, लेकिन इस बीच गुरुवार सुबह प्रणब मुखर्जी ने सोनिया गांधी के साथ उनके आवास पर मुलाकात की। 20 मिनट तक चली इस बैठक में रक्षामंत्री एके एंटनी भी मौजूद थे और बाद में पी चिदंबरम भी 10, जनपथ पर पहुंचे। इसी मुद्दे पर शाम को कांग्रेस कोर कमेटी की भी अहम बैठक होने वाली है।

अब तक कैबिनेट से प्रणब दा राष्ट्रपति पद के इकलौते उम्मीदवार थे, लेकिन ममता-मुलायम ने एक झटके में उन्हें अपने ही प्रधानमंत्री के सामने ला खड़ा किया।

लेकिन बात सिर्फ इतनी ही नहीं है। अगर मनमोहन सिंह का नाम राष्ट्रपति पद के लिए जोर पकड़ लेता है, तो इसका मतलब है कि कांग्रेस को एक नया प्रधानमंत्री चुनना पड़ेगा। कांग्रेस पार्टी में प्रणब से बेहतर इसका दावेदार और कौन हो सकता है...तो आज राष्ट्रपति पद और शायद प्रधानमंत्री पद के दो−दो दावेदार आमने-सामने होंगे। ऐसे में कैबिनेट बैठक का माहौल तनाव भरा हो सकता है। कम से कम गैर−कांग्रेसी दल तो यही चाहते होंगे। वैसे अगर इन दोनों की मर्जी चले, तो प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति भवन जाना चाहेंगे और प्रधानमंत्री सात रेस कोर्स रोड नहीं छोड़ना चाहेंगे।

दिलचस्प यह है कि मुलायम और ममता ने जो तीन नाम राष्ट्रपति पद के लिए पेश किए उनसे पहले बात करने की जरूरत ही नहीं समझी। लोकसभा के अध्यक्ष रहे सोमनाथ चटर्जी ने एनडीटीवी से साफ कहा कि उनकी किसी भी राजनैतिक दल से बात नहीं हुई है। उन्होंने कहा, मुझे यह भी नहीं पता कि ममता और मुलायम ने किन वजहों से मेरे नाम का प्रस्ताव रखा है। हालांकि अपने नाम के प्रस्ताव से मैं खुद को सम्मानित महसूस कर रहा हूं।

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उधर, मनमोहन सिंह ने भी कहा कि वह जहां हैं, खुश हैं। उधर, बीजेपी ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को लेकर यूपीए में ही मतभेद का आरोप लगाया है। एनसीपी नेता शरद पवार का कहना है कि सभी पार्टियों के बीच सहमति बनाने की जरूरत है। बीजू जनता दल के नेता जय पांडा ने कहा है कि राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए वह पीए संगमा के नाम पर ही कायम हैं।
लेफ्ट के नेता डी राजा ने कहा है कि अभी नामों को लेकर सिर्फ अटकलें हैं, जब तक कोई एक नाम सामने नहीं आता, लेफ्ट कोई फैसला नहीं लेगा।