नई दिल्ली:
केन्द्र सरकार ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि कांग्रेस अथवा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को चंदा देने वाली विदेशी कंपनियां नहीं हैं।
न्यायालय में दायर एक जनहित याचिका में शिकायत की गई है कि विदेशी मुद्रा नियमन कानून का उल्लंघन करते हुए वेदांता रिसोर्सेज जैसी कई विदेशी कंपनियां कांग्रेस और भाजपा को चंदा उपलबध करा रही हैं।
केन्द्र ने कहा है कि वेदांता रिसोर्सेज पीएलसी सहित जनहित याचिका में जिन कंपनियों का नाम विदेशी कंपनी के तौर पर दिया गया है वे ‘विदेशी कंपनी’ के दायरे में नहीं आतीं।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और इंद्रमीत कौर की पीठ के समक्ष दायर शपथ-पत्र में गृह मंत्रालय ने कहा है उसने कारपोरेट कार्य मंत्रालय के विदेश प्रभाग से सात में से छह कंपनियों की स्थिति के बारे में सूचना प्राप्त की है। इसके अलावा संबंधित कंपनियों से भी विदेशी भागीदारी नियमन अधिनियम (एफसीआरए) के तहत उनकी स्थिति के बारे में जानकारी मांगी।
मंत्रालय द्वारा दायर शपथ-पत्र के अनुसार मैसर्स वेदांता, दि मद्रास एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड, मैसर्स हयात रेजेंसी, मैसर्स विन मेडिकेयर प्रा. लिमिटेड, मैसर्स अडानी विलमेर के लि., मैसर्स स्टरलाइट इंडस्ट्रीज इंडिया लि. विदेशी कंपनियां नहीं हैं, जबकि मैसर्स डीओडब्ल्यू केमिकल्स इंटरनेशनल प्रा. लि. विदेशी कंपनी की श्रेणी में हैं।
मंत्रालय ने कहा है कि इसके अलावा मैसर्स सेसा गोवा लिमिटेड के बारे में अभी सूचना आनी है।
मामले की सुनवाई के अंतिम दिन न्यायालय ने कांग्रेस और भाजपा दोनों को ही नोटिस जारी किया था। उनसे जनहित याचिका पर उनकी प्रतिक्रिया मांगी गई थी। यह याचिका एक गैर-सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेडिट रिफार्म ने वकील प्रशांत भूषण के जरिये दायर की थी। याचिका में राजनीतिक दलों को ब्रिटेन स्थित वेदांता समूह की सहायक इकाइयों के जरिये चंदा स्वीकार किए जाने की सीबीआई अथवा विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराई जाने की मांग की गई है।
पीठ ने कांग्रेस और भाजपा दोनों से सरकार के शपथ-पत्र के साथ उनकी प्रतिक्रिया भी मांगी है। पीठ ने कहा, ‘‘वह प्रत्युत्तर में जो कुछ कहना चाहते हैं, हम उन्हें भी अपनी बात रखने का मौका देंगे।’’ पीठ ने अगली सुनवाई के लिए 16 जुलाई की तिथि तय की है।
न्यायालय में दायर एक जनहित याचिका में शिकायत की गई है कि विदेशी मुद्रा नियमन कानून का उल्लंघन करते हुए वेदांता रिसोर्सेज जैसी कई विदेशी कंपनियां कांग्रेस और भाजपा को चंदा उपलबध करा रही हैं।
केन्द्र ने कहा है कि वेदांता रिसोर्सेज पीएलसी सहित जनहित याचिका में जिन कंपनियों का नाम विदेशी कंपनी के तौर पर दिया गया है वे ‘विदेशी कंपनी’ के दायरे में नहीं आतीं।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और इंद्रमीत कौर की पीठ के समक्ष दायर शपथ-पत्र में गृह मंत्रालय ने कहा है उसने कारपोरेट कार्य मंत्रालय के विदेश प्रभाग से सात में से छह कंपनियों की स्थिति के बारे में सूचना प्राप्त की है। इसके अलावा संबंधित कंपनियों से भी विदेशी भागीदारी नियमन अधिनियम (एफसीआरए) के तहत उनकी स्थिति के बारे में जानकारी मांगी।
मंत्रालय द्वारा दायर शपथ-पत्र के अनुसार मैसर्स वेदांता, दि मद्रास एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड, मैसर्स हयात रेजेंसी, मैसर्स विन मेडिकेयर प्रा. लिमिटेड, मैसर्स अडानी विलमेर के लि., मैसर्स स्टरलाइट इंडस्ट्रीज इंडिया लि. विदेशी कंपनियां नहीं हैं, जबकि मैसर्स डीओडब्ल्यू केमिकल्स इंटरनेशनल प्रा. लि. विदेशी कंपनी की श्रेणी में हैं।
मंत्रालय ने कहा है कि इसके अलावा मैसर्स सेसा गोवा लिमिटेड के बारे में अभी सूचना आनी है।
मामले की सुनवाई के अंतिम दिन न्यायालय ने कांग्रेस और भाजपा दोनों को ही नोटिस जारी किया था। उनसे जनहित याचिका पर उनकी प्रतिक्रिया मांगी गई थी। यह याचिका एक गैर-सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेडिट रिफार्म ने वकील प्रशांत भूषण के जरिये दायर की थी। याचिका में राजनीतिक दलों को ब्रिटेन स्थित वेदांता समूह की सहायक इकाइयों के जरिये चंदा स्वीकार किए जाने की सीबीआई अथवा विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराई जाने की मांग की गई है।
पीठ ने कांग्रेस और भाजपा दोनों से सरकार के शपथ-पत्र के साथ उनकी प्रतिक्रिया भी मांगी है। पीठ ने कहा, ‘‘वह प्रत्युत्तर में जो कुछ कहना चाहते हैं, हम उन्हें भी अपनी बात रखने का मौका देंगे।’’ पीठ ने अगली सुनवाई के लिए 16 जुलाई की तिथि तय की है।
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