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This Article is From Apr 07, 2019

जम्मू-श्रीनगर को जोड़ने वाले हाई-वे के बंद होने से लोगों की बढ़ी मुश्किलें, राजनीतिक पार्टियों ने किया विरोध

गुलाम मोहम्मद भट्ट घर से अस्पताल में भर्ती अपनी बेटी के पास जाने के लिए निकले लेकिन जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग बंद होने के कारण उन्हें वहां पहुंचने के लिए कोई वाहन ही नहीं मिल पाया.

जम्मू-श्रीनगर को जोड़ने वाले हाई-वे के बंद होने से लोगों की बढ़ी मुश्किलें, राजनीतिक पार्टियों ने किया विरोध
प्रतीकात्मक चित्र
नई दिल्ली:

सुरक्षा बलों के काफिले को सुरक्षित मार्ग प्रदान करने के लिए जम्मू- श्रीनगर- बारामूला राष्ट्रीय राजमार्ग पर हर हफ्ते दो दिन आम नागरिकों के लिए यातायात बंद रखने का फैसला रविवार को लागू हुआ. राजमार्ग बंद होने से नागरिकों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा. साथ ही विभिन्न राजनीतिक पार्टियों ने इस कदम का विरोध किया. गुलाम मोहम्मद भट्ट घर से अस्पताल में भर्ती अपनी बेटी के पास जाने के लिए निकले लेकिन जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग बंद होने के कारण उन्हें वहां पहुंचने के लिए कोई वाहन ही नहीं मिल पाया. टेंगपोरा के नजदीक भट्ट ने कहा कि मैं पिछले 15 मिनट से चल रहा हूं लेकिन दूर-दूर तक कोई वाहन नजर ही नहीं आ रहा है. मुझे जेवीसी अस्पताल जाना है जहां मेरी बेटी भर्ती है.

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वहीं, अनंतनाग के न्यू काजीबाघ के निवासी दानिश अली की शादी डोडा जिले में हुई और उसने अपनी बारात दुल्हन के घर तक ले जाने के लिए एक विशेष अनुमति ली थी. सरकारी प्रशासन ने सुरक्षा बलों के काफिले को सुरक्षित मार्ग प्रदान करने के लिए 270 किलोमीटर लंबे राजमार्ग पर आम नागरिकों के लिए यातायात 31 मई तक हर सप्ताह रविवार और बुधवार को बंद रखने की घोषणा पिछले सप्ताह की थी. हालांकि सभी राजनीतिक दलों, व्यापारिक समुदाय सहित समाज के हर तबके ने इसे "जनविरोधी" और "अलोकतांत्रिक" बताते हुए इसकी आलोचना की.

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इस बीच राजनीति पार्टियों ने इसका विरोध किया. नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने प्रतिबंधों को तत्काल वापस लेने की मांग की है, जबकि पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने सरकार के फैसले को "गलत" करार दिया. एनसी अध्यक्ष ने कहा कि यह एक गलत आदेश है. उन्हें सुरक्षा कर्मियों की आवाजाही के लिए ट्रेन का इस्तेमाल करना चाहिए या वे रात के समय निकले ताकि लोगों को इससे परेशानी ना हो. अब्दुल्ला ने कहा कि यह हमारी मांग है कि इस आदेश को निरस्त किया जाए. यह तानाशाही जैसा है. वहीं पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने भी प्रतिबंध के खिलाफ विरोध मार्च निकाला.

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उन्होंने कहा कि यह बेहद गलत है. वहां हमारी कोई व्यावसायिक सेना नहीं है. अगर भारत सरकार को लगता है कि इस तरह के हथकंडे अपनाकर वे यहां के लोगों को दबा सकते हैं, तो वे गलत हैं. दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में 14 फरवरी को सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकवादी हमले और 30 मार्च को रामबन जिले के बनिहाल में राजमार्ग के पास सीआरफपीएफ के एक काफिले पर कार बम हमले के असफल प्रयास के बाद यह निर्णय किय गया है. पुलवामा हमले में बल के 40 जवान शहीद हो गए थे. 

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