प्रतीकात्मक तस्वीर
पूर्वोत्तर क्षेत्र में जारी तनातनी के बीच चीन ने अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रोपेगेंडा का काम भी शुरू कर दिया है. उसमें भारत को आक्रामक बताते हुए कहा जा रहा है कि इस भारतीय कदम से युद्ध छिड़ सकता है. दरअसल सारा मामला भूटान के डोकलाम क्षेत्र में चीनी निर्माण कार्य से जुड़ा है. भारत और भूटान ने इसका विरोध किया है. चीन इस बात से ज्यादा चिंतित है कि भारत की शह पर भूटान जैसा छोटा देश भी उसका विरोध कर रहा है. दरअसल अब अपनी प्रोपेगेंडा नीति के तहत चीन अपने विदेशी राजनयिक मिशनों के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय जगत में अपनी बात रखने की कोशिश कर रहा है.
इस बीच भारत ने कहा है कि हालिया डोकलाम विवाद को लेकर चीन का रुख असामान्य रूप से आक्रामक है. विदेश सचिव एस जयशंकर ने मंगलवार को एक संसदीय समिति को यह जानकारी दी है. विदेश मामलों पर समिति को जानकारी दे रहे जयशंकर ने हालांकि कहा कि भारत तनाव कम करने के लिए राजनयिक माध्यम से चीन से बातचीत कर रहा है.
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इस बैठक में मौजूद करीब 20 सदस्यों में से कुछ ने इस बारे में संवाददाताओं को बताया. विदेश सचिव ने समिति को बताया कि सीमा को लेकर भारत और चीन ने अपनी-अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है लेकिन वे उसका गलत अर्थ लगा रहे हैं, जिसे भारत स्पष्ट करने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने कहा कि एक एंग्लो-चीनी समझौते के अनुसार वर्ष 1895 से अब तक भारत के रुख में कोई परिवर्तन नहीं आया है.
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इस बीच भारत ने कहा है कि हालिया डोकलाम विवाद को लेकर चीन का रुख असामान्य रूप से आक्रामक है. विदेश सचिव एस जयशंकर ने मंगलवार को एक संसदीय समिति को यह जानकारी दी है. विदेश मामलों पर समिति को जानकारी दे रहे जयशंकर ने हालांकि कहा कि भारत तनाव कम करने के लिए राजनयिक माध्यम से चीन से बातचीत कर रहा है.
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