दिल्ली में COVID-19 से लड़ने की रणनीति में हुआ बदलाव, नए प्लान में इन बातों का रखा जाएगा ध्यान

इस प्लान के अनुसार दिल्ली के सभी घरों का डोर टू डोर सर्वे करना अच्छा विकल्प नहीं है लेकिन मोटे तौर पर दिल्ली की जनसंख्या को तीन हिस्सों में बांटकर यह काम किया जा सकता है. 

दिल्ली में COVID-19 से लड़ने की रणनीति में हुआ बदलाव, नए प्लान में इन बातों का रखा जाएगा ध्यान

दिल्ली में कोरोना से जंग के लिए रणनीति में किया गया बदलाव.

नई दिल्ली:

दिल्ली सरकार, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, NCDC,ICMR और नीति आयोग ने हाल ही में कोरोनावायरस को लेकर मौजूदा रणनीति में बदलाव करने के लिए प्लान तैयार कर लिया है. इस प्लान के अनुसार दिल्ली के सभी घरों का डोर टू डोर सर्वे करना अच्छा विकल्प नहीं है लेकिन मोटे तौर पर दिल्ली की जनसंख्या को तीन हिस्सों में बांटकर यह काम किया जा सकता है. 

ये है पूरा प्लान
दिल्ली में कोविड-19 सर्विलांस और रिस्पॉन्स को मजबूत करने के लिए संशोधित रणनीति पर एक रिपोर्ट तैयार की गई है. ये रिपोर्ट नेशनल सेंटर फॉर डिसीज़ कंट्रोल (NCDC), केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, दिल्ली सरकार, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और नीति आयोग ने मिलकर तैयार की है. इसके बाद अब 10 जुलाई को कोरोनावायरस को लेकर बनाई गई रणनीति की समीक्षा की जाएगी.

डोर टू डोर सर्वे
रिपोर्ट में 20 जून को शुरू किए गए सर्विलांस और रिस्पॉन्स रोडमैप के अंतर्गत डोर टू डोर सर्वे का ज़िक्र करते हुए कहा गया है कि 

A) पहले से ही अतिरिक्त कंटेन्मेंट ज़ोन के चलते एक बड़ी आबादी इंटरनल सर्विलांस का हिस्सा है. इसमें लगभग सभी क्लस्टर केस समाहित हैं, जो कुल केस का करीब 43% है. 
 
B) इसमें पहले से ही चल रहे गहन सर्विलांस काम से संबंधित व्यवहारिक कठिनाइयां भी हैं. डोर टू डोर सर्वे के चलते हाई रिस्क एरिया और कंटेन्मेंट ज़ोन में चल रहे कांटेक्ट ट्रेसिंग के काम में बाधा भी आ सकती है. 

C) महज एक बार डोर टू डोर सर्वे करना इतना उपयोगी नहीं होगा क्योंकि ILI (influenza like illness) और SARI (severe acutr respiratory infections) के लक्षण कभी भी दिखाई पड़ सकते हैं. 

इन बिंदुओं के आधार पर फिलहाल दिल्ली में डोर टू डोर सर्वे को उपयुक्त नहीं माना गया है-
विभिन्न इलाकों में रहने वाली आबादी का वर्गीकरण कोरोना के मौजूदा मामलों के वितरण के आधार पर किया गया है- 
1) कंटेन्मेंट जोन (421).
2) आइसोलेटेड मामले वाले इलाके. 
a) वो इलाके जिनमे पिछले 28 दिन में लगातार आइसोलेटेड मामले सामने आते रहे हैं.
b) अन्य इलाके (जिनमें कभी कभी आइसोलेटेड मामले सामने आते रहे हैं) .
3) वो इलाके (सोसाइटीज/ गांव) जिनमें आज तक कोई भी केस रिपोर्ट नहीं हुआ है. 

संशोधित रणनीति के घटक- 
1) कंटेन्मेंट जोन में सर्विलांस को मज़बूत करना- विशेषज्ञों के रिव्यु के आधार पर कुल कंटेन्मेंट जोन की संख्या बढ़ाकर 421 कर दी गई है. कंटेन्मेंट जोन में सर्विलांस को सख्त एरिया कंट्रोल के साथ बढ़ाना होगा. 

a) कंटेन्मेंट जोन के अंदर- हाउस टू हाउस सर्च को पर्सनल विजिट के जरिए बढ़ाना. कॉन्टेक्ट लिस्ट बनाकर हाई रिस्क कॉन्टेक्ट,  बुजुर्ग और co-morbidities से ग्रसित लोगों को क्वारन्टीन और टेस्टिंग कराना और उसका फॉलो अप करना.
b) बफर जोन- 
हाउस टू हाउस सर्च और हाई रिस्क लोगों की लिस्ट तैयार करना
सभी इलाकों में SARI/ ILI सर्वे करना.

2) किसी एक परिभाषित क्षेत्र से रिपोर्ट होने वाले आइसोलेटेड केस- 
उन इलाकों की समीक्षा करना जिनमे सेंट्रल सर्विलांस यूनिट (CSU) और डिस्ट्रिक्ट सर्विलांस ऑफिसर (DSO) द्वारा पिछले 14 दिन से लगातार मामले रिपोर्ट किये जा रहे हैं- 
- समय और भौगोलिक स्तिथी का आधार ओर केस मैपिंग
-  epidemiological स्तिथी का आंकलन और ट्रांसमिशन चेन को ट्रैक करना
- ITIHAS ऐप का इस्तेमाल करना

कार्यप्रणाली- 
कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग बढ़ाना, हाउस टू हाउस सर्च, SARI/ILI सर्वे, हाई रिस्क लोगों की लिस्टिंग और स्पेशल सर्विलांस, सख्त क्वारन्टीन और आइसोलेशन 

ऐसे इलाके जहां अब तक केस रिपोर्ट नहीं हो रहे हैं-

सोसायटीज (RWAs के द्वारा)
बुजुर्ग और co-morbid की लिस्टिंग करना, प्रभावित इलाकों से आने वाले लोगों का प्रवेश रोकना, प्रवेश के समय हर व्यक्ति की स्क्रीनिंग, आरोग्य सेतु ऐप को अनिवार्य रूप से डाउनलोड कराना.

गांव (सरपंच के द्वारा)
गांव में निगरानी समिति का निर्माण करना, बुजुर्ग और co-morbid की लिस्टिंग करना, गांव में प्रवेश करने वाले किसी भी बाहरी व्यक्ति खासतौर पर जो प्रभावित इलाके से आया हो उसकी निगरानी रखना, DSO द्वारा समय समय पर सर्विलांस करना.

खास समूहों में सर्विलांस बढ़ाना
हाई रिस्क ग्रुप- 60 साल से ज़्यादा आयु वाले लोग और ऐसे व्यक्ति जो किसी पुरानी गंभीर बीमारी जैसे, डायबिटीज, कैंसर से ग्रसित हों.

स्पेशल सर्विलांस ग्रुप्स
सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और डिसइन्फेक्शन के नियमों के बारे में जागरूक करना.

ILI और SARI सर्विलांस जारी रहेगा- 
- सभी कंटेन्मेंट ज़ोन में हर 15 दिन/ 30 दिन में हिडेन ट्रांसमिशन का अससेमेंट करना.
- समय समय पर अप्रभावित इलाकों में SARI और ILI सर्वे करना.
- गैर-H1N1/ इन्फ्लूएंजा केस में लैब बेस्ड सर्विलांस.
- भर्ती किये गये SARI केसेज़ की कोविड टेस्टिंग. 

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दिल्ली में सीरोलॉजिकल सर्वे- 
वर्तमान समय मे दिल्ली के सभी 11 ज़िलों में सीरो सर्वे कराया जा रहा है, जो कि 20,000 लोगों की आबादी (वयस्क और 18 वर्ष से कम आयु वर्ग दोनों) में IgM (immunoglobin M) और IgG (immunoglobin G) के मूल्यांकन के लिए कराया जायेगा. 10 जुलाई 2020 तक ये सर्वे पूरा किया जायेगा. इस सर्वे के परिणाम से कोविड-19 की ताज़ा स्तिथी, प्रतिरक्षा प्रणाली की स्थिति, और भविष्य रेखा का पता लग सकेगा.