विज्ञापन
This Article is From Feb 25, 2021

केंद्र सरकार ने किया समलैंगिक विवाह का विरोध, दिल्ली हाईकोर्ट में दी ये दलील

केंद्र सरकार (Centre Govt) ने दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) का विरोध किया.

केंद्र सरकार ने किया समलैंगिक विवाह का विरोध, दिल्ली हाईकोर्ट में दी ये दलील
केंद्र ने HC में समलैंगिक विवाह का विरोध किया. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

केंद्र सरकार (Centre Govt) ने दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) का विरोध किया. केंद्र की ओर से दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि भारत में शादी एक संस्था के रूप में पवित्रता से जुड़ी हुई है. देश के प्रमुख हिस्सों में इसे एक संस्कार माना जाता है. अदालत समलैंगिकों के विवाह को मान्यता नहीं दे सकती. ये तय करना विधायिका का काम है. हमारे देश में एक पुरुष और एक महिला के बीच विवाह के संबंध की वैधानिक मान्यता पुराने रीति-रिवाजों, प्रथाओं, सांस्कृतिक लोकाचार और सामाजिक मूल्यों पर निर्भर करती है.

केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि दो समान लिंग वाले लोगों का पार्टनर के रूप में एक साथ रहना और समान सेक्स वाले व्यक्तियों के साथ यौन संबंध बनाने को पहले ही अपराध से बाहर कर दिया गया है लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि वो शादी कर सकते हैं. केंद्र ने कहा है कि एक पति, एक पत्नी और बच्चे के रूप में परिवार, एक इकाई अवधारणा है जो कि एक पुरुष को 'पति' के रूप में, एक महिला को 'पत्नी' के रूप में और उनसे पैदा हुए बच्चों के रूप जाना जाता है. केंद्र ने कहा कि समान लिंग के व्यक्तियों के विवाह के पंजीकरण से मौजूदा व्यक्तिगत के साथ-साथ संहिताबद्ध कानून का भी उल्लंघन होता है. केंद्र ने हलफनामे के माध्यम से अदालत को सूचित किया कि विपरीत लिंग के व्यक्तियों को ही विवाह की मान्यता देने  में "वैध राज्य हित" है.

उत्तराधिकार कानून को लेकर हांगकांग में समलैंगिक युगलों को मिली बड़ी जीत

विवाह की संस्था केवल एक अवधारणा नहीं है, जिसे किसी व्यक्ति की निजता के क्षेत्र के लिए मान्यता दी गई है. एक ही लिंग के दो व्यक्तियों के बीच विवाह की संस्था की स्वीकृति को न तो मान्यता प्राप्त है और न ही किसी भी पर्सनल लॉ या किसी भी सांविधिक कानूनों में इसे स्वीकार किया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने IPC 377 में एक विशेष व्यवहार व्यवहार अपराध की श्रेणी से बाहर करने के लिए आदेश दिए थे लेकिन उक्त घोषणा न तो उनके विवाह के उद्देश्य से की गई थी, न ही वास्तव में इस आचरण को वैध बनाने के लिए की गई थी. केंद्र ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निजता के अधिकार और 377  पर फैसले लिंग विवाह की मान्यता प्राप्त करने के लिए मौलिक अधिकार नहीं प्रदान करते हैं. समान-विवाह के लिए मान्यता लेने का कोई मौलिक अधिकार नहीं है, केंद्र दिल्ली उच्च न्यायालय को बताता है.

ओडिशा HC ने समलैंगिक जोड़े को लिव-इन में रहने की इजाजत दी, कहा- सबको आजादी है कि....

केंद्र की ओर से यह भी तर्क दिया गया है कि समलैंगिक विवाह को वैध बनाना अदालत का काम नहीं है, उस पर निर्णय विधायिका को लेना होता है. यह प्रश्न कि क्या इस तरह के संबंध को विवाह की कानूनी मान्यता के माध्यम से औपचारिक रूप से अनुमति दी जानी चाहिए, अनिवार्य रूप से विधायिका द्वारा तय किया जाने वाला प्रश्न है और न्यायिक फैसले का विषय नहीं हो सकता है. हलफनामे में आगे कहा गया है कि भारत में विवाह केवल दो व्यक्तियों के मिलन का विषय नहीं है, बल्कि एक "जैविक पुरुष और एक जैविक महिला के बीच एक गंभीर संस्थान" है. केंद्र ने इस तथ्य पर विवाद किया है कि विवाह का अधिकार किसी व्यक्ति की निजता के अधिकार के भीतर आता है. कहा गया है कि जबकि विवाह दो निजी व्यक्तियों के बीच हो सकता है, जिनके निजी जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है.

नोएडा में समलैंगिकों को ऐप का इस्तेमाल कर ब्लैकमेल करने वाला गैंग पकड़ा गया

यह प्रस्तुत किया गया है कि विवाह को एक सार्वजनिक अवधारणा के रूप में, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक सार्वजनिक मान्यता के रूप में मान्यता प्राप्त है, जिसके साथ कई वैधानिक अधिकार और दायित्व जुड़े हुए हैं. केंद्र ने यह भी कहा कि पश्चिम के फैसले का भारतीय संवैधानिक कानून न्यायशास्त्र में किसी भी आधार पर भारतीय संदर्भ में आयात नहीं किया जा सकता. अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अधीन है और इसे समलैंगिक विवाह के मौलिक अधिकार को शामिल करने के लिए विस्तारित नहीं किया जा सकता है. कानून की वैधता पर विचार करने में सामाजिक नैतिकता के विचार प्रासंगिक हैं. सामाजिक नैतिकता और सार्वजनिक स्वीकृति को निर्धारित करने और इसे लागू करना विधायिका का काम है. एक 'पुरुष' और एक 'महिला' के बीच एक संघ के रूप में विवाह की वैधानिक मान्यता आंतरिक रूप से विवाह की विषम संस्था की मान्यता और इसके सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्यों के आधार पर भारतीय समाज की स्वीकृति से जुड़ी है.

VIDEO: Exclusive: समलैंगिकता पर दुती चंद ने कहा- परिवार ने नहीं किया सपोर्ट

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com