
फाइल फोटो
नई दिल्ली:
नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने साल 2014 में जम्मू और कश्मीर के बाढ़ पीड़ितों को दिए गए बचाव और सहायता के वितरण पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने राज्य में आपदा प्रबंधन की निराशाजनक स्थिति भी दर्शाई है. वर्ष 2010-11से 2014-15 तक राज्य आपदा प्रबंधन प्रतिक्रिया निधि (एसडीआरएफ) से खर्च हुए 1,369.16 करोड़ की राशि के ऑडिट का हवाला देते हुए सीएजी ने बताया कि आपदा अल्पीकरण उद्देश्य के लिए किए जाने वाले व्यय में से 25 प्रतिशत (342.43करोड़) को 'अयोग्य' कार्यों में लगाया गया. सीएजी के मुताबिक अधिक भुगतान करने और ऊंचे दाम पर सरकारी खरीद पर भी इसे खर्च किया गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि बहुत-संकटजनक खतरों और पिछले कुछ समय में कई आपदाओं की घटनाओं के बावजूद राज्य सरकार द्वारा आपदाओं के प्रभाव को कम करने और उसके लिए तैयार रहने के लिए उठाए गए कदम उम्मीद के अनुरूप नहीं हैं. सांस्थानिक व्यवस्थाओं, नीतियों और योजना निरूपन में कमियां हैं. साथ ही आपदा-पूर्व उपायों के क्रियान्वन में भी खामियां हैं.
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2014 की बाढ़ के बाद हुई अव्यवस्थाओं का उदाहरण देते हुए रिपोर्ट ने कहा गया है कि विशेष योजना सहायता (एसपीए) के तहत क्षतिग्रस्त अवसंचरना के पुन:निर्माण के लिए अक्टूबर 2014 में एक हजार करोड़ रूपये मुहैया कराये गये थे. हालांकि 4.66 करोड़ एसपीए की शर्तों का उल्लंघन करते हुए खर्च किए गए और 37.58 करोड़ रुपये उन कार्यों पर खर्च किए गए जो क्षतिग्रस्त अवसंचरना के पुन:निर्माण से संबंधित नहीं थीं. रिपोर्ट में कई और उदाहरण दिए गए हैं जिसमें आपदा प्रबंधन के लिए दिए गए कोष का अनुचित प्रयोग किया गया है.
Video : सबकी पोल खोलती है सीएजी रिपोर्ट
रिपोर्ट में सरकार को सलाह दी गई है कि वह सभी जिलों खासकर 13 बहु-संकटजनक जिलों में अतिसंवेदनशीलता, संकट और जोखिम का मूल्यांकन करे और जोखिम मानचित्र तैयार करे जो आपदा तत्परता के लिए साधनों की प्राथमिकता और अवगत रणनीतियों के निरूपण को सक्षम बनाए. इसमें पूर्वकालीन चेतावनी प्रणाली भी शामिल हो.
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रिपोर्ट में सरकार को सलाह दी गई है कि वह सभी जिलों खासकर 13 बहु-संकटजनक जिलों में अतिसंवेदनशीलता, संकट और जोखिम का मूल्यांकन करे और जोखिम मानचित्र तैयार करे जो आपदा तत्परता के लिए साधनों की प्राथमिकता और अवगत रणनीतियों के निरूपण को सक्षम बनाए. इसमें पूर्वकालीन चेतावनी प्रणाली भी शामिल हो.
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