मुंबई-गोवा हाइवे पुल हादसे पर राजनीति तेज, सीएम फडणवीस ने दिए न्यायिक जांच के आदेश

मुंबई-गोवा हाइवे पुल हादसे पर राजनीति तेज, सीएम फडणवीस ने दिए न्यायिक जांच के आदेश

खास बातें

  • आज भी चलाया जा रहा है सर्च ऑपरेशन
  • बाढ़ से ढह गया था ब्रिटिश कालीन पुल
  • एनडीआरएफ की टीमें बचाव अभियान में लगीं
रायगढ़:

महाराष्ट्र के महाड़ में ब्रिटिशकालीन पुल के टूटने के बाद बहे लोगों की तलाश जारी है. वहीं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आज विधानसभा में कहा कि पुल हादसे की न्यायिक जांच की जाएगी. इसके साथ ही प्राथमिक वजह की जांच के लिए आईआईटी की एक टीम भेजी गई है. इस मामले पर अब राजनीति तेज हो गई है.

महाड़ पुल हादसे के बाद महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने विधानसभा में हादसे की न्यायिक जांच की मांग की थी. आज शिवसेना का 3 जुलाई 2013 को उन्हें लिखा एक पत्र सामने आया है, जिसमे मुंबई-गोवा हाइवे के सभी पुराने पुलों के खस्ताहाल पर चिंता जताई गई थी. पत्र शिवसेना के गोवा राज्य संपर्क प्रमुख शशिकान्त पर्वेकर ने लिखा था.
 


वहीं आज बचावकार्यों में लगी NDRF की एक बोट ही पलट गई, लेकिन गनीमत यह हुई कि NDRF के दूसरे लोगों ने तुरंत बोट को सीधा किया और लोगों को बचाया. वहीं लापता लोगों के तलाशी अभियान के दौरान अब तक चार शव मिले हैं, लेकिन इनकी पहचान और इसी हादसे से कनेक्शन होने की अभी पुष्टि नहीं हुई है.

महाड़ पुल हादसे की जगह से तक़रीबन 150 किलोमीटर दूर रत्नागिरी में आंजर्ला समुद्र किनारे एक शव मिला है. शव के शरीर पर खाकी वर्दी है इसलिए लोगों का अनुमान है कि यह शव पुल के साथ बही एसटी बस के ड्राइवर का हो सकता है.

इसके अलावा एक शव महाड़ पुल से तक़रीबन 100 किलोमीटर दूर हरि हरेश्वर समुद्र किनारे भी एक शव मिला है. शव महिला का है. ज्ञात हो कि महाबलेश्वर में निकलने वाली सावित्री नदी महाड़ होते हुए हरि हरेश्वर में समुद्र में जाकर मिलती है. इसलिए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि दोनों ही शव पुल हादसे में बहे वाहनो में सवार लोगों के ही होंगे, जो पानी के तेज बहाव में बहकर समंदर किनारे आ लगे हैं.

इस बीच बस और बाकी वाहनों की तलाश में सुबह से सेना के गोताखोर भी जुट चुके हैं. इसके अलावा आकाश से निगरानी के लिए एक हेलीकॉप्टर भी रवाना किया गया है.

वाहनों का पता लगाने के लिए NDRF ने शाम को बड़ा लोहचुम्बक पानी के नीचे डाल कर पता करने की कोशिश की थी कि अगर लोहा होगा तो चिपकेगा. मतलब बस या कारें अगर पानी में नीचे पड़ी होंगी तो उनका पता लग जाएगा. NDRF कमांडेन्ट अनुपम श्रीवास्तव के मुताबिक, लोहचुम्बक पुल के पास जमीन में किसी वस्तु से चिपका है या फिर मिट्टी या पत्थरों में फंस गया है. छोटी क्रेन से वह निकल नहीं रहा. दो बड़ी हाई पावर क्रेन मंगाई गई हैं. उसके बाद ही सच्चाई का पता लग सकेगा.

इस बीच NDRF के गोताखोरों की टीमें डिंगी और रबर की नांव के जरिये तलाशी अभियान में फिर से जुट रही हैं. वह पानी की सतह पर 8 से 10 किलोमीटर तक घूमकर लापता वाहनों को तलाशने की कोशिश कर रही हैं. स्थानीय प्रशाशन और गांव वाले भी मदद में जुटे हैं.

इस हादसे में बही बस में मुंबई में नालासोपारा का भी एक परिवार सवार था. वह जयगढ़ में अपने बुजुर्ग पिता के अंतिम संस्कार के बाद वापस लौट रहे थे. नाला सोपारा में रहने वाले समीर बेलकर के मुताबिक, उनकी दो चचेरी बहनें, उनके पति और एक बेटा सहित कुल 5 लोग उसी बस से मुंबई आ रहे थे, लेकिन अब उनका पता नहीं चल रहा.

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