विज्ञापन
This Article is From May 22, 2018

बीजेपी नेता एस वी शेखर को सुप्रीम कोर्ट से राहत, गिरफ्तारी पर 1 जून तक रोक

बीजेपी नेता एस वी शेखर को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर एक जून तक रोक लगा दी है.

बीजेपी नेता एस वी शेखर को सुप्रीम कोर्ट से राहत, गिरफ्तारी पर 1 जून तक रोक
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: बीजेपी नेता एस वी शेखर को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर एक जून तक रोक लगा दी है.साथ ही शेखर की याचिका पर तमिलनाडु सरकार और पुलिस के साइबर सेल को नोटिस भी जारी किया है.सुप्रीम कोर्ट ये सुनवाई कर रहा है कि क्या सोशल मीडिया पर किसी पोस्ट को आगे बढाना अपराध है या नहीं. दरअसल एक्टर से बीजेपी नेता बने एस वी शेखर ने कथित रूप से महिला पत्रकार पर एक अपमानजनक फेसबुक पोस्ट साझा किया था.उन्होंने अग्रिम जमानत  के लिए मद्रास उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी और तर्क दिया गया था कि शिकायत आईपीसी की धारा 505 (1) (सी) के तहत कोई अपराध नहीं बताती क्योंकि यह आरोपी द्वारा प्राप्त एक संदेश था जिसे उसके द्वारा अग्रेषित किया गया था और वह इसके लेखक नहीं हैं. उन्होंने बिना पढे़ इसे आगे बढा दिया था. 

 यह भी पढ़ें : चेन्नई: BJP नेता की फेसबुक पोस्ट के खिलाफ पत्रकारों का हल्ला बोल

अग्रिम जमानत को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि  पोस्ट को आगे बढाना संदेश का समर्थन करने के बराबर है.  क्या कहा जाता है ये तो महत्वपूर्ण है लेकिन किसने कहा है, समाज में इसका बहुत महत्व है. क्योंकि लोग सामाजिक स्टेटस के व्यक्तियों का सम्मान करते हैं. जब किसी व्यक्ति की तरह एक सेलिब्रिटी इस तरह के संदेश आगे बढाता है तो आम जनता इस बात पर विश्वास करती है कि इस तरह की चीजें चल रही हैं. यह समाज के लिए एक गलत संदेश भेजता है. जब हम महिला सशक्तिकरण के बारे में बात कर रहे हैं. भाषा और इस्तेमाल किए गए शब्द अप्रत्यक्ष नहीं हैं, बल्कि प्रत्यक्ष क्षमता वाली अश्लील भाषा है जो इस क्षमता और उम्र के व्यक्ति से अपेक्षित नहीं है.

यह भी पढ़ें : एचडी कुमारस्वामी के खिलाफ हिंदू महासभा पहुंची SC, कहा- शपथ ग्रहण असंवैधानिक, जल्द सुनवाई से इनकार 

अपने अनुयायियों के लिए एक आदर्श मॉडल होने के बजाय यह एक गलत मिसाल पेश करता है. रोजाना हम सोशल मीडिया पर सामाजिक भावनाओं में इस तरह की गतिविधियों को करने के लिए युवा लड़कों को गिरफ्तार होता देखते हैं. कानून हर किसी के लिए समान है और लोगों को हमारी न्यायपालिका में विश्वास खोना नहीं चाहिए. गलतियां और अपराध समान नहीं हैं. केवल बच्चे ही गलतियां कर सकते हैं जिन्हें क्षमा किया जा सकता है, अगर बुजुर्ग लोगों द्वारा किया जाता है तो यह अपराध हो जाता है.

यह भी पढ़ें : जज लोया की मौत का मामला फिर पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे: