अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट में उस वक्त सब हैरान हो गए जब केरल सरकार के सिर्फ पांच सितारा होटलों में शराब परोसने के फैसले के खिलाफ दाखिल होटल और बार मालिकों की ओर से देश के अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी पेश हुए। हालांकि उनका कहना था कि वो बकायदा अनुमति लेकर पेश हुए हैं। हालांकि ये मामला 28 जुलाई के लिए टल गया।
दरअसल केरल सरकार ने राज्य में नई नीति बनाई है। इसके तहत सिर्फ पांच सितारा होटलों में ही शराब परोसी जा सकेगी। राज्य के होटल और बार मालिकों ने इस नीति को हाइकोर्ट में चुनौती दी लेकिन हाइकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के आदेश पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था। इस मामले में केरल सरकार से जवाब भी मांगा था।
पिछली सुनवाई में केरल सरकार की और से पेश हुए कपिल सिबल ने कहा था कि ये पॉलिसी मैटर है और इसमें कोर्ट दखल नहीं दे सकता। केरल में सबसे अधिक 14.9 फीसदी शराब की खपत है। राज्य में शराब की नीति बनाई गई है जिसके तहत सरकार ही शराब की सप्लाई करती है और राज्य में शराब की 732 दुकानें हैं जहां से शराब खरीदी जा सकती है। राज्य में सिर्फ 20 पांच सितारा होटल हैं और सिर्फ उन्हें ही बार के लाइसेंस दिए गए हैं और राज्य में बीयर और वाइन बार भी हैं।
राज्य में शराब पर बैन नहीं है, लोग दुकान से लेकर घर में भी पी सकते हैं लेकिन पब्लिक प्लेस और गाड़ी में शराब पीना गैरकानूनी है। लोग शराब लेकर घर जाकर शराब पीएं। ऐसे में ये कानून किसी के अधिकारों का हनन नहीं है। इसी मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई लेकिन याचिकाकर्ता की और से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी को देखकर सब दंग रह गए।
हालांकि मुकुल ने कहा कि ये मामला केंद्र सरकार से जुड़ा नहीं है और वो अनुमति लेकर ऐसे केस में शामिल हो सकते हैं। इस केस के लिए उन्होंने मंजूरी ले ली थी। लेकिन ये बार मालिकों की और से राज्य सरकार के खिलाफ भले ही निजी तौर पर ही सही, अगर अटॉर्नी जनरल खड़े होंगे तो चर्चा तो होगी ही।
दरअसल केरल सरकार ने राज्य में नई नीति बनाई है। इसके तहत सिर्फ पांच सितारा होटलों में ही शराब परोसी जा सकेगी। राज्य के होटल और बार मालिकों ने इस नीति को हाइकोर्ट में चुनौती दी लेकिन हाइकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के आदेश पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था। इस मामले में केरल सरकार से जवाब भी मांगा था।
पिछली सुनवाई में केरल सरकार की और से पेश हुए कपिल सिबल ने कहा था कि ये पॉलिसी मैटर है और इसमें कोर्ट दखल नहीं दे सकता। केरल में सबसे अधिक 14.9 फीसदी शराब की खपत है। राज्य में शराब की नीति बनाई गई है जिसके तहत सरकार ही शराब की सप्लाई करती है और राज्य में शराब की 732 दुकानें हैं जहां से शराब खरीदी जा सकती है। राज्य में सिर्फ 20 पांच सितारा होटल हैं और सिर्फ उन्हें ही बार के लाइसेंस दिए गए हैं और राज्य में बीयर और वाइन बार भी हैं।
राज्य में शराब पर बैन नहीं है, लोग दुकान से लेकर घर में भी पी सकते हैं लेकिन पब्लिक प्लेस और गाड़ी में शराब पीना गैरकानूनी है। लोग शराब लेकर घर जाकर शराब पीएं। ऐसे में ये कानून किसी के अधिकारों का हनन नहीं है। इसी मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई लेकिन याचिकाकर्ता की और से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी को देखकर सब दंग रह गए।
हालांकि मुकुल ने कहा कि ये मामला केंद्र सरकार से जुड़ा नहीं है और वो अनुमति लेकर ऐसे केस में शामिल हो सकते हैं। इस केस के लिए उन्होंने मंजूरी ले ली थी। लेकिन ये बार मालिकों की और से राज्य सरकार के खिलाफ भले ही निजी तौर पर ही सही, अगर अटॉर्नी जनरल खड़े होंगे तो चर्चा तो होगी ही।
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