असम में एक निजी अस्पताल के डॉक्टर ने कोरोनावायरस से बचने के लिए कथित मलेरिया में खाई जाने वाली दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन कथित रूप से खाली उसके बाद उसकी मौत हो गई है. बताया जा रहा है कि उसको हार्टअटैक हुआ था. इस दवा को आजकल कोरोनावायरस के इलाज में इस्तेमाल किया जा रहा है लेकिन इसको लेकर भी सरकार की ओर से दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं कि किन परिस्थितियों में इसका प्रयोग करना है. डॉक्टर का नाम उत्पलजीत बर्मन था जिनकी उम्र 44 साल थी और वह एनिस्थीसिया के विशेषज्ञ थे. सूत्रों के मुताबिक कोरोना से बचने के लिए इस दवा को खुद ही कथित रूप से खा लिया था. हालांकि अभी इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है कि उनको हार्टअटैक इसी दवा की वजह से हुआ था. लेकिन उन्होंने अपने एक सहयोगी को वाट्सएप पर लिखा था कि दवा खाने के बाद वह ठीक महसूस नहीं कर रहे हैं.
आपको बता दें कि भारतीय अनुसंधान परिषद (ICMR) ने इस दवा को कोरोना का इलाज करने वाले डॉक्टर, स्वास्थ्य कर्मी, मरीज के परिवार के लोगों के लिए ही इस्तेमाल करने को कहा है. यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि असम में अभी कोई भी कोरोना का मरीज नहीं है और डॉक्टर बर्मन भी इस बीमारी से ग्रसित शख्स का इलाज भी नहीं कर रहे थे. आपको बता दें कि भारत में कोरोनावायरस से अब तक 32 लोगों की मौत हो गई है. मरीजों की संख्या भी 1251 है.
कोरोनावायरस के प्रसार को देखते हुए निचले असम के कामरूप जिले में विभिन्न उम्र वर्गों के 2506 लोगों को घरों में पृथक रहने के लिए कहा गया है. एक अधिकारी ने बताया कि असम में अभी तक कोविड-19 का कोई मामला सामने नहीं आया है. स्वास्थ्य विभाग के जिला संयुक्त निदेशक डॉ. एन. एस. तिष्य के मुताबिक रांगिया प्रखंड सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र (बीपीएचसी) के दायरे में आने वाले 381 लोगाों, कमलपुर बीपीएचसी क्षेत्र में 322 और बिहदिया बीपीएचसी क्षेत्र में 122 लोगों को घरों के अंदर पृथक किया गया है.
एक स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि कामरूप जिले में किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पांच मॉडल अस्पतालों में 159 बिस्तर तैयार रखे गए हैं जिनमें 20 बिस्तर रांगिया रेलवे पॉलीक्लीनिक में तैयार हैं. इस बीच जिला प्रशासन ने लॉकडाउन प्रावधानाों का पूरी तरह पालन सुनिश्चित कराने के लिए सभी उपाय किए हैं.
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